टोकरीवाली पीठ
जब आप किसी उपनगरीय बस में सवार हों और किसी चीज के सख्त किनारों से आपके सीने या पीठ पर दर्दनाक धक्का लगे, कृप्या गाली न दें, बल्कि खपच्चियों से गूँथकर बनी उस टोकरी के खुल मुँह पर भरपूर नजर डालें, जिसके...
View Articleमेरी पसन्द
लघुकथा अपने समय की संवेदना को सबसे सरल और सशक्त रूप में पाठक के सम्मुख प्रस्तुत करने वाली गद्य विधा है। वह न केवल युगीन यथार्थ की ओर प्रभावी संकेत करती है;बल्कि एक सार्थक प्रतिरोध की भूमिका भी तैयार...
View Articleलघुकथा कलश’ :द्वितीय महाविशेषांक
योगराज प्रभाकर के संपादन में पटियाला (पंजाब) से प्रकाशित होने वाली लघुकथा को पूर्णतः समर्पित अर्धवार्षिक पत्रिका “लघुकथा कलश” के द्वितीय महाविशेषांक का लोकार्पण दिनांक 30 सितंबर 2018 को भोपाल में...
View Articleअनुगुंजन : लघुकथा विषेशांक
अनुगुंजन अनुकृति प्रकाशन, बरेली की त्रैमासिक पत्रिका ‘अनुगुंजन’ के तीसरे वर्ष का चतुर्थ अंक (लघुकथा अंक )बहुत प्रतीक्षा के बाद प्रकाशित होकर आ गया है।रमेश गौतम : अतिथि सम्पादक,संपादक: लवलेश दत्त- इस...
View Articleप्रतियोगिता
प्रथम 1-कोशिश मीना गुप्ता उस वृद्ध दंपत्ति के पास बैठने और बात करने में आभा को सुकून मिल रहा था। इन दिनों अकसर ऐसे लोग उसे अपनी ओर ज्यादा खींचते हैं और वह इनके बारे में ही अधिक सोचती है “बड़ा बेकार...
View Articleभीतर का सच
दस्तावेज ‘भीतर का सच’ लघुकथा का पाठ राजेन्द्र मेाहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ वर्मा द्वारा बरेली गोष्ठी 89 में किया गया था। पढ़ी गई लघुकथाओं पर उपस्थित लघुकथा लेखकों द्वारा तत्काल समीक्षा की गई थी। पूरे...
View Articleपुस्तक
64 दलित लघुकथाएँ: डॉ.पूरन सिंह,प्रकाशक: कदम प्रकाशन 12/224 एम सी डी फ्लैट ,सेक्टर 20 रोहिणी दिल्ली 110086,मूल्य 100 रुपए मात्र,पृष्ठ:128 -०- पिघलती बर्फ: सविता इंद्र गुप्ता; सुकीर्ति प्रकाशन करनाल...
View Articleरचनात्मकता की उष्मा से अनुस्यूत पुरस्कृत लघुकथाएँ
कथादेश द्वारा आयोजित इस लघुकथा प्रतियोगिता को निरंतर चलते दस वर्ष हो गए हैं। लेखकों, पाठकों और सोशल मीडिया में सक्रिय विभिन्न लघुकथा-समूहों में इसकी लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसकी पुष्टि इस...
View Articleબે ટીપાં જીવન (दो बूँद जिंदगी) : રામકુમાર આત્રેય
[અનુવાદ – ડૉ. હસમુખ પરમાર] “અંકલ અંકલ ! બે ટીપાં જીવનનાં આપજો” એક મેલા ઘૅલા અર્ધનગ્ન છોકરાએ બે રૂપિયા કેમિસ્ટની સામે મૂકતાં કહયું . “બે ટીપાં જીવનનાં ! તને કોણે બહેકાવી દીધો બેટા, આ નામની કોઈ દવા નથી ....
