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Channel: लघुकथा
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गलती

गढ़वाली अनुवाद (डॉ. कविता भट्ट) “देख माँ यु हमरू असेम्बली हौल च।” आरव उछळि उछलि क अपड़ा माँ – पिता जी तैं अपणु स्कूल दिखौणू छौ। “माँ यु हमरू कलास रूम च।” पैरेंट्स- टीचर मीटिंग का बाना स्कूल माँ रौनक...

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रक्षा-कवच

गढ़वाली अनुवाद(डॉ. कविता भट्ट)  उ चारि नेवादै कि बदनाम बस्ती क उछियदि आज बि अपडा शिकारै कि खोजम छा। भले ई स्टेट पुलिस टकटकि हुईं छै ,पर पुलिस वळो तैं चकमा देण वु जणदा छा। भलु हो वीं अण्डरवर्ल्ड पत्रिका...

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अन्तहीन सिलसिला

लघुकथा सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए- अन्तहीन सिलसिला

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खूबसूरत

देर रात हम समंदर किनारे बैठे थे। देर मतलब.. बहुत देर। यही कोई रात का डेढ़ बजा होगा। समंदर की लहरें उफान पर थी। मैं नीली डेनिम शॉर्ट्स और सफेद स्पैगिटी में , अपने घुटने मोड़कर बैठी, उँगली से रेत पर...

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दोपहरखिली

उसने पुनः कागज़ फाड़ कर गोला बनाया और कूड़ेदान के हवाले कर दिया। फिर से लेखनी को दुबारा लिखने का आदेश दिया। वह भी बेमन से चल पड़ी। अभी दो वाक्य भी न लिख सकी, उसकी रुलाई फूट गई। वह फूलों के विषय में न लिख...

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पाठ

पाखी को उसके घर जाकर फिज़िक्स की ट्यूशन पढ़ाते मुझे एक साल और पाँच महीने हो गए थे। पंद्रह-सोलह वर्षीय खूबसूरत,मासूम-सी पाखी बहुत ही मेधावी थी। उसके पापा बचपन में ही एक हादसे में गुजर गए थे। तब से उसकी...

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सोच

बहुत लम्बा जाम लगा था। देखते ही देखते उनकी कार के पीछे भी कई गाड़ियॉं आ कर खड़ी हो गईं, जिसके कारण अब लौटना भी संभव नहीं था। आफिस से लौटने के बाद वर्मा जी पत्नी के साथ अपने एक पारिवारिक मित्र सक्सेना जी...

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लघुकथाएँ

1-अपनी ही आग में ​भाईचारे का युग था। सब मेल-मिलाप और प्यार-प्रेम से रहते। हुनरमन्द औजारों तक को इस अपनत्व से हाथ में लेते और काम को इस श्रद्धा से करते कि पूजा कर रहे हों। वह जुलाहा बड़े जतन और प्रेम से...

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लघुकथा का विराट मिशन: मधुदीप

मधुदीप हमारे बीच नहीं रहे ! यह साधारण वाक्य नहीं है। एक गहरा उत्ताप इस “बीच “में समाया है। यह उत्ताप एक मित्र के जाने का नहीं है। एक लेखक के अलविदा होने का नहीं है। यह कुछ खाने और पाने मात्र का नहीं...

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रिवाइंड: एक अरण्यकथा

वह भाग रही थी जी –जान लगाकर ।  भाग रही थी पूरे दम-ख़म के साथ ….लंबी-लंबी छलांगें लगाकर ।  आगे ज़िदगी थी ।  पीछे मौत । ……..एक ही क़दम का फ़ासला रह गया था बस ।  मौत बनकर दो खूँखार भेड़िये पीछे थे ।  भेड़िये...

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रूपांतर

जब भी मुश्किल समय आता उसे पिता की सीख याद आती -“बेटा पत्थर की बन जाना; दुनिया में दिल की कोई नहीं समझेगा।” वह धीरे-धीरे पत्थर में बदलती गई। माँ के वचन कानों में गूँजते रहते- “बेटा बात को जितना बढ़ाओगे,...

