Quantcast
Channel: लघुकथा
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

नई- विरासत

$
0
0

“माधव.. कौन है रे?” -सेठ ने अपने नौकर को किसी से बात करते सुनकर पूछा।

” हमार बिटवा है, मालिक, कागज पर अँगूठा लगवाने आया है।”

” अच्छा!…. तेरा बेटा तो काफी बड़ा हो गया है।”- बच्चे को ऊपर से नीचे तक देख कर सेठ ने कहा।

“जी मालिक, सब ईश्वर की कृपा है।”- माधव ने हाथ जोड़कर आसमान की तरफ देखते हुए कहा।

” माधव. .. लाया कर अपने बेटे को, अपने साथ काम पर, सिखा इसे भी, हमारी हवेली के तौर- तरीके, यहाँ के लोगों की पसंद -नापसंद।”

” नहीं मालिक, ये तो पढ़ने जाता है। ”

“अरे!  … पढ़कर करेगा  क्या? अपनी तरह काम -काज सिखा। आखिर तेरे बेटे को भी तो,  हमारे बेटे की तरह, हमारी विरासत ही  संभालना है।”- सेठ ने अपनी मूँछों को सहलाते हुए कहा।

“नहीं मालिक, अब समय बदल चुका है, तो विरासतें भी बदलना चाहिए।”

” क्या मतलब?”- सेठ ने कंधे से सरकते अंगोछे को सँभालते हुए कहा।

” हमारे पुरखों की गलती हम थोड़े ही दोहराएंगे।”- कहकर माधव ने स्कूल का बस्ता, बेटे के कंधे पर टांग दिया।

-0- पता–अर्चना राय, C/o आदर्श होटल पंचवटी,भेड़ाघाट जबलपुर (म. प्र .)- 483053

  ईमेल-  archana.rai1977@gmail.com

-0-


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2466

Trending Articles