लघुकथाएँ
1-सवारी सिपाही ने चालक को टैंपू रोकने का संकेत दिया। प्रत्युत्तर में चालक बोला, ‘हवलदार जी, जगह नहीं है, सवारियाँ पूरी हैं।’’ ‘‘अबे, तेरी बगल में जो इतनी जगह है, यहाँ क्या अपनी माँ को बिठाएगा? साले के...
View Articleभीतर का सच
‘भीतर का सच’ लघुकथा का पाठ स्वर्गीय राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ वर्मा द्वारा बरेली गोष्ठी 89 में किया गया था। पढ़ी गई लघुकथाओं पर उपस्थित लघुकथा लेखकों द्वारा तत्काल समीक्षा की गई थी। पूरे...
View Articleबाहर–भीतर
विद्यार्थी मंदिर जा रहा था। उसके भीतर बैठा विद्यार्थी उसके साथ हो लिया, पूछा, ‘‘कहाँ जा रहे हो?’’ ‘‘तुम जानते ही हो, मैं पिछले वर्ष परीक्षा में नकल करता पकड़ा गया था और फेल हो गया था।’’ ‘‘इस बार...
View Articleदो तितलियाँ और चुप रहने वाला लड़का
दो तितलियाँ उड़ते-उड़ते एक खेत में पहुँच गईं। वहाँ हल चला रहे एक लड़के से उन्होंने पूछा, “यहाँ क्या उगाओगे?” “अपने लिए चावल।” लड़का बोला। तितलियाँ उपेक्षा से बोलीं, “सेल्फिश ” कुछ दिन बाद तितलियों को...
View Articleरोटी की शक्ल
उसकी अजीबो-गरीब वेश-भूषा और ऊल-जलूल हरकतों से हर किसी का ध्यान उसी ओर खिंच जाता। कई प्रमाण-पत्रों को फ्रेम करवाकर उसने अपने चारों ओर लटका रखा था। हर आने-जाने वाले को देखकर कहता, ‘‘आपकी कसम! जरा पास...
View Articleपान
शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर वह पान की दुकान है, जहाँ दिन रात हुजूम लगा रहता है। वैसा पान शहर भर में कहीं नहीं मिलता। पान बनाने वाले के हाथ में पता नहीं कौन सा हुनर है कि दूर दूर से लोग उसकी दुकान पर...
View Articleसमय के साथ जुड़ती लघुकथाएँ
हिन्दी–लघुकथा समय के साथ–साथ विकास के नए–नए पड़ाव तय करते हुए साहित्यिक गरिमा के साथ आगे बढ़ती जा रही है । निश्चित रूप से इन विकास की राहों पर अनेक कथाकार आते गए, अपनी समर्थ एवं समृद्ध लघुकथाओं से...
View Articleनिर्वाचित हिन्दी अणुगल्प (लघुकथा-संग्रह):
निर्वाचित हिन्दी अणुगल्प (लघुकथा-संग्रह): बांग्ला अनुवाद- बेबी कारफ़रमा, मूल्य 250/- , पृष्ठः216 , प्रकाशकः भाषा संसद 3 शम्भू चटर्जी स्ट्रीट कलकाता-700007
View Articleनई पुस्तकें
मन (…मन समझते हैं आप)-लघुकथा-संग्रह: डॉ पूरन सिंह, मूल्य 120 रुपये, पृष्ठ;72,संस्करण:2023, कुटुम्ब प्रकाशन,ए-721, शास्त्री नगर, नई दिल्ली-110052
View Articleभीतर का सच (भितरौ कु सच)
गढ़वाली अनुवाद:डॉ कविता भट्ट झुग्गी झोपड़ी हटौंण क बाना सरकारी आदेशै की फैल मेज पर रखदि रखदु सचिव न हथ जुडै करिक बोलि-‘‘सर! झुग्गी झोपड़ी म रौण वलौं तैं नोटिस भेजि द्यौं।’’ रामनाथ न खुसी म जोर करिक...
View Articleलघुकथा के सामाजिक सरोकार-4
साधारण और विशिष्ट व्यक्तित्व किसी विशेष परिवार में जन्म लेने से, किसी पद- प्रतिष्ठा के कारण नहीं बनते; बल्कि विशिष्ट व्यक्तित्व का मूल आधार है-संवेदना, एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति को समझना। सुकेश...
View Articleबेटियाँ
ठेठ गाँव है रतनपुर खुर्द। यहीं रहता है रमकिशुना। खुद तो मेहनत मजदूरी करता था। अपने बेटे को पढ़ाया-लिखाया, सो बेटा आईसीआर में प्रिंसिपल साइंटिस्ट है। बेटा बडा आदमी जरूरत बन गया लेकिन माँ-.पिता और...
View Articleसवारी
राजेन्द्र मोहन द्विवेदी ‘बन्धु’ की लघुकथा सुनने के लिए निम्न्लिखित लिंक पर क्लिक कीजिए- सवारी
View Articleकोरा कागज़
(अनुवाद :सुकेश साहनी) बर्फ से सफेद कागज़ ने कहा, “इसी शुद्ध सफेद रूप में मेरा निर्माण हुआ था और मैं सदैव सफेद ही रहना चाहूँगा। स्याही अथवा कोई और रंग मेरे पास आकर मुझे गंदा करे इससे तो मैं जलकर सफेद...
View Articleदौड़
‘‘भाई साहब! अब मैं अपनी जिन्दगी के बारे में आपको क्या बताऊँ चालीस साल पहले जब मैं गाँव से इस शहर में आया तो बिल्कुल खाली हाथ था। न किसी से जान-पहचान और न सिर छिपाने का कोई ठिकाना। बड़ी मुश्किल से...
View Articleखोया हुआ आदमी
वह अपनी धुन में मस्त चला जा रहा था। सहसा सड़क के बीचों-बीच लगी भीड़ को देखकर, यह जानने की उत्सुकता होते हुए भी कि वहाँ क्या हो रहा है, वह उसे नजर-अंदाज करके निकल गया। ‘‘भाई साहब….भाई...
View Articleख़ूबसूरती
ऑपरेशन थियेटर में चिकित्सक की आवाज कानों में पड़ने पर काजल ने धीरे से आँखें खोलीं। चिकित्सक का हाथ उसके पेट पर था। वो टाँके लगा रही थी। साथ ही परिचारिका को कुछ हिदायत देती जा रही थी। दर्द की तीव्र लहर...
View Articleमिन्नी -अंक -138
मिन्नी -अंक 138 निम्नलिखित लिंक को क्लिक करके अंक डाउन लोड किया जा सकता है- मिन्नी-138
View Articleलघुकथाएँ
1 तुम यहीं हो 4 जनवरी 2020 आज अर्पिता की बहुत याद आ रही है। सुबह अलमारी से शर्ट निकालने लगा तो सामने हैंगर में लटकी अर्पिता की चार दर्जन साड़ियां दिखाई दीं। पिछले चार वर्षों से इन्हें किसी ने नहीं...
View Articleलघुकथाओं का स्वर्णिम युग
वर्तमान समय लघुकथाओं का स्वर्णिम युग है, जिसमें लघुकथा पाठकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, वहीं नए रचनाकारों का इस क्षेत्र में पदार्पण हो रहा है। लघुकथाएँ अंधविश्वास एवं कुप्रथाओं पर करारी...
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