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पिण्ड दा भ्रा

पिंड दा भ्रा/ प्रतिभा पाण्डे  “डज़ एनी बडी नो हिम?’’गोरा पुलिस वाला कड़क आवाज़ में पूछ रहा था। रिनी धीरे से उसके कान में फुसफुसाई  “चलो, चलो यहाँ से।’’ उसके दिमाग़ में पिछले महीने की घटना घूम रही थी। उस...

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बाबू जी

मैं बाबूजी के साथ बरसों-बरस रही।  गर्मी हो बारिश हो या हड्डियों को भी ठिठुराती ठंडी हवा ,जब बाबूजी पैडल मारते तो मैं सरपट दौड़ती।  इस घर ,उस घर, पेपर बाँट मैं और बाबूजी घर लौटते।  जब तक बाबूजी दो...

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मुआवज़ा

आज एक महीना होनें को आया है अम्मा और बाबूजी को केदारनाथ की यात्रा पर गए हुए । वहाँ आये तूफ़ान में हज़ारों लोग कालकवलित हो गए और हज़ारों लोग अभी भी लापता हैं ऐसी ख़बरें रोज़ टीवी और अख़बारों में आ रही थी ।...

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चरित्र

पहला पैग बनाकर दो सिप ले उसने सिगरेट सुलगाई और घड़ी को देखा, उसके दोस्त के आने में अभी वक़्त था।  चिकेन को मेरिगेट करने की गरज से उसने पहले ही तैयारी कर रखी थी।  मसाले इत्यादि भी सब तैयार थे।  किचन में...

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माँ

उस दिन चौराहे पर एक साँड बिफर गया , एक संभ्रांत महिला को उठा कर फेंक दिया , फिर सींगों मे उलझा हवा में उछल दिया , फिर से सींगों मे उलझाकर फेंक मारा एक बार दो बार, तीन बार ।  तब तक भीड़ जमा हो गई थी।...

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तीन लघुकथाएँ (पंजाबी)

अनुवाद; योगराज प्रभाकर 1-हैसियत / ਹੈਸੀਅਤ ਓਹ ਦੋਵੇਂ ਵਪਾਰੀ ਸਨ। ਦੋਵੇਂ ਮਾਲਦਾਰ ਸਨ। ਸਬਬ ਨਾਲ ਦੋਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸੁਭਾਸ਼ ਸੀ। ਇਸ ਵੇਲੇ ਦੋਵੇਂ ਇੱਕੋ ਗੱਡੀ ’ਚ ਬੈਠੀਂ ਕਿਧਰੇ ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ। ਸੁਭਾਸ਼ ਨੰਬਰ ਦੋ ਗੱਡੀ ਚਲਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਸੁਭਾਸ਼ ਨੰਬਰ...

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भारतीय लघुकथा कोश

आज़ादी के बाद के इतने वर्षों में भी हमने साहित्य के द्वारा राष्ट्रीय अस्मिता की अन्तर्धारा को जोड़ने का काम बहुत कम  किया है। हम उस राजनीति के भरोसे बैठे रहे, जो प्राय: तोड़ने का ही काम करती है, जोड़ने का...

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इस सदी की उम्र

इस सदी की उम्र( विक्रम सोनी का लघुकथा साहित्य):सम्पादक- अशोक भाटिया; प्रकाशक- अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली-110032,संस्करण-प्रथम 2022, मूल्य-250/-, पृष्ठ-176

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नई पुस्तकें

होना एक शहर का(लघुकथा-संग्रह): स्नेह गोस्वामी, प्रकाशक-देवशीला पब्लिकेशन, पटियाला-147001,पंजाब।   द सूप-2 (अँग्रेज़ी अनुवाद एवं सम्पादन)- कल्पना भट्ट, संस्करण: प्रथम-2022,मूल्य-225/-,पृष्ठ-136,...

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