पहला पैग बनाकर दो सिप ले उसने सिगरेट सुलगाई और घड़ी को देखा, उसके दोस्त के आने में अभी वक़्त था। चिकेन को मेरिगेट करने की गरज से उसने पहले ही तैयारी कर रखी थी। मसाले इत्यादि भी सब तैयार थे। किचन में ही ऐशट्रे पर सिगरेट को रख उसने गैस पर कढ़ाई को रख दिया। अभी उसने दो सिप और लिये ही थे कि उसका मोबाइल बज उठा। कॉल उसकी प्रेमिका का था। प्रेमिका के संग बातचीत में मशगूल होने की वजह से उसका ध्यान ऐशट्रे पर रखी सिगरेट पर गया जो आधे से ज्यादा जल चुकी थी। उसने एक झटके में गिलास खाली किया, सिगरेट को उसने उँगलियों के बीच फँसाया और एक लंबा कश लिया, आवाज कुछ ऐसी कि मोबाइल की दूसरी तरफ भी आवाज को साफ-साफ सुना जा सकता था। उसे एक बारगी अपनी गलती का अहसास हुआ, दूसरे पल उसका ध्यान कढ़ाई पर केन्द्रित हो गया।
प्रेमिका ने सवाल किया-“ दीपक! तुम शराब पीते हो?”
वह हड़बड़ाया, उसकी निगाह अभी-अभी खाली हुए गिलास पर गई। उसने जवाब दिया-“शराब और मैं? मेरे पिताजी का गुस्सा जानती हो न?”
“फिर तो तुम माँस-मच्छी भी नहीं खाते होंगे?”
उसे याद आया पिछले ही महीने कैसे उसकी प्रेमिका रेस्त्राँ के मेन्यू-कार्ड में नॉनवेज लिखा हुआ देखकर उसे वहाँ से उठाकर ले आई थी। अब वह खुद पर बौखलाने की स्थिति में था। उसने माँस-मच्छी की बात को छुपाने का मन बनाया। कड़छी को कढ़ाई में घुमाते हुए उसने जवाब दिया-“दो साल पहले सब छोड़ दिया।’
बची हुई सिगरेट में सुट्टा खीच वह गैस को धीमा कर दूसरे कमरे की ओर बढ़ा। मोबाइल स्पीकर पर स्वर उभरा-“दीपक! जानते हो मैं हमेशा ऐसे प्रेमी की कामना करती थी। जो सिगरेट, शराब, माँस-मछली सबसे दूर हो, तुम कितने अच्छे हो, जो आज के जमाने में इन सबसे दूर हो।”
उसने अपना पसंदीदा गोल्डन कश लेने का विचार छोड़ बची हुई सिगरेट को फर्श पर फेंक पैर से मसलने का विचार बनाया। अगले ही पल वह जलती सिगरेट को छोड़ खाली गिलास में दूसरा पैग डालने के लिए आगे बढ़ गया।
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