ऑपरेशन हॉल में भगदड़ मच गई।नर्सें भाग खड़ी हुईं।डॉक्टर थर-थर काँपने लगे, चिकित्सा के इतिहास में पहली घटना थी, जब दिल ने विद्रोह कर अपनी तरफ से क्रांति का झंडा उठाया।
जैसे ही बॉडी खुली, दिल कूदकर फर्श पर खड़ा हो गया और फर्श पर चलता हुआ बाहर निकल गया।उसने बाकायदा वार्डों का चक्कर लगाया।सब तरफ से घूमघाम कर एक स्थान पर पहुँचा और अचानक तड़पने लगा और कुछ पलों बाद वहीँ खड़ा हो गया।
डॉक्टर दूसरे रोज पेशेंट के घर पहुँचे तो उनके पीए ने झुकते हुए बताया कि वह बड़े भावुक और संवेदनशील पुरुष थे।सेवा मात्र उनमें कूट-कूट कर भरा था।इसी वजह से अस्पताल के ठेकेदार को उन्होंने सीमेंट का स्पेशल कोटा सेंक्शन करवाया था।पर बदकिस्मती से जैसे ही अस्पताल बना मिनिस्ट्री उतर गई।
आपने उन्हें बेहोश तो कर दिया; मगर उनका दिल चेतन था। जैसे ही उसने मौका पाया उछल कर बाहर निकला।उसने सारे अस्पताल का निरीक्षण किया और उस जगह तड़प -तड़प कर दम तोड़ दिया, जहाँ किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा इस अस्पताल के उद्घाटन का शिलालेख लगा था।