लघुकथा का परिदृश्य
एच एस एस हिन्दी मंच केरल, मिलन 2021 के त्रिदिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन सुकेश साहनी द्वारा किया गया। उनके द्वारा ‘हिन्दी लघुकथा का समकालीन परिदृश्य’ विषय पर दिए गए वक्तव्य को निम्नलिखित लिंक पर...
View Articleबड़ा पागलखाना
पागलखाने के बगीचे में मेरी उस नवयुवक से मुलाकात हुई. उसका सुंदर चेहरा पीला पड़ गया था और उस पर आश्चर्य के भाव थे। उसकी बगल में बैंच पर बैठते हुए मैंने पूछा, “आप यहाँ कैसे आए?” उसने मेरी ओर हैरत भरी...
View Articleआयोजन –लघुकथा विमर्श का दस्तावेजीकरण
आयोजन: ,संपादक द्वय: सुकेश साहनी,रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, मूल्य:- 220/-पृष्ठ: 108, संस्करण:2021, प्रकाशक:- अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली-नई दिल्ली 110030 आज से लगभग बत्तीस वर्ष पूर्व...
View Articleजुदी देस
गढ़वाली अनुवाद; डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ “ईरान माँ कु रंदन?” “ईरान माँ ईरानी कौम रंदी?” “इंग्लिस्तान (इंग्लैंड) माँ कु रंदन?” “इंग्लिस्तान (इंग्लैंड) माँ अंग्रेज कौम रंदि?” “फ्रांस माँ कु रंदन?”...
View Articleधर्मनिरपेक्ष
गढ़वाली अनुवाद: डॉ.कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ सैर माँ दंगा ह्वेगी। घौरु पर आग लगयेणी छै। छोटा बच्चों तैं भालौ कि नोंकु परैं उच्छाँळा छा। वु द्वी चौबट्टा परैं आई गैंनि। आज सि पैलि ऊँन एक दूसरा तैं नि देखि...
View Articleलघुकथाओं का शिक्षण
बी . एस- सी .-चतुर्थ सत्र में निर्धारित सुकेश साहनी की लघुकथाओं का पाठ। लघुकथाओं का शिक्षण निम्नलिखित लिंक पर देख -सुन सकते हैं- 1मास्टर2ठण्डी रज़ाई3विजेता
View Article‘आयोजन’लघुकथा और विमर्श का संगम
(पाठकीय प्रतिक्रिया ) ‘आयोजन’ शब्द मात्र से मन, उत्साह और आनंद की कामना में डूब जाता है। यह आयोजन साहित्य प्रेमियों के लिए आयोजित किया गया हो, तो समझिए सोने में सुगन्ध हो गया। एक ऐसा ही आयोजन, लघुकथा...
View Articleचोर
(राजस्थानी में अनुवाद : अनिता मंडा) स्टेशन क कने ठेलह पर स्यूँ दस साल को छोरो मुट्ठी भर भुनेड़ा चिणा उठा र भागण लाग्यो। चिणाआळो हेला मारया, “पकड़ो, पकड़ो, चोर!” छोरो जान लगार भाग्यो, पण लोग बिने पकड़...
View Articleजीत –डॉ. अनमोल झा
मैथिली लघुकथा पिता आ पुत्रमे कोन ने कोन बाते मतान्तर भेलनि । से बेटा बहुत तमसा गेलनि। बात – चीत बन्न नहि भेलनि, आ नहि कोनो तेहन झगड़े – झॉटी। मन मोटाव धरि बनले रहल। पाइ जे बेटा मासे – मास...
View Articleलड़की पसन्द है
दृश्य प्रथम : तबले का छोटा भाग, जिसको डिग्गी कहते हैं, उस पर थाप पड़ रही थी-‘धिग धिग धा, धिग धिग धा।’ कोने में पड़ी सारंगी रो रही थी-‘रीं रीं रीं रीं।’ दृश्य द्वितीय : ‘‘तरंगीता के पापा! तुमने घर को...
View Articleजलती हुई नदी
मुझे डर लग रहा था जैसे मेरे पूरे शरीर में खुजली हो आई हो। एक बारगी तो मैं डर गया कि चेचक के दाने ही निकल आए हैं परन्तु, डाक्टर ने बताया कि मौसम बदलने के कारण ऐसे दाने उग आते हैं लोगों को,...
View Articleसुकून
‘‘सुनो, जरा एक कप चाय बनाओ।’’ स्कूल से आते ही अरविन्द ने कहा तो राधिका चौंक गई। इस समय चाय? वह भी स्कूल से आते ही! कोई साथ में है क्या?’ ‘‘नहीं यार! इच्छा है कि आज घर में भी कुछ ऐसा किया...
View Articleगहाई
वह अपने मित्र के साथ बातों में मशगूल था, तभी आवाज आई-‘‘पोस्टमैन..!’’ ‘‘तुम्हारे पास अभी भी पोस्टकार्ड आते हैं?’’ मित्र को आश्चर्य हुआ। ‘‘हाँ, मेरी माँ यह पत्र भेजती हैं।’’ ‘‘मोबाइल के जमाने में माँ...
View Articleलघुकथा को गरिमा प्रदान करने वाला कथाकार : रमेश बतरा-डॉ0 सतीशराज पुष्करणा
हिन्दी–लघुकथा के पुनरुत्थान काल के आठवें दशक में लघुकथा को जिन कुछ लोगों ने सार्थक दिशा दी है, इसे हाशिए से उठाकर मुख्य धारा से जोड़ा, उनमें रमेश बतरा का नाम अग्रगण्य है। रमेश बतरा उन दिनों कमलेश्वर के...
View Articleकतिपय लघुकथाओं पर विचार
अपना देशसत्यनारायण नाटेसत्यनारायण नाटे की लघुकथा ‘अपना देश’ गरीबी और दुर्गन्ध का एक प्रभावशाली चित्र उपस्थित करती है। यह बेबसी व लाचारी का सशक्त चित्रण प्रस्तुत करती है। एक भिखमंगे के माध्यम से...
View Articleलघुकथाएँ
1-अम्मा फिर नहीं लौटी राजकुमार निजात जब भी कोई बस आती बूढ़ी अम्मा सिर पर अपनी गठरी लादे उस में चढ़ने के लिए दौड़ पड़ती लेकिन कुछ संस्कारहीन लोग उसे पीछे धकेलते हुए बस में चढ़ जाते ।...
View Articleगहन संवेदना की लघुकथाएँ
1 गाइड : डॉ कविता भट्ट- यह लघुकथा मन के बहुत से द्वार खोलती है । प्रोफेसर द्वारा शालिनी को घूर-घूरकर देखना, शालिनी का आग्नेय नेत्रों द्वारा आपत्ति जताना, निशा द्वारा बताई गई बातें, शालिनी द्वारा दो...
View Articleअसंतुष्ट
[अनुवाद : सुकेश साहनी] एक समय शहर के प्रवेशद्वार पर दो देवदूत मिले। आपस में दुआ–सलाम के बाद वे बातचीत करने लगे। पहले देवदूत ने कहा,‘‘आजकल क्या कर रहे हो? तुम्हें क्या काम मिला है?’’ दूसरे ने बताया,...
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