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Channel: लघुकथा
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सम विधान

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“इतनी देर से कैमरा लेकर घूम रहा हूँ, ढंग का कुछ मैटीरियल ही नहीं मिल रहा. जाने इस देश के सारे भूखे नंगे बच्चे कहाँ जाकर मर गए हैं।” 

“अरे, आज 26 जनवरी की छुट्टी है। इधर शहर में कुछ नहीं मिलेगा. उधर चलो, पुरानी बस्ती के पास, वहीं कुछ मिल सकता है। नहीं मिलेगा तो कुछ जुगाड़ लगाते हैं।” 

दोनों सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर मित्र अपनी साफ सुथरी कार से उतर कर गंदी बस्ती में जाने लगते हैं। उनके महँगे जूतों गीली मिट्टी, कीचड़ को देखकर नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं ; मगर वायरल होने के फ़ायदे बहुत हैं। लाखों रुपयों की कमाई हो जाती है तो इतना तो सहना ही होगा।

“ओहहो…यार रवि, तूने ठीक कहा था। वो देख झुग्गी पर लगा छोटा सा झंडा…” पहले मित्र ने कहा।

“हाँ, दोस्त…और देख नीचे एक औरत फटे कपड़ों में तन छुपाए बच्चे को दूध पिला रही है. लांग शॉट ले, कमाल की पिक्चर बनेगी।” 

‘क्लिक क्लिक’ कैमरा कर्तव्यनिष्ठ है, तुरंत आज्ञा का पालन करता है कि कहीं औरत लजाकर अंदर न चली जाए। औरत जैसे ही दो अजनबियों को देखती है, वाकई में आँचल से सीना और बच्चे दोनों को ढककर फटे पर्दे के पीछे चली जाती है।

“भारत के संविधान में सबको बराबर अधिकार मिले हैं, बस कपड़े नहीं।” दूसरे मित्र ने दार्शनिक अंदाज़ में कहा।

“वाह ! क्या कैप्शन सुझाया, आज तो लाइक कमेंट्स की झड़ी लग जाएग॥ फॉलोवर्स की बाढ़ आना निश्चित है.” पहले मित्र के मुख पर हर्ष भरी मुस्कान लोटने लगी थी।

” वो देख, आधा नंगा लड़का मिट्टी में खेलता हुआ….” रवि ने उत्साह से एक तरफ उंगली से इशारा किया।

“चल चल, उसे तिरंगा पकड़ा कर फ़ोटो खींचते है…” 

“क्यों छोटू….फ़ोटो खिंचवायेगा?”

छोटू भावहीन चेहरे से दोनों को देखता है. फ़ोटो खिंचाने का जो गुड़ चारे की तरह उसकी तरफ फेंका गया था, लगता था कि यह गुड़ उसके लिए नया नहीं है।

“ये ले , पकड़ ये तिरंगा….देख कितनी बढ़िया फ़ोटो खींचता हूँ तेरी….” 

”दो सौ रुपिया” -छोटू अचानक सपाट स्वर में बोला।

“क्या …..????” दोनों इंफ्लुएंसर की आँखें फैल गईं।

“दो सौ रुपिया….फोटू खिंचाने का…” छोटू लापरवाही और धृष्टता के साथ बोला।

“अरे छोटू, तू तो बड़ा स्मार्ट हो गया है। लूटना है हमको? फ़ोटो खिंचाने का पैसा लेगा?” 

“संविधान देश के कानून की क़िताब को कहते हैं न, भैया?”

“हाँ, बड़ा ज्ञानी है तू तो।” 

“उसमें नहीं लिखा है, पर मैं बता रहा हूँ, स्मार्ट बनने का अधिकार सबके पास है।” छोटू कुटिलता से मुस्कुरा दिया। दोनों मित्र जब तक आश्चर्य के समुद्र में गोते लगा कर बाहर आते तब तक छोटू ने जेब से मोबाइल निकाला और रील्स चलाकर देखने लगा।


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