संवेदनशीलता
बहुत दिनों के बाद मुझे कुछ अच्छा असाइनमेन्ट मिला था। न्यूज रूम में पोप जॉन पॉल द्वितीय पर सभी स्क्रिप्ट लिखने और वीडियों एडिटिंग करवाने की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। दरअसल मैंने ही अपने बॉस को बताया था...
View Articleपसंदीदा लघुकथाएँ
स्वाध्याय का अभ्यास अथवा व्यसन तो मुझे तबसे रहा है, जब मैने पूरा वाक्य पढ़ना सीख लियाथा , परन्तु लेखन का श्रीगणेश मेरी किशोरावस्था में उपन्यास से हुआ। प्रारंभ में तीन उपन्यास लिखे,तदुपरांत...
View Articleमेहनत की रोटी
“देखो, देखो… वो भी हमारी तरह भिखमंगा ही लगता है | पर, देखो किस शान से न्यूज़पेपर पढ़ रहा है !” चलो मित्रों, चलते हैं उसके पास|” सभी भिखमंगे एक साथ उस लड़के के पास पहुँचे| “तुम भीख मांगते हो पेट भरने...
View Articleसबक/ ਸਬਕ
ਅੰਜਲੀ ਗੁਪਤਾ ‘ਸਿਫ਼ਰ’/ अंजलि गुप्ता सिफ़र ਅੰਜਲੀਗੁਪਤਾ‘ਸਿਫ਼ਰ’/ अंजलि गुप्ता सिफ़र-(पंजाबी अनुवाद : योगराज प्रभाकर) “ਛੱਪ!” ਉਸਨੂੰ ਥੋੜੀ ਉਚਾਈ ਤੋਂ ਛੋਟੇ-ਜਿਹੇ ਅਤੇ ਸੋਹਣੇ-ਜਿਹੇ ਤਲਾਬ ਵਿੱਚ ਸੁੱਟਿਆ ਗਿਆ, ਜਿੱਥੇ...
View Articleबीमार
उनके पेट में पथरी हो गई थी। बुढ़ापे में दर्द असहाय हो गया तो डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन लम्बा था। अस्पताल का छोटा-सा कमरा दिन-रात लोगों से खचाखच भरा रहता। दूर-दूर से बेटियाँ आईं। प्यार,...
View Articleपिंजड़े को पकड़कर झूलती चिड़िया
‘‘क्या कहा तुमने…? …तुम मुझे तलाक भी नहीं देने दोगी…?’’ ‘‘हाँ, ठीक सुना तुमने! तुम सोचते हो कि शादी अपनी मर्जी से करोगे और तलाक भी अपनी मर्जी से दे दोगे, तो तुम गलत हो। जो तुम आज मेरे साथ कर...
View Articleखंडन
उस फिल्म की चर्चा का कारण एक नग्न दृश्य था। दर्शकों में यह जानने की बड़ी जिज्ञासा थी कि स्वयं हीरोइन ने यह दृश्य अभिनीत किया है अथवा इसे फिल्माने के लिए किसी एक्स्ट्रा कलाकार की मदद लेनी पड़ी! इस...
View Articleक्षितिजअखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2019,इंदौर
*कोई भी कला संयम और समय के साथ ही विकसित होती है– सुकेश साहनी* *क्षितिज* संस्था,इंदौर द्वारा द्वितीय ‘अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2019’ का आयोजन दिनांक 24 नवम्बर 2019, रविवार को श्री मध्यभारत हिन्दी...
View Articleदृष्टि / दिल्ली लघुकथा अधिवेशन
दृष्टि (संपादक : अशोक जैन) का सातवाँ अंक नए विषयों पर केन्द्रित। दिल्ली लघुकथा अधिवेशन 2019( प्रतिवेदन अप्राप्त)
View Articleततःकिम’ –प्रतिकार की शक्ति से भरी- पूरी लघुकथाएँ
हिन्दी लघुकथा का व्यापक प्रसार हुआ है और बहुआयामी विविधता से नये-नये अक्स उभरकर आये हैं। नई दस्तक में डॉ. संध्या तिवारी की ‘ततःकिम’ संग्रह की लघुकथाएँ न केवल प्रभावी हैं, बल्कि प्रतिकार की शक्ति से...
View Articleअसभ्य नगर एवं अन्य लघुकथाएँ
असभ्य नगर एवं अन्य लघुकथाएँ( लघुकथा-संग्रह), मूल्य: 200 रुपये,द्वितीय संस्करण: 2013, प्रकाशक: अयन प्रकाशन 1 / 20, महरौली, नई दिल्ली-110030 हिंदी-लघुकथा सन् 1874 में हसन मुंशी अली की लघुकथाओं से विकास...
View Articleखुशी
(पोलिश लघुकथा ) लड़के की आँखों में एक सपना तैर रहा था। एक सुहावना सपना-‘बाबा मैं चाहता हूँ मेरे पास खूब पैसा हो। तब मैं बहुत खुश रहूँगा।’ लड़के की उम्र यही कोई दस बरस होगी। उसने एक मैला-सा कमीज और...
View Articleধারণা / धारणा
মূল লেখক – রামেশ্বর কম্বোজ অনুবাদ – আরতি চন্দ * ধারণা * এই শহরে আমি এক্কে বারে নতুন এসেছি । এক্কে বারে অচেনা অনেক দৌড় ধূপ করে পাশের পাড়াতে বাড়ি খুঁজে নিয়েছি । পরশু দিনই পরিবার কে ও...
View Articleलघुकथाएँ:राममूरत ‘राही’
1-बोहनी एक गरीब-से दिखने वाले वृद्ध से जनरल कोच में एक पुलिस वाले ने पूछा-‘‘टिकट दिखाओ।’’ ‘‘तो चलो थाने….’’ इतना कहकर पुलिस वाले ने उस वृद्ध की बाँह पकड़ी और कोच के एक कोने में...
View Articleलघुकथा का प्रभाव
सतर-अस्सी के लघुकथा आंदोलन ने बहुतों को उद्वेलित किया था। पहचान को तरसती, लड़ती-झगड़ती लघुकथा को आख़िर अलग पहचान, उचित सम्मान-स्थान मिल ही गया। कोई नामकरण करता था – लघु कहानी, कोई लघु व्यंग्य, कोई लघु...
View Articleएहसास-हरदर्शन सहगल
जैसे ही जाग खुली तो घबरा गई, ‘’लो आज फिर देर हो गई।’’ जैसे तैसे चप्पलों में पैर फँसाती हुई, दूध वाले के बाड़े जा पहुँची। टीन का बड़ा दरवाजा अब तक बंद था। बार–बार जोर–जोर से बजाती रही। अंतत: दरवाजा...
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