View Articleअजात
राधा तेज़ी से फ़्रिज की ओर बढ़ी, काँपते हाथों से फ्रीज़र खोला। मन में घबराहट थी, हाथों में संकोच, फिर भी जल्दी से बर्फ़ की चार-पाँच क्यूब कटोरे में डाली और ऊपर से थोडा ठंडा पानी मिलाया। एक तेज़ नज़र पूरे...
View Articleलघुकथाएँ
1-उपेक्षित वह कक्षा में फर्श पर अकेला बैठा रहता था। कक्षा के लगभग सभी विद्यार्थी उसे अपने साथ बेंच पर बैठाने से कतराते थे। उसकी पैंट की दोनों जेबें उधड़ी रहती और ऊपर के दोनों बटन कमीज से नदारद। शरीर...
View Articleआज की दुर्गा
आज शुभि को दिल्ली जाना था एक प्रेजेंटेशन के लिए। स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार करते हुए उसकी नज़र आसपास पड़ी।हद से ज्यादा भीड़ थी वहाँ।स्टूडेंट्स ही थे ज्यादातर। पैर रखने तक को जगह नहीं थी।शुक्र है, उसने...
View Articleपहचान
मेरा लेख एक बड़ी पत्रिका में ससम्मान प्रकाशित हुआ। मैंने मुग्ध भाव से पत्रिका के उस लेख के पन्ने पर हाथ फेरा , जैसे कोई माँ अपने नन्हे शिशु को दुलारती है. दो महीने पहले का चित्र मेरी आँखों के सामने घूम...
View Articleकिरिच अलेग्जांद्रु साहिया
जादूगर अपना खेल शुरू करने वाला था। लोग आते जा रहे थे। गेरला ने जनता की उत्सुकता को देखते हुए उसी वक्त खेल शुरूकर दिया। किसान बहुत खुश थे। वे तालियाँ बजाते और ऊँची आवाज में कहते, ‘‘गेरला।” जादूगर का...
View Articleआठ सिक्के
ऋतु कौशिक के स्वर में लघुकथा सुन ने के लिए नीचे दिए लिंक को क्लिक कीजिए – आठ सिक्के -सुनील सक्सेना
View Articleअपने अपने क्षितिज
हिन्दी में लघुकथा की केन्द्रीयता उसके प्रसार के साथ कथ्य की बुनावट में लक्षित हो रही है। अनुभव को दृष्टि के साथ कलात्मक स्थापत्य देने के प्रयास भी हो रहे हैं। भले ही मुद्रा स्फीति की तरह लघुकथाओं का...
View Articleलघुकथा कलश का द्वितीय महाविशेषांक
योगराज प्रभाकर के संपादन में ‘लघुकथा कलश’ का द्वितीय महाविशेषांक योगराज प्रभाकर के संपादन में पटियाला (पंजाब) से प्रकाशित होने वाली लघुकथा को पूर्णतः समर्पित अर्धवार्षिक पत्रिका “लघुकथा कलश” के द्वितीय...
View Articleशून्य का बोझ
प्रकाश की पत्नी का असमय देहांत हो गया। पत्नी से अगाध प्रेम करने वाले प्रकाश ने कभी दूसरी शादी करने का सोचा तक नहीं। नन्हे आशीष को माँ और बाप दोनों का प्यार देकर पाला-पोसा। प्रकाश की छोटी सी प्राइवेट...
View Articleहिन्दी चेतना लघुकथा -प्रतियोगिता
हिन्दी चेतना लघुकथा -प्रतियोगिता 1-हिन्दी चेतना द्वारा लघुकथा -प्रतियोगिता के लिए अप्रकाशित और अप्रसारित ( ब्लॉग/ वेब/ वाट्स एप आदि पर भी प्रसारित न हों ) अधिकतम दो लघुकथाएँ 10 दिसम्बर 2018 तक...
View Articleस्मृति-शेष लघुकथाकार
स्मृति-शेष लघुकथाकार : सम्पादक – डॉ रामकुमार घोटड़,प्रकाशक-साहित्यागार, धामाणी मार्केट की गली ,चौड़ा रास्ता जयपुर , मूल्य: 500 रुपये, पृष्ठ: 276; संस्करण: 2018
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