सृष्टि
उस पीपल वृक्ष के चारों तरफ इमारतें खड़ी थीं। कभी इसके चारो तरफ फलदार वृक्ष हुआ करते थे। जब वह छोटे बच्चे थे, तभी उन्होंने यह पीपल का पौधा लगाया था। पीपल उन्हीं के साथ बढ़ते काफी विशाल और छतनार हो गया...
View Articleसिंहासन/ वजूद शॉर्ट फ़िल्म
लघुकथा डॉट कॉम में प्रकाशित शशि पाधा की लघुकथा सिंहासन पर बनी शॉर्ट फ़िल्म्स वजूद (राज क्रिएशन की प्रस्तुति) नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कीजिए- वजूद
View Articleजुलाई अंक-मेरी दृष्टि में
1- जो चीज़ लंबे चौड़े आख्यानों या व्याख्यानों से नहीं समझाई जा सकती उसे मात्र दो पंक्ति के दोहे या चौपाई से समझाया जा सकता है। इसे भक्ति काल के संत कवियों ने समझ लिया था। पंचतंत्र जैसी लोक कथाएँ भी...
View Articleतापमान
लेखक:योगराज प्रभाकर , वाचन :ऋतु कौशिक, प्रस्तुति: लघुकथा डॉट कॉम और ऋतु कौशिक। सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए- तापमान
View Articleदिखावा/ अटब्बर
ब्रज- अनुवाद: रश्मि विभा त्रिपाठी एकु कॉफी हाऊस के बाहिर बरामदे बीच लागी मेज कुर्सिन पै बिराजे कछू ज्वान लरिका कॉफी पीबे के सन सन कछू ऊँचे सुरनि काऊ विषय पै बहस ऊ करि रए हुते। अरु बाहिर मुख्य मारग पै...
View Articleशुभकामनाएँ
लगा कि पूरे शरीर का खून एकबारगी जम गया और तलवे से सनसनाकर उठते हुए आँखों से उबल पड़ा। लगा कि किसी ने नीम से भी कड़वी कोई चीज जबरन मुँह फाड़कर उड़ेल दी। लगा कि पूरा घर , घर की छत ,जमीन , सारे सामान...
View Articleनीलाम्बरा-संवेदनाः8- लघुकथा-यात्रा (सं. डॉ. कविता भट्ट)
नीलाम्बरा-संवेदनाः 8-लघुकथा-यात्रा (सं. डॉ. कविता भट्ट) नीलाम्बरा-8-लघुकथा-यात्राDownload
View Articleहिन्दी चेतना-अंक 103 : लघुकथा चिन्तन एवं सृजन विशेषांक
हिन्दी चेतना-अंक 103 : लघुकथा चिन्तन एवं सृजन विशेषांक (सं. रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’) हिन्दी-चेतना-103Download
View Articleअंतिम सफ़र
–बाबू! बुरा तो नहीं मानोगे?–नहीं! कहो, क्या बात है?–अब आपकी चप्पल की लाइफ पूरी हो चुकी ! इस बार तो गाँठ देता हूँ। आगे मुश्किल है ! फिर नई ले लेना! मैं गाँठ नहीं पाऊँगा!–अरे! चप्पल को क्या हुआ? थोड़ी...
View Articleसह अस्तित्व
सुबह के नौ बजे थे। रामवती की समोसे और पकौड़ी की दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगी हुई थी। कुछ लोग थैलियों में समोसे और पकौड़ियाँ लेकर घर जा रहे थे, कुछ वहीं पड़ी बैंचों पर बैठकर समोसे खा रहे थे।...
View Articleनवजन्मा (रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’)
लघुकथा को ऑनलाइन पढ़ने – पढ़ाने की आदत डालने की शुरुआत करने वाले विद्वान् का नाम है – रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’। 75 वर्षीय इस नौजवान लेखक के खाते में ढेरों ऐसी लघुकथाएँ दर्ज़ हैं< जो अपने समय में...
View Articleकैक्टस
तुम फिर यह कँटीले पौधे ले आई तनु ….हजार दफा कहा है… अपने यहाँ यह काँटे नहीं लाते।” ” लेकिन क्यों माँ…? वजह तो बताइए…!’’ ” बस कहा ना…. नहीं मतलब नहीं…!” ” क्यों माँ से आरग्यू करती हो तनु…? अमर...
View Articleदंश
सुबह- सुबह ही फोन आया था। दोनो पति- पत्नी जल्दी से अपनी गाड़ी में निकल पड़े। ‘‘एक महीने पहले ही माँ जी बेटी के घर गई थी।आज उनकी मौत पर जब उसने फोन करके वसीयत देखने को बुलाया है तो सब कुछ अपने ही नाम...
View Articleएक लुहार की
प्रेगनेंसी टेस्ट का परिणाम सुकन्या के सामने पड़ा था और उसका सिर घूम रहा था – ‘यह कैसे हो गया!’ – वो तो पूरी सावधानी बरतती रही। उसे विश्वास नहीं हो रहा था। तभी शिवम् ने घर में प्रवेश किया और...
View Articleआदतें
“साहब! मिसरी या गुड़ कुछ थोड़ा- सा मिलेगा क्या? आज रोटी नहीं ला पाया। घर पहुँचने में घंटा भर से ऊपर लग जाएगा।’’ – ठेकेदार के जाते ही, घर की मामूली मरम्मत का काम करने आया वह दिहाड़ी मजदूर, घर के मालिक...
View Articleलघुकथाएँ
1- सियासत का सुर कुर्सी पर बैठे-बैठे सियासत कुछ गुनगुना रही थी। “अकेले-अकेले ये क्या गुनगुना रही हो, ज़रा मुझे भी तो सुनाओ!” कुर्सी ने सियासत से कहा। सियासत मुस्कुराई और बोली, “ले तू भी सुन!” सियासत...
View Articleउत्कृष्ट लघुकथाएँ
अपनी पसंद की लघुकथाओं के बारे में जब सोचता हूँ, तो कई लघुकथाएँ याद आ जाती हैं; लेकिन जब ‘मेरी पसंद’ स्तम्भ के लिए लिखने बैठा हूँ, तो अनेक लघुकथाओं में से दो लघुकथाएँ सामने आ खड़ी हुई हैं-सबसे पहले...
View Articleअसली कोयल
अनुवाद/ बेबी कारफरमा [लेखक परिचय – स्वप्नमय चक्रबर्ती पश्चिम बंगाल के एक प्रसिद्ध लेखक है . सन् 2023 में ‘जलेर उपर पानी ’ पुस्तक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला ] स्वप्नमय चक्रबर्ती अभी...
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