हिन्दी लघुकथा में प्रतिबिंबित पारिवारिक जीवन
परिवार समाज की महत्त्वपूर्ण इकाई है। परिवार के उद्भव एवं विकास के संबंध में विचारकों में मत वैभिन्न्य हो सकता है पर यह निर्विवाद है कि व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में परिवार की भूमिका...
View Articleगुजराती -अनुवाद
डॉ. तृप्ति जोशी गुजरात विद्यापीठ से अनुवाद में एक साल का पी.जी. डिप्लोमा का कोर्स जो कर रही हैं। इसमें एक पेपर परियोजना का होता है, जिसके अंतर्गत किसी भी किताब से 50 पृष्ठ का अनुवाद करना हैं।...
View Articleअन्तर
(अनुवाद :सुकेश साहनी) मैं अपने मृत नौकर को दफना रहा था, तभी कब्र खोदने वाला मेरे पास आकर बोला, “यहाँ मुर्दों को दफनाने के लिए आने वाले तमाम लोगों में आप मुझे बहुत अच्छे लगे।” सुनकर मुझे खुशी हुई,...
View Articleहिन्दी लघुकथा : शिल्प एवं सम्प्रेषण- कला
यह आलेख अपरिहार्य कारण से बाद में प्रकाशित किया जाएगा। सम्पादक द्वय
View Articleहिन्दी लघुकथा: शिल्प एवं सम्प्रेषण-कला
हिंदी साहित्य में लघुकथा को विगत कुछ दशकों में एक सशक्त साहित्यिक विधा के रूप में विकसित किया गया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि वर्तमान समय में लघुकथा साहित्य में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों की...
View Articleनई पुस्तकें
कितने भस्मासुर(लघुकथा-संग्रह): योगेन्द्र शर्मा, संस्करण -प्रथम 2022, मूल्य-200/- पृष्ठ– 80 प्रकाशक: नमन प्रकाशक,4231/1, अंसारी रोड,दरियागंज,नई दिल्ली-110002 सबसे ऊँची ज़मीन (लघुकथा-संग्रह): हरभगवान...
View Articleलघुकथा.com मेरी पसंद
लघुकथा विमर्श के रूप में लघुकथा.com मेरी पसंद -5 प्राप्त हुई, जिसका संपादन सुकेश साहनी जी और रामेश्वर काम्बोज जी ने किया है। जो विधा हमें अतिप्रिय होती है, उसके बारे में कुछ भी पढ़ना, जानना परमसुख...
View Articleलघुकथाएँ वर्तमान समय की माँग हैं
क्या लघुकथाएँ साहित्य का भ्रम हैं? अगर हाँ तो पाठकों और लेखकों को इस भ्रम में उलझना चाहिए! लघुकथाएँ वर्तमान समय की माँग हैं और जरूरत भी। हालाँकि, साहित्य सृजन के हर युग में इस विधा की सार्थकता रही है।...
View Articleलघुकथाएँ
1-बुरे मौसम में सारे घर में अफ़रा-तफ़री मची हुई थी।‘‘अभी तो यहीं थी, कहाँ चली गई? हे भगवान! कहाँ ढूँढूँ?’’राधा का कलेजा मुँह को आ रहा था। माथे पर पसीनें की बूंदे उभर आईं। हथेलियाँ पसीज...
View Articleफ़ादर्स डे/ बबा कौ दिनु
ब्रज अनुवादः रश्मि विभा त्रिपाठी स्कूल मैं लला के दाखिले कौ फारम भरत भए प्राचार्य नैं पूछी, “लला के बबा कौ नाँउ?”“काहे, का अटक परी बबा के नाँउ की?”बिंग्य तैं, “तौ पतौ नाहिं?”“पतौ काहे नाहिं, मैया कौ...
View Articleतपती पगडण्डियों के पथिक
साहित्यिक संस्था नारी अभिव्यक्ति मंच ‘ पहचान ‘ फरीदाबाद ने जो शब्द-यज्ञ रचाया था, उस यज्ञ के धुएँ से जन्मा ऐसा प्रकल्प है, जिसकी अवधारणा को पूर्ण बनाने में विख्यात लघुकथाकार कमल कपूर ने गुरुतर...
View Articleशीतल
शीतल के पिताजी जलती ऑंखों से घर में घुसे। शीतल की माँ तनावग्रस्त हो गईं- “आज फिर कुछ हो गया लगता है”, उन्होंने मन ही मन सोचा। तब तक शीतल के पिताजी ने शीतल को पुकारा-“शीतल” “आती हूँ पिताजी” “जी...
View Articleबाँझ
संदीप ने नीचे आकर स्कूटर स्टार्ट किया, मीता पीछे-पीछे आई और खाने का डिब्बा हाथ थमा दिया। लगभग रोज़ ऐसा ही होता था। मीता संदीप को सड़क तक जाते देखती, हाथ हिलाकर बाय-बाय करती फिर आ जाती ऊपर। संकरी सी...
View Articleज़माने से आगे
‘‘अरे वाह! तिमंजिला बनवा लिया भाई, बढ़िया है।’’ ‘‘सब सरकार की देन है।’’ ‘‘समझा नहीं भाई साहब।’’ ‘‘आवास का पैसा मिला है।’’ ‘‘तुम्हारा तो एक मंजिला भवन बना था। फिर क्या दो मंजिला, तिमंजिला के लिए भी...
View Articleप्रतीक्षा
एक तरफ़ जहाँ उन्नति सम्पन्नता पीठ पर लादे दौड़ रही थी। वहीं सड़क किनारे ग़रीबी लाचारी में लिप्त पेड़ की छाँव में बैठी उन्नति से हाथ मिलाने की चाह में तड़प रही थी। गाँव से हाइवे का फ़ासला ज़्यादा नहीं...
View Articleजल-समाधि
सब तरफ केवल जल ही जल था, जो धीरे-धीरे उसके पांव से होता हुआ उसकी कमर तक पहुँच रहा था। धरती जल समाधि लेने की तैयारी में थी और अपने ही सलीब को हाथों में थामें डूबने को आतुर थी, मानों उससे भी अब यह सब...
View Article‘तोता’लघुकथा की सृजन -प्रक्रिया
[आकारगत लघुता, लघुकथा की पहचान है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि लघु होने के कारण लेखकों ने इसे आसान विधा समझ लिया। इस आपाधापी में एक ऐसा वर्ग शामिल हो गया, जिसके पास न भाव-विचार-कथ्य है, न कामचलाऊ भाषा।...
View Articleखोज
(अनुवाद :सुकेश साहनी) मेरी आत्मा और मैं विशाल समुद्र में स्नान करने के लिए गए। किनारे पहुँचकर हम किसी छिपे स्थान के लिए नज़रें दौड़ाने लगे। हमने देखा एक आदमी चट्टान पर बैठा अपने झोले से चुटकी–चुटकी...
View Articleदिशाभ्रम
(स्वर: ॠतु कौशिक) लघुकथा सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिएगा- दिशाभ्रम
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