चमक-چمک
मूल: नीरज सुधांशु نیرج سدھانشو अनुवाद: राशिद अमीन नदवी ترجمہ : راشد امین ندوی گرمی کا موسم شروع ہو گیا تھا، آندھی بارش کبھی بھی آ سکتی تھی،ریما کو پریشانی تھی اپنی گھر کی چھت صاف کروانے کی، پچھلے...
View Articleअपने-अपने अर्बुद
अरविन्द के पाँव इतनी भारी कभी न हुए, उसे पहली बार अपने ही घर की चौदह सीढ़ियों ने चौदह-चौदह बार शिकस्त दी। एक-एक पायदान की अपनी-अपनी जिद। घर के बरामदे में घुसते ही उसकी कँपकँपी छूट गई। उफ! वह...
View Articleलघुकथाः सामाजिक सरोकार-3
सामाजिक जीवन और व्यवस्था सामाजिक जीवन में व्यवस्था का बहुत महत्त्व है। घर-परिवार से लेकर दफ़्तर तक, सामाजिक व्यवहार से लेकर राजनीति तक, रोज़मर्रा के सामाजिक जीवन तक, देश से लेकर देशान्तर तक। व्यक्ति के...
View Articleईश्वर की माफी / देवाकडील क्षमा
मराठी अनुवाद: अन्तरा करवड़े कर्करोगाच्या शेवटच्या टप्प्यावर असलेल्या षष्ठिपूर्ति झालेल्या रुग्णाला बघून तिच्या ह्र्दयात काहूर माजला होता। मनाचे म्हणणे होते कि कर क्षमा, पण तत्क्षण शरीरावर किळसवाण्या...
View Articleकथा-समय में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज़ कराती लघुकथाएँ’
लेखकों/पाठकों के बीच निरंतर बढ़ती लोकप्रियता के बीच ‘कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता -14 ‘ का आयोजन संपन्न हो गया है और पन्द्रहवें आयोजन(लघुकथा -प्रतियोगिता ) की घोषणा की जा चुकी है। कथादेश के...
View Articleखिड़की(लघुकथा-संग्रह): यशोधरा भटनागर
यशोधरा भटनागर का पहला लघुकथा-संग्रह आया है। नाम है -खिड़की। इन्होंने बहुत सी लघुकथाएं लिखी हैं जो इधर-उधर पत्र-पत्रिकाओं में खूब छपी रही हैं। इससे पूर्व इनके एक संग्रह ‘एल्बम’ में भी कुछ लघुकथाएं...
View Articleआरोही
अनुवाद :सुकेश साहनी)(एक)हम सभी उस पवित्र पर्वत की चोटी पर पहुँचना चाह रहे हैं। क्या हमारा रास्ता छोटा नहीं हो जाएगा अगर हम अपने अतीत को मार्गदर्शक न मानकर एक मानचित्र समझें?(दो)हम सभी अपने दिलों में...
View Articleकारोबार
टॉफी का कारोबार था। बहुत बड़ा कारोबार! उस कारोबार के बोर्ड की मीटिंग थी। वैसे तो मीटिंग में सारे डायरेक्टर साहेबान थे; लेकिन एक मैनेजिंग डायरेक्टर था,यानी एम डी! नियम के मुताबिक सबको अपनी बात कहने का...
View Articleभोर की पहली किरण
जिंदगी बीत गई थी। पति को गुज़रे भी ज़माना हो चला था। बच्चे नए सफ़र की उड़ान पर थे। वह भी अब अपने मन का करना चाहती थी। थोड़े पैसे जमा थे उसके पास। साग भाजी का खर्चा तो गाँव के खेतों से ही पूरा पड़...
View Articleपालनहार
सूरज आँखें दिखा रहा था और मेरी आँखें ग्राहकों का इंतजार कर रही थीं। खाली बैठे- बैठे झपकी आने लगी थी। तभी सड़क पर हो रही हलचल पर नजर गई। खानाबदोश परिवार अपने करतब दिखाने की तैयारी कर रहा था। पीठ पर...
View Articleबदलती प्रश्नावली
स्वाति अब सातवीं कक्षा में आ गई है। माहवारी आने के साथ उसके शरीर में अब बदलाव आने लगे हैं। स्कूल से लौटने पर मम्मी का पहले की भाँति उससे प्रश्न पूछना अब भी जारी है…”क्या स्कूल के टॉयलेट में गई थी?” “...
View Articleरोटी शो
रोचिका अरुण शर्मा वह अपनी बेटी मायरा के टैलेंट शो में चयन की खबर सोशल मीडिया, दफ्तर के मित्रों और रिश्तेदारों को देकर बदले में बधाइयाँ बटोर रहा था । मायरा की नानी ने उत्सुकता जताई- “तो फिर...
View Articleबादल
अब्दुल गनी कुछ दिनों से कहीं आते-जाते नही। कई दिनों से खेत की तरफ भी नही गए। सत्तर के आसपास उम्र हो गयी है। पहली बार उनमें यह परिवर्तन दिख रहा था। कुछ दिन पहले तक वे मिट्ठू के चाय की दुकान पर बहुत समय...
View Articleञ माने कुछ नहीं
टाट बिछी है । खिड़की पर बैठी चिड़िया भी सुन रही है श्यामपट्ट पर खड़िया से जो लिखा गया है और गले पर ध्वनि का जोर देकर बच्चे रट्टा मार रहे हैं । टीचर के हाथ में छड़ी एक – एक वर्ण से गुजरती आगे बढ़ रही...
View Articleसंवेदनाओं का डिजिटल संस्करण
2 मार्च 2021 पिताजी बहुत बीमार हैं। आप सभी की दुआओं की बहुत ज़रूरत है। (अस्पताल में लेटे बीमार पिता जी की फोटो के साथ उसने फेसबुक पर स्टेटस अपडेट किया।) 3 मार्च 2021 पिताजी की हालत लगातार बिगड़ रही...
View Articleलघुकथा-साहित्य में वात्सल्य
मुख्य रूप से, माता-पिता के हृदय में होने वाला, अपनी संतान के प्रति स्वाभाविक प्रेम-स्नेह का भाव ‘वात्सल्य’ कहलाता है। इसमें संतान के प्रति संरक्षण, विभिन्न सरोकार, चिंताएँ, सपनों की उड़ान...
View Articleगुलाबचा कप
मराठी अनुवाद: अन्तरा करवड़े सकाळच्या वेळेस वृद्ध हीरालाल स्वैंपाकघरात शिरले, तर गुलाबी कप आपल्या जागेवर नव्हता। त्यांनी प्रत्येक ठिकाणी बघितले। पण कप कुठेच नव्हता। नवीन कप तर ठेवले होते, पण त्यांचा...
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