Completely Ready
Translated from the Original Hindi byKanwar Dinesh Singh The boy reached the door of the office after great effort, but he was stopped at the door itself. “Why are you stopping me?” The boy asked....
View Articleअप्सरा
मनोरमा को बेडरूम में पहुँचने में कुछ ज़्यादा ही देर हो गई। मेहमानों के जाने के बाद रसोई और डाइनिंग टेबल की साफ़ सफ़ाई में काफ़ी वक़्त लग गया। सबसे कठिन काम तो नान वेज के बर्तनों को धोने माँजने का था।...
View Articleसाँचे
(लघुकथा के नियम और स्वरूप तय करने वाले विद्वानों को सादर समर्पित) सड़क किनारे की उस दुकान में देवी-देवताओं की, ग्रामीण एवं शहरी स्त्रियों की बहुत सी मूर्तियाँ थीं। सब की सब साँचे में ढली...
View Articleममता का स्वाद
ऑफिस से घर आकर विभोर ने देखा कि आज भी डाइनिंग टेबल पर, अंकित की पसंद की ढेर सारी खाने की चीजें रखी हुई थी; लेकिन अंकित कुछ भी ठीक से नहीं खा रहा था। विभोर को देख रति परेशान होते हुए उससे बोली- “देखो...
View Articleनई पुस्तक
1-वे परिन्दे नहीं लौटते (लघुकथा- संग्रह)-हरभगवान चावला, मूल्य 195/-, पृष्ठः128 , प्रकाशक: वेरा प्रकाशन, जयपुर 2-अँधेरे गलियारे (लघुकथा- संग्रह)- सुरेश वशिष्ठ, ,वर्ष-2024,पृष्ठ;168, मूल्य-450/-,...
View Articleमीठे बोल
आज सुबह स्त्री गुनगुनाते हुए नींद से जागी थी। उठते ही रसोई में लग गई। पुरुष को उसकी प्रसन्नता व गुनगुनाहट शिशिर ऋतु की खिली हुई नरम धूप के समान लगी। वह उसकी गुनगुनाहट में खोने ही वाला था कि उसके मन...
View Articleचर्चा में
संरचना-17 (सम्पादकः कमल चोपड़ा), वार्षिकी ‘भीड़ में गुम आदमी’(युगल) का विमोचन( सम्पादकः अशोक भाटिया)
View Articleनई पुस्तकें
हाइवे (लघुकथा संकलन) : शेफालिका श्रीवास्तव, प्रकाशन-अपना प्रकाशन, लघुकथा शोध केंद्र समिति, 54 / ए सेक्टर-सी, बंजारी, कोलार रोड, भोपाल-462042, संस्करण-प्रथम 2025, मूल्य 280 / -, पृष्ठ 102 –अनुत्तरित...
View Articleनैतिक मूल्यों को बचाए रखने की अपील करती लघुकथाएँ
वर्तमान में साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सशक्त विधा के रूप में स्थापित हो चुकी है लघुकथा। अज्ञेय कहते है- “लघुकथा एक कोमल एवं एकांगी विधा है जिसमें संयमता, सूक्ष्मता, सहजता और संक्षिप्तता का...
View Articleलघुकथाएँ
1-उदयनारा लगाती और मुट्ठियाँ भांजती भीड़ अचानक ठिठककर रुक गई। कुछ ही दूरी पर बन्दूक संभाले सिपाहियों की कतारें थीं और उनका सरगना एक मैजिस्ट्रेट ध्वनि-विस्तारक यन्त्र के माध्यम से आगे न बढ़ने की...
View Articleलघुकथा-यात्रा की अशेष कथा
लघुकथा की यात्रा मानव-स्मृतियों, शब्द और भाषाओं के मानव परिचय- काल से है। लघुकथा मानव-ज्ञान की चिरसंगी रही है। लघुकथा मानवीय-कथ्य- शिल्प का मूल है। इसके चारों ओर ही कहानी, उपन्यास, निबंध और नाटक का...
View Articleसाधारण-असाधारण
स्कूल के बरामदे में रोहन एक बेंच पर बैठा है और कुछ सोच रहा है । रोहन बारहवीं का छात्र है । रमेश रोहन के पास आते हैं । रमेश पचास साल के हैं और स्कूल में चपरासी हैं । रमेश ने पूछा, “बेटा, क्या बात है?...
View Articleपढ़ेगा कौन?
“क्या बात है यार दीपिका, तू बहुत खुश नज़र आ रही है।” लिटरेचर फेस्टिवल खत्म होने के बाद कार से होटल लौट रही फिल्म अभिनेत्री एवं लेखिका दीपिका की सहेली प्रमिला ने उसके चेहरे पर खुशी के भाव देखकर...
View Articleचश्मे
बेबी लगातार रोए जा रही थी। हुआँऽऽ-हुआँऽऽऽ का स्वर धीरे-धीरे ऊँचा होता हुआ घर के सभी बंद दरवाजों वाले कमरों में घुस गया। …और फिर धड़ाधड़ सभी दरवाजे खुले… दरवाजों से निकले कई जोड़ी चश्मे। “क्या हो...
View Articleदृष्टि
पहले के जमाने में बच्चों के स्कूल की छुट्टियाँ होते ही ननिहाल जाना एक रिवाज़ -सा था। ननिहाल के संयुक्त परिवार में बहुत सारे सदस्य होते। ममेरे, मौसेरे बहन- भाई सब मिल धमाल मचाते। बड़े लोगों के हथाइयों...
View Articleसर!
महानगर के इतिहास में पहली बार जिलाधिकारी के पद पर महिला का चयन हुआ। बात खबरों की सुर्खियों में थी। मर्दों के बीच कुछ ज्यादा ही चर्चा का विषय भी। कुछ ही दिनों में आवश्यक कार्यवाही पूर्ण होते ही...
View Articleबंधन
आज नीरू बहुत ही खुश थी। पंख होते तो उड़कर घर पहुँच जाती।“कैसी हो नीरू?”नीरू के कदम आवाज़ सुनकर ठिठक गए। जैसी पीछे मुड़कर देखा तो ठगी-सी खड़ी रह गई। बस इतना ही बोल पाई,”ठीक हूँ प्रवेश। तुम यहाँ...
View Articleखानदानी
मेरी पत्नी चीखकर बात शुरु करती और शीघ्र ही आपा खो बैठती। कभी -कभार मुझे उसकी चीख जायज़ भी लगती। मैं महसूस करता हूँ, संयुक्त परिवार के प्रति मेरा मोह एक सीमा की माँग करता है, परन्तु मेरी पत्नी इस...
View Articleअपना- अपना धर्म
आसमान से बरसती चिलचिलाती धूप, पैरों तले जलती धरती, गुम हवा, गर्मी और प्यास से व्याकुल पसीने से तर-ब-तर पथिक ढूँढ रहा था जरा सी शीतल छाँह। लंबी सूखी सड़क अलसाये अजगर-सी बिछी पड़ी थी। पेड़ों का दूर-दूर...
View Articleज़हरीली हवा / বিষাক্ত হাওয়া / অর্চনা রায়
অনুবাদক : মুরলী চৌধুরী সন্ধ্যায় অফিস থেকে বেরিয়ে আর বাড়ি ফিরে যেতে মন চাইছিল না। কারণ, স্ত্রী মেয়ে পিহুকে নিয়ে বাপের বাড়ি গেছে, আর তাদের ছাড়া ফাঁকা বাড়ি যেন আমাকে গিলে খেতে চাইছে। চায়ের খুব...
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