- आज सुनीता बेहद ही प्रसन्न थी । मुख्यद्वार के सामने बैठी हँस–हँसकर फोन पर अपनी खुशी का इज़हार रिश्तेदारों और दोस्तों से कर रही थी । सभी लोग उसके बढ़े हुए वेतन पर बधाइयाँ दे रहे थे । इस बीच काम वाली बाई दरवाजे पर दिखाई दी । सुनीता का सुर और भाव-भंगिमा अचानक बदल गए ।
“ हाँ रश्मि, ‘देखो पर महँगाई कितनी बढ़ गई है! जितना मिलता वो भी कम पड़ जाता है ।‘
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