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Channel: लघुकथा
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पाप

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पहला पुरस्कार

कन्या पैदा हुई। घर के सब लोग एकदम ख़ामोश थे। कन्या के गले में तम्बाकू रख दिया गया, कन्या हिचकी भी नहीं ले पाई। दो मर्दों ने, जिनमें से एक कन्या का पिता था, गड्ढा खोदा और निरासक्त भाव से उसे धरती के अँधेरे में पहुँचा दिया। दफ़न के वक्त कन्या के पिता ने कन्या से कहा, “जा, जहाँ से आई थी, आगे अब भैया को भेजना।”

 कन्या का पिता कन्या को दफ़न करने और पुजारी जी को सीधा पहुँचाने के बाद कन्या की माँ के पास आ बैठा। वह रो रही थी। कन्या के पिता ने कहा, “रोती क्यों हो? वंश तो बेटे से ही चलेगा न!”

 “हमारा अंश थी वह! दुनिया मे आई और आँख खोलने से पहले चली भी गई। भारी पाप लगेगा हमें।”

  “पाप क्यों लगेगा, हमने कौन सी गऊ हत्या की है?”

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