शर्त
गंगावन अपना काम निबट कर आज कुछ जल्दी घर लौट आया था। उसने स्कूल का बस्ता घर में पड़ा देखा तो उसकी भौंहें चढ़ गई ‘‘पूर्ति, आज सगुना को जल्दी छुट्टी हो गयी क्या?’’ उसने पत्नी से पूछा।...
View Articleपुस्तक लोकार्पण
1-दिशा प्रकाशन द्वारा शकुन्त दीप की स्मृति में पुस्तक लोकार्पण -कार्यक्रम 2-प्रदीप मोघे द्वारा अनूदित ‘घाबरलेली माणसे’ के द्वितीय संस्करण का विमोचन चर्चित लघुकथा संग्रह ‘डरे हुए लोग’ क़ा मराठी अनुवाद...
View Articleनई पुस्तकें
फाउण्टेन पेन (लघुकथा संग्रह) : पवन जैन,प्रकाशक : अपना प्रकाशन,सुभाष कालोनी,गोविंदपुरा,भोपाल-462023 , संस्करण : प्रथम 2021 , मूल्य :370 /- ,पृष्ठ :120सफर एक यात्रा (लघुकथा संग्रह) : सुरेंद्र कुमार...
View Articleछोटे-छोटे सायबान
रचना पढ़ते हुए सच्चाई से रूबरू होता प्रबुद्ध पाठक लघुकथा से एक जरूरी किस्म की अर्थवत्ता की मांग करता है और अगर लघुकथाकार स्वयं एक ख्यात समीक्षक हो तो पाठक की यह आस स्वतः ही पूर्ण हो जाती है।ऐसा...
View Articleखूबसूरत
लघुकथा देखने और सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए- खूबसूरत-वाचन-नन्दा यादव
View Articleसंस्कार
‘बीना, आज आशु ने मुझे अपने शहर बुलाया है। मैं तो उस क्षण का इन्तज़ार कर रही हूँ जब मेरी नन्हीं पोती मेरी बाहों में होगी। आज मुझे अहसास हो गया कि कोई बेटा अपने माँ-बाप से दूर नहीं रह सकता। भले ही उसने...
View Articleविकास
“दस साल में कितना बदल गया गाँव!” -पक्की सड़क और घर की छतों पर लगे डिश एंटिना को देखकर मेरे मुँह से निकला। “बहुत बदल गया है। घर-घर टीवी और वाशिंग मशीन है और तो और एसी भी लग हैं अपने गाँव में।”-ई...
View Articleनई पुस्तकें
1-जी रहे बेहोश(लघुकथा-संग्रह):मुकेश शर्मा, प्रकाशक : सत्साहित्य भंडार, अशोक विहार,दिल्ली-110052, संस्करण: प्रथम-2021, मूल्य :250/-, पृष्ठ : 128 2-ज़िंदा मैं(लघुकथा-संग्रह): अशोक जैन, प्रकाशक : अमोघ...
View Articleममता
“धनिया पति हरिराम प्रजापति , तुमने थाने में रिपोर्ट लिखाई थी अपने बेटे के गुम हो जाने की ?”आज थानेदार दल बल सहित धनिया के झोपड़े के बाहर खड़ा था ।“मालिक ! दुई बरस हुए रपट लिखाय रहे , मगर कोनउ खबर...
View Articleलघुकथा: बहस के चौराहे पर’का लोकार्पण
वर्ष 1983 में डॉ० सतीशराज पुष्करणा द्वारा संपादित व प्रकाशित पुस्तक ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’ के दूसरे संस्करण का लोकार्पण दिनांक 11 सितंबर 2021 को पटना के इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियर्स के तत्त्वावधान...
View Articleकानून के दरवाजे़ पर
कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है। उस देश का एक आम आदमी उसके पास आकर कानून के समक्ष पेश होने की इजाजत माँगता है। मगर वह उसे भीतर प्रवेश की इजाजत नहीं देता। आदमी सोच में पड़ जाता है। फिर पूछता है- ‘‘क्या...
