Quantcast
Channel: लघुकथा
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2485

रिश्ते

$
0
0

शाम सिगरेट के आखिरी कश सी धुआँ हो बुझती जाती है ।

तेज़ी से जाती कार का चमकता व्हील कवर मुझे यूँ मालूम हो रहा था जैसे चाँद उसमें लपेट दिया गया है और बेरुखी का दर्द लिये वह, पहिए से लिपटा , घिसटता जा रहा है । देखते-देखते वह मर्सिडीज़ मेरी आँख से ओझल हो गई ।

चाँद का ओझल हो जाना तय ही होता है !

मुझे कहीं पँहुचना था… पर याद न आया जाने कहाँ ..
यहाँ से राहें ज़रा नीचे जाती हैं ,मैंने एक्सीलेटर इस्तेमाल न किया, मुझे कभी लगता , कार कंचा है और मैं उसमें खींची वो दो रंग की लकीर जो उसे कुछ अलग शक्ल ,अलग पहचान दे रही है ।

जब कहीं थमी उकता जाती हूँ ,तब कार को बेतरतीब -सा ज़िंदगी की सड़क पर कंचे सा लुढ़का देती हूँ ।
कंचा जिसका कंट्रोल मेरे पास होते हुए भी नहीं होता।
विंड स्क्रीन गंदी नहीं है फिर भी वाइपर वाटर इस्तेमाल किया उसे और चमकाने को ;पर उससे क्या होगा , हम जो देखना नहीं चाहते ,उसे हमेशा देखकर भी अनदेखा कर देते ही हैं।

स्क्रीन पर नम्बर फ्लैश हुआ !
कुछ पल कशमकश का आलम रहा !
फिर आखिर उठा ही लिया ।
कुछ हफ्तें बीते हैं या महीने , मेरी याद में इनका हिसाब न था;पर उसे था ।
उफ्फफ!!! ये मोहब्बत करने वाले ।
मैंने चुपचाप सब शिकायतें सुन ली ,तो‌ खीझ से भरी आवाज़ फिर गूँजी-“बोलो कुछ ?”

“इतने तंज़ करने बंद कर दो‌ ,पता चल जाता है ,तुम्हें आज भी मोहब्बत है मुझसे।”

कुछ जवाब न आया 
मुझे पता था फोन के उस तरफ एक कड़वी मुस्कुराहट है ।

कड़वी मुस्कुराहटें दुनिया की सबसे सच्ची शय ह॥

दिल ने पूछा तुम इतना इसकी सह क्यों लेती हो !
फिर वही बाद मुद्दत के याद आई किसी की कही बात-‘जो देता है , उसका हाथ ऊपर होता है’

उसने मुझे क्या न दिया !
हद मोहब्बत, सँभाली न जाए ! इतनी केयर , प्यार से प्यारा अपनापन…और मैंने…
कभी कुछ भी नहीं , मेरा पास कुछ कभी था ही नहीं देने को 
रिसिविंग एंड वाला कम से कम तंज़ सह लेने- सी सस्ती कीमत तो दे ही सकता है ।

कार कंचे -सी ढलान से लुढ़की जाती है और ज़िंदगी भी ।

तुमने इस बात की परवाह कब की जानेमन ! अब भी जाने दो।

-0-


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2485

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>