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Channel: लघुकथा
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हिसाब

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दुई किलो आटा और सौ ग्राम दाल दै दो। “ 

हम तो देने के लिए बैठे हैं धनिया लेकिन बदले में हमें भी तो कुछ मिले । “ 

खूब समझती थी बनिये का मतलब लेकिन जब्त कर गई “एमकी दशहरा पर सारा अगला पिछला चुकता कर देंगे , सरितिया के बाउ बोले हैं फोन पर चिंता मति करो।” 

बनिया ने खींसें निपोरी ” पैसे तो देर सबेर आ ही जाएँगे भागे थोड़े जा रहे हो गाँव छोड़कर और अब तो बिटिया भी कालेज जाने लगी होगी , तू क्यों हाड़ तोड़ती है, उसी को भेज दिया कर सामान लेने फुर्र से ले आया करेगी साइकिल से ।” सामान देते हुए बनिए ने हाथ पकड़ने की असफल कोशिश की , लेकिन उसने तेजी से हाथ खींचते हुए कहा” उसके पास कहां टैम है कालेज के बाद उ का कहते हैं भौकसिंग सीखने जाती है कह रही थी मेरीकोम बनेगी।” 

बनिए पर मानों किसी ने गर्म तेल डाल दिया हो उसने दाँत भींचते हुए कहा ” उसके बाप से कहना अब तक का हिसाब पाँच हजार सात सौ हो गया है। “ 

धनिया मुस्कुराते हुए सोच रही थी चलो पैसे का छोड़कर सब हिसाब अब बराबर हो गया ।

-0-ग्राम+पो०- शाहपुर  उण्डी (पटोरी),जिला- समस्तीपुर (बिहार)पिन –848504  ;मो०- 9718805056 ; ई-मेल-kumargouravindore@gmail.com


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