उसने अपनी फैक्टरी में कई बाल मजदूर रखे हुए थे। उन बाल मजदूरों के साथ गुलामों से भी बदतर व्यवहार हुआ करता था।
उस दिन एक नन्हा लड़का खुद ही उस फैक्टरी मालिक के पास आया और काम माँगने लगा। मालिक को बड़ी हैरत हुई। उसे मालूम था कि बाल मजदूर खोज निकालना आसान नहीं होता। इसके लिए पेशेवर दलाल होते है,जो फैक्ट्री मालिकों से अच्छी रकम वसूलते है। तभी वे बच्चों का जुगाड़ करते है। अबकोई बच्चा खुद ही आ गया तो उसे क्या? उसने बच्चे को काम पर रख लिया।
अगले ही दिन उस नन्हें बच्चे की माँ आ धमकी और उसने अपने बच्चे को वापिस माँगा। मालिक डर गया और उसने बच्चे को वापिस जाने के लिए कहा। मगर बच्चा तैयार नहीं हुआ। माँ उस बच्चे को घसिटने लगी। बच्चा रोने लगा, ‘‘मुझे नहीं जाना,नहीं जाना।मैं यहीं ठीक हूँ।’’
मालिक ने भी बच्चे को बहुत समझाया। मगर बच्चा टस–मस नहीं हुआ। उसने अपनी माँ से कहा, ‘‘मुझे घर पर कौन- सा आराम है? दिनभर पेलती रहती हो। खाने को रूखा–सूखा डाल देती हो, मुझे नहीं जाना।’’
बच्चा नहीं गया। फैक्टरी मालिक अब भी हैरत में था। उसने उसकी माँ की असलियत पता कराई। मालूम हुआ, वह उस बच्चे की सौतेली माँ थी।
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हालात
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