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Channel: लघुकथा
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सुरक्षा का पाठ

राघव अपनी अमरीकी बीवी स्टेला और दो बच्चों – पॉल और जिनि के साथ भारत लौट रहा है , सुनकर मेरा कलेजा चौड़ा हो गया । आखिर अपना देश खींचता तो है ही । मेरा बेटा राघव तो अमरीका जाने के बाद और भी भारतीय हो...

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बच्चा

लंबे अंतराल के बाद ननिहाल जाने का सौभाग्य हुआ। अम्मा के साथ मन में ढेरों उमंग लिए पुरानी सहेलियों से मिलने की खुशी समेटे मैं अपने पांच साल के बेटे के साथ ननिहाल पहुँच गई। गर्व के लिए भारत में बीता हर...

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रुतबा

रुतबा/  नासिरा शर्मा ‘‘सुनो, आज फिर मुन्ना बड़ी मिन्नतों के बाद खाना खाने को राजी हुआ, वह भी रोते–रोते।’’ पत्नी के उदास चेहरे से मैंने नजरें हटाकर अपने इकलौते बेटे के गालों को चूमा, जिस पर आंसू की...

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अर्धांगिनी

बड़े भैया की शादी तब हुई थी, जब वे नौकरी करने लगे थें इसलिए उनकी पत्नी सुंदर भी है और पढ़ी–लिखी भी। छोटे भाई की पत्नी हालांकि अधिक पढ़ी–लिखी नहीं है, पर उसके वस्त्र–आभूषण उसे किसी से कम नहीं दिखाते।...

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पीने का पानी

मेमसाहब गाड़ी धो दी है, अब मुझे जल्दी जाने दीजिए। घर में एक बूँद भी पानी नहीं है, मुझे दूर जाकर पीने का पानी भरना है। ‘‘सुन तू रोज कुछ न कुछ बहाना सोच कर आता है। अभी तो छत की धुलाई करनी है, शाम को एक...

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तीर्थ यात्रा

सुबह होते ही वह फ़टाफ़ट तैयार होने लगे। ‘‘सर्दी है ज़रा पानी गरम कर देना, मेरे कपड़े निकाल देना, मैं जब तक नहाकर आता हूँ, तुम चाय तैयार रखना, देखना मुझे देर न हो जाए।’’ वे पत्नी को हिदायत दे रहे थे।...

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बारहवीं

अँगुलियों में आसानी से गिने जा सकने वाले साथियों में व्यस्त रहने वाली कामकाजी आधुनिका ने अपने नौजवान पड़ोसी को शायद कभी भी अधिक महत्त्व नहीं दिया। एक अनचाहा मेहमान, सफल कूटनीतिज्ञ और महत्वाकांक्षी...

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बखत कै कीमत

अवधी अनुवादः सविता मिश्र ‘अक्षजा’ राघव दफ्तरवा पौने ग्यारह बजे पहुँचेन। हरसुखवा कौ उहाँ पाई के चौंकि पड़ेन । थोड़ क हटि कै पूछेन, “इहाँ कइसे आई धमकय मिस्तरी जी?” “साहिब, आपके घरे गवा रहे। आप उहाँ नाही...

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लघुकथा की रचनात्मक धारा के प्रतीक रमेश बत्तरा

रमेश बत्तरा उस दौर के लेखक हैं, जब लघुकथा बीसवीं सदी के आठवें दशक में, नए परिवेश के अनुरूप, अपने स्वरूप के लिए संघर्ष कर रही थी। इसकी एक पीढ़ी सदी के पूर्वार्ध से लिख रहे रावी, विष्णु प्रभाकर, हरिशंकर...

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पुस्तक

मोह के धागे(लघुकथा-संग्रह)-अनिल श्रीवास्तव,प्रकाशक-अयन प्रकाशक,उत्तम नगर,नई दिल्ली-110059,संस्करण-प्रथम2022, मूल्य 350/-, पृष्ठ 128

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कथादेश -पुरस्कृत लघुकथाएँ

अखिल भारतीय कथादेश हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता 14 में पुरस्कृत लघुकथाओं का प्रकाशन कथादेश के अंक फ़रवरी2022 में

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एक त्रिवेणी का नाम है श्याम सुन्दर दीप्ति जी: सीमा जैन भारत

लघुकथा से मेरे लेखन की शुरुआत हुई है। पहला लघुकथा सम्मेलन पिंगलवाड़ा में अटेंड किया था। उसके बाद दूसरा पंचकुला में। 2016 से अबतक कुछ और सम्मेलन अटेंड किए हैं। पंजाब के दोनों लघुकथा सम्मेलन किसी...

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साँचू

अनुवाद: डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ अधिकारी गाड़ी बिटि निकळि तैं अपणा चैम्बरै कि तर्फ बढणू छौ कि अचानक द्वी कदम पीछनै ह्वे क तैं विवेकै कि मेजै तर्फ औंदि औन्दु  वेन बोली, “कन! पौंछै यालि फैल मेरि टेबल...

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पूरी तरह तैयार

लघुकथा सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए- पूरी तरह तैयार

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कल्पना भट्ट की लघुकथाएँ

1-श्रोता बड़ा अजीब तालाब था वो। कुछ एक छोटी मछलियों को छोड़कर उस तालाब की सभी मछलियाँ खुद के लिखे गीत गाती थीं, हालाँकि बड़ी मछलियों को चुप रहने वाली मछलियाँ पसंद नहीं आती थीं। ऐसे ही एक दिन गीत गोष्ठी के...

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So Far!

Translated from the Original Hindi by– Kanwar Dinesh Singh The news was received on the phone, which made her suddenly upset. The husband asked her anxiously, “Is everything all right?” In a deep...

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कठिन साधना का प्रतिफलन है लघुकथा

वर्त्तमान में लघुकथा एक सशक्त एवं स्वतंत्र गद्य- विधा के रूप में हिन्दी साहित्य में अपनी जगह बना चुकी है। उपन्यास  और कहानी की तरह लघुकथा  का भी बीज रूप ‘कथा’ ही है; परन्तु क्षणानुभूति की कथात्मक...

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गंगा-स्नानं[ संस्कृत]

अनुवादक:- कुलदीप मैन्दोला द्वौ युवापुत्रौ मृतौ। दशवर्षपूर्वं पतिः अपि स्वर्गं गतः। धनस्य नाम्ना केवलं सिवनीयन्त्रम् एव अवशिष्टम् आसीत् । सप्ततिवर्षीयः पारो समग्रग्रामस्य वस्त्राणि सिवति स्म । केचिद्...

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کباڑ- سبھاش نیرو/ कबाड़

ترجمہ :راشد امین ندوی بیٹے کو تین کمرے کا فلیٹ ملا تھا، مزدوروں کے ساتھ مزدور بنے کشن بابو سامان کو خوشی خوشی ٹرک سے اتروا رہے تھے، ساری عمر کرایے کے مکان میں گلا دی. کچھ بھی ہو خود تنگی میں رہ کر...

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टुकड़े-टुकड़े

विधिवत् सम्बन्ध-विच्छेद हो जाने पर उन्होंने अपनी भूतपूर्व पत्नी की कोई भी वस्तु घर में न रहने दी। उसके पुराने वस्त्र महरी को दे दिए। जिन चित्रों में वह थी, उन चित्रों के टुकड़े-टुकड़े कर डाले। किन्तु...

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