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Channel: लघुकथा
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संवेदनशीलता

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बहुत दिनों के बाद मुझे कुछ अच्छा असाइनमेन्ट मिला था। न्यूज रूम में पोप जॉन पॉल द्वितीय पर सभी स्क्रिप्ट लिखने और वीडियों एडिटिंग करवाने की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। दरअसल मैंने ही अपने बॉस को बताया था कि पोप की सेहत लगातार गिर रही है। ऐसा लगता है कि ये जल्दी भगवान को प्यारे हो सकते हैं। न्यूज चैनल के लिए ये एक बहुत बड़ी खबर होगी। ऊँचे तबके के लोगों की इस खबर पर पेनी नजर है। क्यों न पोप पर कुछ अच्छे पैकेज पहले से बनाकर रखे जाएँ। कभी इनकी मौत हो गई तो फिर हम दूसरे चैनलों के मुकाबले इसे अच्छे से कवर कर पाएंगे। बॉस को ये आइडिया पसन्द आया और उन्होंने ये जिम्मेदारी मुझे ही सौंप दी।

            ‘‘आखिरकार लम्बी बीमारी के बाद पोप जॉन पॉल द्वितीय नहीं रहे।’’ ‘‘पोप की मौत से पूरी दुनिया में शोक की लहर फैल गई है।’’ कुछ ऐसी ही शुरुआती पँक्तियों के साथ मैंने स्क्रिप्ट लिखनी शुरू की। हर दृष्टिकोण से पोप पर मैंने कई पैकेज तैयार किए।

            लेकिन पोप हैं कि गम्भीर बीमारी के बावजूद कई दिनों तक अन्तिम घड़ियाँ गिनते रहे। अब मरे,तब मरे की स्थिति थी। इसी में एक हफ्ता गुजर गया। मैं जबरदस्त मेहनत करके अब तक कई पैकेज बना चुका था। लेकिन ये पैकेज तभी चलाए जा सकते थे जब पोप की मौत हो जाए। इधर पोप न तो पूरी तरह ठीक हो रहे थे और न ही उनकी सेहत में सुधार हो रहा था। पर इस चक्कर में मैं बेकाम हो गया था। कहाँ तो मैं एक नये कान्सेप्ट के साथ आगे बढ़ने की सोच रहा था, लेकिन मेरे सहकर्मी ही मेरा मजाक उड़ा रहे थे कि साले क्या कर रहे हो। थक हारकर एक दिन मैंने तय किया कि अब सारी स्टोरी लाइब्रेरी में जमा करके किसी दूसरे एसाइनमेन्ट में लग जाऊँगा।

            एक दिन थका हारा मैं घर पहुँचा कि अचानक मेरे एक साथी का फोन आया और उसने बताया कि पोप की मौत हो चुकी है। मैं काफी खुश हुआ कि अब मेरी सभी स्टोरी चलेंगी। मैं बिना देर किए दफ्तर पहुँच गया। तब तक कई स्टोरी चल चुकी थी। सभी सहकर्मी मुझे बधाई दे रहे थे कि मैंने कितना बढ़िया काम किया है। दूसरे चैनल जहाँ पोप की वही घिसी पिटी खबर दिखा रहे थे, वहाँ हम इसका बेहतरीन करवेज सभी एंगल से कर रहे थे। कुछ सहकर्मियों ने बधाई देते हुए कहा कि लग ही नहीं रहा कि ये स्टोरी मैंने पोप की मौत से पहले लिखी है। तभी एक शख्स की आवाज सुनाई पड़ी कि यही तो एक पत्रकार की संवेदनशीलता है।

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