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हिन्दी लघुकथा लेखन में बहुत-सी संभावनाएँ

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सुकेश साहनी और रामेश्वर काम्बोज‘हिमांशु’जी के संपादन में अयन प्रकाशन से प्रकाशित 64 रचनाकारों की लघुकथाओं का संकलन ‘लघुकथा अनवरत’ निःसंदेह एक प्रशंसनीय और सराहनीय प्रयास है। इन्हें फेसबुक मित्रों की लघुकथाएँ कहा गया है। बेशक संकलित लेखक नेट पर ब्लॉग और फेसबुक से भी जुड़े हुए हैं ;लेकिन इन संकलित लेखकों की लघुकथाओं को पढ़ने पर यह साफ़ हो जाता है कि यहाँ वो हल्कापन देखने को नहीं मिलता, जो ब्लॉग और फेसबुक का खयाल आते ही हमारे जेहन में कुलबुलाने लगता है। साहित्य की किसी भी विधा का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब उस विधा से नई पीढ़ी के अधिक से अधिक रचनाकार जुड़ेंगे। इसीलिए इस संकलन में लघुकथा के जाने-माने ANAVARATलेखकों के साथ-साथ कई ऐसे बिलकुल नए रचनाकारों को भी खुले दिल से शामिल किया गया है ,जिनके रचनाकर्म से हिन्दी लघुकथा लेखन में बहुत-सी संभावनाएँ दृष्टिगोचर होती हैं। मेरा मानना है कि यदि हम भविष्य में लघुकथा का विकास देखना चाहते हैं ,तो नये रचनाकारों को संग लेकर इस प्रकार के प्रयास नियमित रूप में किए जाने चाहिए। अयन प्रकाशन और संपादक द्वय इस प्रयास के लिए निःसंदेह बधाई के पात्र हैं।
लघुकथा अनवरत: सम्पादक द्वय-सुकेश साहनी -रामेश्वर काम्बोज‘हिमांशु’, पृष्ठ: 256; मूल्य:500/-; प्रकाशक: अयन प्रकाशन 1/20 , महरौली दिल्ली-110030
-सुभाष नीरव


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