View Articleघुटन
घुटन – लेखक –रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ , वाचन-नन्दा यादव सुनने के लिए निम्नलिखित लिन्क को क्लिक कीजिए- घुटन
View Articleपुरस्कृत लघुकथाएँ, ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’का लोकार्पण
कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-13 में पुरस्कृत लघुकथाएँ -0- ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’ का लोकार्पण वर्ष 1983 में डॉ० सतीशराज पुष्करणा द्वारा संपादित व प्रकाशित पुस्तक ‘लघुकथा: बहस के चौराहे पर’...
View Articleबकी बातौ सुख
गढ़वाली में अनुवाद:डॉ. कविता भट्ट फोनै घंटी बजि!!! खुखली माँ खेल्दी छुट्टी नौनी तैं घौरवळी की तर्फां बढै़ कि तिवारी जि न रिसीवर थामी- हळकी सि खुसी वळी बाच माँ- अरे प्रभाकर-हैलो-नमस्ते-नमस्ते, कन्न छै।...
View Articleऊँचाई
तेलुगु में अनुवाद; पी. निर्मला ముాలరచయిత: రవి ప్రభాకర్. తెనుగుసేత: పారన0ది నిర్మల పరాజితయోద్ద ‘ఇదేమిటి అమ్మా యి!’ చీటీమీదనాలుగువేలు బాకీ అని రాసి ఉన్ది! ‘ టెస్ట్ హవుస్ నుండి వచ్చిన సర్దార్జీ కుర్చీలు,...
View Articleहृदय पर सीधे अंकित होती लघुकथाएँ
लघुकथा को मैं ‘लघु’ नही मानता, क्योंकि लघुकथा का प्रभाव किसी लम्बी कहानी से कमतर नही होता। यह लघुकथाकार का कला-लाघव है कि बड़ी-से-बड़ी बात को कम शब्दों में कहे, गागर में सागर भरे और पूरे ब्रह्मांड को एक...
View Articleनई पुस्तकें
1-जी रहे बेहोश(लघुकथा-संग्रह):मुकेश शर्मा, प्रकाशक : सत्साहित्य भंडार, अशोक विहार,दिल्ली-110052, संस्करण: प्रथम-2021, मूल्य :250/-, पृष्ठ : 128 2-ज़िंदा मैं(लघुकथा-संग्रह): अशोक जैन, प्रकाशक : अमोघ...
View Articleलघुकथा के पुरोधा: डॉ.सतीशराज पुष्करणा
लघुकथा नगर, महेन्द्रू पटना-800006: यह पता रहा एक लम्बे अर्से तक। कोई मकान नम्बर नहीं , गली नम्बर नहीं, बस लघुकथा नगर। यह एक ऐसे आदमी का पता रहा है , जो लघुकथा में ही जागता, लघुकथा में ही स्वप्न देखता।...
View Articleकतिपय लघुकथाओं पर प्रो. रवीन्द्रनाथ ओझा के विचार
1-प्रायश्चित महेन्द्र सिंह ‘उत्साही’ महेन्द्र सिंह ‘उत्साही’ की लघुकथा ‘प्रायश्चित’ में रचनाकार ने अपनी स्वाभाविक संवेदनशीलता व सूक्ष्म ग्राहिका शक्ति से मानव जीवन के एक सहज मनोहारी रूप का, एक...
View Articleअमानत
सारा सामान ट्रक में लादा जा चुका था। कवि शिवा आज नए मकान में जा रहे थे, ‘‘अरी गुड़िया!’’ माँ ने ऊँची आवाज में पुकारा, ‘‘चल, सारा सामान लद चुका है।’’ चार साल की गुड़िया धीरे–धीरे चलकर बाहर आ रही थी। उसके...
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