नई पुस्तकें
1-मेरी चयनित लघुकथाएँ (लघुकथा-संग्रह): कमल कपूर, पृष्ठ:124, मूल्य: ₹ 124, प्रकाशक- अयन प्रकाशन, जे-19 /39 , राजापुरी, उत्तम नगर,नई दिल्ली-110059 2- मैं एकलव्य नहीं (लघुकथा-संग्रह): जगदीश राय कुलरियाँ,...
View Articleबीज (दरिंदगी के बरक्स ज़िंदगी)
सड़कों पर धर्मांध लड़ाकों की बंदूकें गरज रही थीं। सभी लोग घरों में दुबके थे। एक लड़ाके ने देखा – एक महिला सड़क के बीच खड़ी थी। लड़ाके को ग़ुस्सा आ गया, महिला का सड़क के बीचों-बीच निडर और...
View Articleकाल्पनिक नरक
(अनुवाद :सुकेश साहनी) शावाकीज नगर में एक राजा रहता था। सब उसे प्यार करते थे-आदमी, औरत, बच्चे यहाँ तक कि जंगल के जानवर भी उसके प्रति सम्मान प्रगट करने आते थे; लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना था कि रानी...
View Articleलघुकथा में प्रेम की अभिव्यक्ति- 2
गतांक से आगे… व्यक्तित्व के समायोजन के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अभिव्यक्ति को मुख्य साधन माना है। अभिव्यक्ति ही वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने मनोभावों को प्रकाशित करता तथा अपनी भावनाओं को रूप...
View ArticleOasis
Sukesh Sahni Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh There was no sleep in Mickey’s eyes. He was very sad thinking that he would not be able to keep the puppy with him. He had woven...
View Articleदूध का गिलास/ दूधौ गिलास
गढ़वाली -अनुवादः डॉ. कविता भट्ट ‘‘मि खाणौ धरदौ, तुम नहे कि तैयार ह्वे जा।” रमेश नहे कि बाथरूम बिटि भैर निकळी त वा खाणौ ले कि ऐ। थकुली म रुठि कु गफ्फा तोड़िद बगत रमेशन बोली, ‘‘गीता , क्या पिताजी गै छा...
View Articleसन्त
सन्तः गिरीश पंकज -वाचन: ॠतु कौशिक,सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिएगा- सन्त
View Articleमध्य प्रदेश बी. ए. ऑनर्स-लघुकथाकार और उनकी लघुकथाएँ
मध्य प्रदेश के महाविद्यालयों के बी. ए. ऑनर्स में 12 लघुकथाकार और उनकी लघुकथाएँ। 1-विष्णु प्रभाकर-व्यवस्था का राज़दार, चोरी का अर्थ । 2-हरिशंकर परसाई- सुधार, अपना -पराया । 3-सूर्यकान्त नागर- लघुता,...
View Articleउत्सव
सेना और प्रशासन की दो दिनों की जद्दोजेहद अंतत: सफल हुई। साठ फुट गहरे बोरवैल में फंसे नंगे बालक प्रिंस को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया। वहाँ विराजमान राज्य के मुख्यमंत्री एवं जिला प्रशासन ने सुख की...
View Articleहिंदी लघुकथा और मीडिया: सामाजिक सन्दर्भ
यह एक प्रासंगिक बहस है कि क्या लेखकों/साहित्यकारों और पत्रकारों की समाज के प्रति कोई जिम्मेदारी है। यह बहुचर्चित विषय रहा है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, और एक लेखक का यह दायित्व बनता है कि वह...
View Articleनई पुस्तक
संवेदनाओं का डिजिटल संस्करण (लघुकथा-संग्रह): डॉ. सुषमा गुप्ता, पृष्ठः 120, मूल्य पेपर्बैकः 260 रुपये, संस्करणः 2024, प्रकाशकःप्रवासी प्रेम पब्लिशिंग इंडिया, 3/186, राजेन्द्रनगर,सेक्टर-2, साहिबाबाद,...
View Articleसहेली
सहेली/- देवेन्द्रराज सुथारवृद्धा ने धीरे से दरवाज़ा खटखटाया। सहेली/- देवेन्द्रराज सुथारवृद्धा ने धीरे से दरवाज़ा खटखटाया। ‘‘कौन?” अंदर से आवाज़ आई। ‘‘मैं हूँ, काकी”-वृद्धा ने कहा। ‘‘नमस्ते काकी,...
View Articleडायन
सुनहले बाल, गोरा रंग, कजरारी आंखें तिस पर ममता भरी मुस्कान…………. । आयु के छठे दशक में जी रही दुर्गा मौसी का आकर्षण बेमिसाल था । मोहल्ले की औरतें उसे डायन कहती और अपने बच्चों को उससे दूर रखती । कई...
View Articleमौन
साल अस्सी का ही रहा होगा। पिरामल, पोद्दार का बोलबाला चहुँ ओर था पर तुम्हें इन सभी से क्या मतलब था? तुम दो जोड़ी बैल से जीवन हाँकते रहे और मैं तुम्हारे पीछे-पीछे खूडों में साँसें खपाती रही।...
View Articleसुषमा गुप्ता की लघुकथाओं का मर्म
डॉ. सुषमा गुप्ता कथा के वैविध्यपूर्ण विषयों और प्रस्तुति के लिए लघुकथा-जगत् में एक चर्चित नाम है। नए विषयों की नब्ज़ पर पकड़, शिल्प की नितान्त निजी शैली, चिन्तन का एक व्यापक क्षेत्र, अनुभवों की...
View Articleलघुकथाएँ
1-हिंदू मुसलमान ड्राइंग रूम से आ रही आवाज़ के कारण उसकी नींद उचट गई। शायद कोई आया है, जिससे दीदी बात कर रही हैं। “अब उठ ही गई हूँ, तो देखती हूं कौन आया है? उत्सुकता दबाकर पड़े रहने से माथा ही दुखेगा,”...
View Articleस्वाभिमान
रत्ना के घर के सामने निर्माण कार्य चल रहा था। वह सहसा ईंटे सर पर रखने वाली एक गरीब मजदूरन को देखने लगी। रत्ना को महसूस हुआ कि वह गर्भवती है और शीघ्र ही उसकी डिलीवरी हो सकती है। मध्यावकाश...
View Articleएम. ए. पंजाबी में लघुकथा
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय – एम. ए. पंजाबी (तृतीय सत्र 2025-26) के पाठ्यक्रम में पंजाबी मिन्नी कहाणी (लघुकथा) सम्मिलित।
View Articleसन्दर्भों के दायरे/ सैननि के सीउ
ब्रज अनुवाद; रश्मि विभा त्रिपाठी बानैं उच्च अधिकारी के सामुहैं जे तरक धरौ कि बाकी नैंसुक लली बीमार अहै, जा मारैं बाके आछे ह्वैबे लौं बाकी बदली के आदेस रोकि दए जावैं पै बाकौ जे निहोरौ मानौ नाहिं गयौ...
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