धुँधली-सी तस्वीर
‘‘लो, चाय पियो।“चाय लाते हुए मैंने कहा। ‘‘अरे!…मैं बना देती।आपने क्यों तकलीफ की।“वह चाय का कप हाथ में लेते हुए बोली। बमुश्किल इक्कीस-बाईस की उम्र होगी उसकी। अभी-अभी बी.एस-सी. पास करके एम.एस-सी. में...
View Articleफिर कभी…
एक विषाणु ने पूरे विश्व में तबाही मचा रखी थी। डबल ड्यूटी कर, दिन भर का थका हारा, सुकून और कर्तव्य-दृढ़ता से लबालब, अपनी जान की परवाह किये बिना करीब एक दर्जन मरीजों को रोग मुक्त कर चुका, डा. त्यागी...
View Articleरुआब
कुल्लू शहर के ढालपुर मैदान के एक कोने में एक छोटे-से खोखे में चाय-पकौड़े के साथ मोमो, मैगी और ऑमलेट बनाकर बंटी अपनी आजीविका चला रहा था। उसके पास एक ही टेबल था, जिस पर चार लोगों से ज़्यादा नहीं बैठ...
View Articleरास्ते
द्वार पर साइकिल आकर रुकी। वह दौड़कर अपने पापा के पास पहुँच गया। अपने कंधे से झोला उतारकर उन्होंने बेटे को थमाते हुए बड़े प्यार से कहा, ‘‘तेरे लिए संतरे लाया हूँ।’’ वे साइकिल एक किनारे खड़ी...
View Articleबिसात
‘‘एक एफ.डी.बनवानी है।’’ दो-तीन स्वर टकराते-से बोले। मैंने नज़र उठाकर देखा-दो महिलाएँ, एक पुरूष। पलभर में ही भाँप गई-सास-बहू और बेटा हैं। इसे इस तरह भी कहा जा सकता है-माँ, बेटा और बहू या फिर माँ और...
View Articleस्मृति शेष : लघुकथाकार कृष्णानंद कृष्ण
1-समय के सच को कथानकों के माध्यम से रचना संसार गढ़ने में माहिर थे कृष्णानंद कृष्ण डॉ.ध्रुव कुमार प्रसिद्ध लघुकथाकार, कवि , समालोचक और अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के 18 वर्षों तक अध्यक्ष रहे श्री...
View Articleपश्चाताप
ऑपरेशन हॉल में भगदड़ मच गई।नर्सें भाग खड़ी हुईं।डॉक्टर थर-थर काँपने लगे, चिकित्सा के इतिहास में पहली घटना थी, जब दिल ने विद्रोह कर अपनी तरफ से क्रांति का झंडा उठाया। जैसे ही बॉडी खुली, दिल कूदकर फर्श...
View Articleमण्टो की लघुकथाओं का यथार्थबोध
उर्दू कथा–साहित्य में प्रेमचंद के बाद की पीढ़ी में सबसे बड़ा एवं असरदार नाम सआदत हसन मण्टो (1912–55) का है, जो अपने लेखन से न केवल सदैव विवादों में रहे, बल्कि जिसने पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से अपने...
View Articleलघुकथाएँ
1-होली होली का दिन था।रंग-गुलाल का त्यौहार।उसे पति की याद आ रही थी।अचानक सीमा पर आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गयी थीं।इसलिए सबकी छुट्टियाँ कैंसिल कर दी गई थीं। पहली होली पर पति के न आ पाने से उसका मन आज...
View ArticleClinging to a Cage from Outside
Translated from the Original Hindi by;Kanwar Dinesh Singh “What did you say…? You won’t even divorce me…?” “Yes, you heard me right. If you think you will marry on your own free will and give a...
View Articleकारण
सड़क पर हल्का प्राकृतिक प्रकाश था। पत्नी के साथ मित्र के घर में प्रवेश करने के लिए जैसे-ही उन्होंने दरवाजा पार किया, जीने पर घुप्प अंधेरा नजर आया। बाहर के हल्के प्रकाश ने पाँच-छह सीढियाँ...
View Articleप्यार की जीत
पाँच वर्ष हो गए रीना के अन्तर्जातीय विवाह को। सुख-दुख, तीज-त्यौहार में ही रीना मैके जाती है। सम्बन्ध औपचारिक ही है। लेकिन इधर पिता के बीमार पड़ने के कारण रीना हफ्ते में एक-दो बार मैके आ जाती है,...
View ArticleAwareness
Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh “Aunty, I want a full month’s leave. My brother’s son is getting married. It’s been a long time since I visited him. If I go to the wedding...
View Articleलघुकथा के वर्तमान परिदृश्य
वनिका पब्लिकेशन के मंच से ( लघुकथा के वर्तमान परिदृश्य पर बी एल आच्छा) Posted by Vanikaa Publications on Friday, 29 May 2020
View Articleजल संरक्षण
सीमा आज वह बहुत खुश थी। उसने प्रार्थना सभा में जल संरक्षण पर भाषण दिया था। भाषण सुनकर सभी ने जोरदार तालियाँ बजाईं। साथी अध्यापकों ने उसकी भाषण- कला की तारीफ की। दुबेजी बोले “वाह सीमा मैडम! क्या...
View Articleज़ंजीर
पहले कुत्ते ने दूसरे कुत्ते की तरफ देख कर कहा,-“यार,इस तरह दूसरों की जंजीर में बँधकर अपना जीवन क्योँ बरबाद कर रहे हो?मेरी तरह आजाद रहो…कब तक अपनी वफादारी दूसरों के टुकड़ों पर बेचते रहोगे?” दूसरा...
View Articleभविष्य
(अनुवाद:ब्रह्मदेव) विलियम की ‘भविष्य की यात्रा’ की पूरी तैयारी थी। उसे कैमरा, एक टेप–रिकार्डर तैयार करके दे दिया गया था। उस रात हमने उसकी सफल यात्रा की सद्भावनाओं के जाम पिए। जब वह जाने लगा, मैंने...
View Article‘लघुकथा कलश’ (जनवरी-जून02020)
लघुकथा कलश’ का ‘राष्ट्रीय चेतना महाविशेषांक’ (जनवरी-जून 2020)
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