धारा’ से अभिषिक्त लघुकथाएँ
धारा( लघुकथा-संग्रह): वसुधा गाडगिल, अंतरा करवड़े; प्रकाशक : रश्मि प्रकाशन, 204, सनशाइन अपार्टमेंट, बी-3,बी-4, कृष्णा नगर, लखनऊ – 226023, मूल्य : 180 रुपये,पेज : 121 ‘धारा’ है तभी तो किनारे...
View Articleकटघरा
निर्मल बाबू रोज-रोज असंभव होते जा रहे उन नेताओं में से थे, जिनकी दुर्लभ प्रजाति लुप्त होने के कगार पर थी। दूसरे नेताओं के भ्रष्टाचार और घोटालों के किस्से उन्हें बेचैन कर देते थे। वे अक्सर कहते थे,...
View Articleइबादत
रमजान का पवित्र माह चल रहा था । उसी दौरान मुजफ्फरपुर से पटना आने वाली बस में एक सज्जन इत्मीनान से बैठ गए। उनकी बगल में लगभग पाँच-छह वर्ष का एक बच्चा अपनी मस्ती में मस्त था । एक अधपकी दाढ़ी वाले...
View Articleप्रिय लघुकथाएँ
अब तक पढ़ी हुई लघुकथाओं में से दो का चयन दुष्कर कार्य है। लघुकथा से मेरा परिचय 1994 में हुआ जब बिहार शिक्षा बोर्ड के नवीं कक्षा में स्वर्गीय भवभूति मिश्र की लघुकथा बची- खुची संपत्ति पढ़ी। पर यह क्रम...
View ArticleThe Closed Door
Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh The sun came out of the horizon’s lap, the child from the cradle―the same warmth, the same gusto, the same intoxication, the same...
View Articleलघुकथा-पठन
वस्तुतः साहित्य में यह एक स्वाभाविक सी बात है कि जब कोई लेखक अपने अतिरिक्त किसी और का साहित्य पढ़ता है तो उसके द्वारा साहित्य-पठन के समय, उसकी दृष्टि सहज ही एक पाठक के साथ लेखकीय रूप में परिवर्तित हो...
View Articleअनिद्रा रोग
(अनुवाद : उदय प्रकाश) वह व्यक्ति जल्दी ही बिस्तर पर चला जाता है। लेकिन उसे नींद नहीं आती है। वह बिस्तर पर करवटें बदलता रहता है। ऐसा ही होता है। वह चादर को निचोड़ता है। वह एक सिगार...
View Articleदो लघुकथाएँ
लघुकथाकार-सुकेश साहनी स्वर-संजीव पालीवाल https://www.facebook.com/paliwalsanjeev/videos/1109842346016509
View Articleकड़वाहट
“सुनो रोमा, कल बड़े भैया के साले आ रहे हैं । अपनी बेटी को लेकर। उनका अस्पताल में अपॉइंनमेंट है।” मैंने पत्नी को बताया। सुनते ही उसके चेहरे पर गुस्सा आ गया। करेले को ज़ोर से छीलते हुई वो बोली-“अब हमने...
View Articleसाइबरमैन
साइबरमैन सुकेश साहनी का तीसरा लघुकथा संग्रह है। इसकी सभी लघुकथाएँ अपने आप में मील का पत्थर -सरीखी हैं। लघुकथा लिखने वालों के लिए सुकेश साहनी की लघुकथाएँ एक ट्यूटोरियल की तरह विभिन्न शैलियों का...
View Articleनेपाली लघुकथाएँ
हरिप्रसाद भण्डारी देवता “सिस्टर ! म यहाँ आएको कति दिन भयो ?”भावुक स्वरमा अञ्जनाले सोधिन् । “पन्द्र दिन, सात दिन त आइसीयूमै बस्नुभयो ।”शिरदेखि पाउसम्म सुरक्षा कवच लगाएकी नर्सले...
View ArticleHoroscope
Translated from the Original Hindi by–Kanwar Dinesh Singh “Today is the day for making a decision; but I do not understand what to do and how to do it!” Karamchand is engrossed in this thinking. He...
View Articleलघुकथा: स्वरूप और दिशा
( कृष्णानंद कृष्ण के लघुकथा विषयक लेखों का संग्रह) पटना-सम्मेलन-88 की बात है। कार्यक्रम के बाद हम सब लघुकथा की तत्कालीन स्थिति पर विचार कर रहे थे। भगीरथ उस दौर के चर्चित एवं सक्रिय लघुकथा-लेखकों की...
View Articleमुकेश वर्मा की लघुकथाएँ
रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार के लिए चयनित ‘बलि और अन्य लघुकथाओं’ के लेखक मुकेश वर्मा का नाम हममें से बहुतों के लिए नया होगा, मगर वे उम्र, अनुभव, रचनात्मक कल्पनाशीलता और परिपक्वता के लिहाज से नए नहीं...
View Articleवापसी
सुबह से ही उन्हें अपने अंदर एक अलग ही ताजगी और जोश महसूस हो रहा था,हो भी क्यों न, आज वे आफिस एक इन्टरनेशनल ब्राण्ड की शर्ट जो पहन कर आए थे।जो उनकी पत्नी ने बचत के पैसों से, पचास पर्सेंट की डिस्काउंट...
View Articleहिन्दी- लघुकथा के विकास में कृष्णानन्द कृष्ण का योगदान-
हिन्दी-लघुकथा के विकास में जिन कतिपय पांक्तेय लेखकों ने अपनी पूरी निष्ठा से योगदान दिया है उनमें एक नाम कृष्णानन्द कृष्ण का भी है| उनका जन्म २ जुलाई, १९४७ को भोजपुर, बिहार के आरा नामक नगर के नरहीं...
View Articleसत्य की अग्निपरीक्षा
“अरे भाई कौन हो तुम और शहर से दूर यहाँ जंगल में …इस झोपड़े में क्या कर रहे हो? ” युधिष्ठिर ने वन में भ्रमण करते हुए एक झोपड़े के बाहर बैठे उदास ,लाचार से दिख रहे उस व्यक्ति से पूछा। “मैं सत्य हूँ...
View Articleकृष्णानंद कृष्ण की लघुकथाएँ
1-ममता गेट खोलकर भीतर घुसते हुए रमा देवी को देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। रमा का चेहरा सूखकर छुहारा हो गया था। केश बिखरे हुए थे। कपड़े भी मैले लग रहे थे। रमा का यह रूप देखकर श्यामा का दिल दहल उठा। एक...
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