साइकैट्रिस्ट के पास जाने के लिए उनकी पत्नी बड़ी मुश्किल से मानी थी। वह पूछती, ‘मुझे क्या हुआ है? मैं तो ठीक-ठाक हूँ। क्या मैं पागल हूँ। साइकैट्रिस्ट डॉ. मदान के कुछ भी पूछने बताने से पहले मेहता ने कहा, ‘‘डॉ० साहब ये मेरी वाइफ है। पिछले चार पाँच साल से मैं इन्हें महँगा से महँगा कोई गिफ्ट लाकर देता हूँ। तो इसका रिएक्शन बहुत ठंडा- सा होता है? पिछले चार-पाँच वर्ष से इसने हमारी कोठी के आगे-पीछे छत पर हर जगह फल, फूलों, सब्जियों के पेड़-पौधे लगवा दिए हैं। कहीं गमले पड़े हैं,तो कहीं पक्षियों के लिए दाना- पानी के मिट्टी के कसोरे लटक रहे हैं। घर पर दुनिया भर के पक्षी आने लगे हैं। और तो और ये दिन में दो बार दूध- ब्रेड लेकर गलियों में घूम रहे आवारा कुत्तों को खिलाने पहुँच जाती है। हमारी अलीशान कोठी को छोटा-मोटा जंगल जैसा बना दिया है। हमारा एक ही बेटा है और वह विदेश में पढ़ रहा है। सारा दिन पक्षियों की आवाजें आती रहती हैं। यों यह खासी पढ़ी-लिखी हैंपर,……? सारा दिन घर पर रहकर पेड़-पौधे जानवरों की सेवा में लगी राहती है।’’
डॉक्टर ने उन्हें चुप कराते हुए कहा, ‘‘ठीक है, मैं इनसे कुछ प्रश्न पूछूँगा अब। बाद में मुझे आपकी भी काउंसलिंग करनी पड़ेगी, तब तक आप प्लीज बाहर बैठिए। पत्नी से तरह-तरह के प्रश्न पूछने के बाद डॉक्टर ने मेहता को बुलाया और पूछा, ‘‘आप कुछ अपने बारे में बताइए?
लगभग पच्चीस वर्ष पहले मैंनें दो लाख रुपयों से काम शुरू किया था। अपनी काबिलियत और परिश्रम से मैंने अपनी कम्पनी को तीन सौ करोड़ तक पहुँचा दिया है। घर में नौकर-चाकर सभी सुविधाएँ मौजूद हैं, पर पत्नी ने घर में गंद मचा रखा है। कहीं तिनके और सूखे हुए पत्ते …….?
मैं जबरदस्ती इन पेड़, पौधों को उखड़वाकर साफ करवा सकता हूँ, पर डरता हूँ कि कहीं ये पूरी पागल न हो जाए।
डॉक्टर ने उन्हें टोकते हुए फिर पूछा, ‘‘अच्छा यह बताओ आपके अपनी पत्नी से रिलेशंस कैसे हैं? आप आखरी बार कब हँसे थे। आपको फूलों का खिलना, पौधों का धीरे-धीरे बड़ा होना, पेड़ों का झूमना और पक्षियों का चहचहाना, क्या आपको यह सब अच्छा नहीं लगता। कुछ देर चुप रहने के बाद वे एकाएक बोले, ‘‘दिन भर मैं तो ऑफिस में काम करता हूँ। घर पर रहने का मेरे पास टाइम ही कहाँ है? मुझे बी.पी., शुगर है। पर दवाई गोली खाकर काम में लगा रहता हूँ । ऑफिस में पूरा स्टाफ है, पर मुझे खुद सुबह से शाम तक कामों में जुटा रहना पड़ता है। लाखो की कमाई है। चिन्ता रहती है कि कहीं कम्पनी घाटे में न चली जाए।’’
हँसते हुए डॉक्टर ने कहा, ‘‘लाखो की जो कमाई आगे और होनी है, उसके नुकसान होने की आपको टेंशन है।
मैंने आपकी वाइफ को चेक कर लिया है। मेण्टली शी इज क्वाइट फिट एंड नार्मल। उसे प्रकृति से प्रेम है। माफ करना आपकी पत्नी नहीं, बल्कि मानसिक रूप से बीमार तो आप हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना है, तो आपको प्रकृति की तरफ लौटना ही होगा……।’’
-कमल चोपड़ा
1600/114 त्रिनगर, दिल्ली-110035
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