लघुकथा का शीर्षक
‘तत्त्व ’ शब्द बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इसका प्रयोग तंत्र विद्या में बहुत होता है। तांत्रिकों के अनुसार ये छत्तीस होते हैं। संख्याओं के अनुसार इनकी संख्या पच्चीस होती है। रसायन–शास्त्र के अुनसार मूल...
View Article‘मिन्नी कहाणी दा संसार’: मूल्यवान व सार्थक प्राप्ति
डॉक्टर अनूप सिंह ‘मिन्नी कहाणी’(लघुकथा) अब पंजाबी साहित्य की एक स्थापित विधा है। इस के रूप-आकार सबंधी विशेषताएँ अथवा रूप-वैधानिक परख-कसौटियाँ निश्चित की जा चुकी हैं। इसकी परिभाषा, प्रकृति व स्वरूप...
View Articleलघुकथाएँ
कृष्ण मनु लोकतंत्र बूढ़ा सोमर बड़ी कठिनाई से अपनी झोपड़ी के देहरी तक आ सका। एक मिनट की भी देर होने पर वह रास्ते में ही बेहोश हो सकता था। बाबू साहब के खेतों में कभी दिन-दिन भर काम करने वाले सोमर के...
View Article‘कथादेश : पुरस्कृत लघुकथाएँ’का लोकार्पण
परिदृश्य ‘कथादेश : पुरस्कृत लघुकथाएँ’ का लोकार्पण नयी किताब प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘कथादेश : पुरस्कृत लघुकथाएं’ का लोकार्पण दिनांक 07-01-2020 प्रसिद्व साहित्यकार महेश कटारे जी की...
View Articleकथ्य और शिल्प की पैनी धार
वाङ्मय अपना स्वरूप और स्वभाव समय और समाज के सापेक्ष बदलता रहता है। एक समय था जब साहित्य सृजन का माध्यम काव्य था। समय के साथ-साथ हिन्दी साहित्य में गद्य का आविर्भाव हुआ। गद्य के अनेक रूपों में...
View Articleमैं कैसे पढ़ूँ
अनुवाद – आरती चन्द মূল গল্প – ম্যায় ক্যাইসে পড়ু,মূল লেখক – সুকেশ শাহানী অনুবাদ – আরতি চন্দ আমি কি করে পড়ব গোটা বাড়ি টাতে শোকের ছায়া । মা ঘরের বাইরে মাথায় হাত দিয়ে বসে...
View Articleउतरन
बेशकीमती जेवर पहने,सुन्दर परिधान में सजी–सँवरी और गरिमामय ढंग से चलते हुए, वह अपना महलनुमा घर मुझे दिखा रही थी। उसके पीछे चलती चकित और संकुचित -सी मैं देख रही थी। एक दर्जन के करीब वे सभी कमरे...
View Articleलघुकथाओं का प्रभाव
वाङ्मय अपना स्वरूप और स्वभाव समय और समाज के सापेक्ष बदलता रहता है।एक समय था जब साहित्य सृजन का माध्यम काव्य था।समय के साथ-साथ हिन्दी साहित्य में गद्य का आविर्भाव हुआ।गद्य के अनेक रूपों में...
View Articleलघुकथाएँ
1-आज़ादी शताब्दियों के इंतज़ार और असंख्य माँओं की गोद सूनी होने, अनगिनत सुहागिनों से इंद्रधनुष रूठने और न जाने कितने बिना ईद के रोज़ों के बाद, अंतत: ‘वह’ आ ही गई। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात...
View Articleबार-बार आकर्षित करती लघुकथाएँ
अब तक जो लघुकथाएँ मैंने पढ़ीं हैं, उनमें से किन्हीं दो का चुनाव करना मेरे लिए बहुत कठिन है, लेकिन यदि फिर भी चुनना ही पड़े, तो मैं सुकेश साहनी की ‘विजेता’ और अखिल रायज़ादा की ‘पहला संगीत’...
View Articleरत्नकुमार सांभरिया की लघुकथाएँ
रत्नकुमार सांभरिया की लघुकथाएँ -डॉ0 जितेन्द्र जीतू यदि मानवेतर लघुकथाओं को पढ़ने का सुख लेना है तो आपको रत्नकुमार सांभरिया को पढ़ना होगा। यदि लघुकथा में थॉटफुलनेस से साक्षात्कार करना है तो भी आपको...
View Articleलघुकथाएँ
1-आज़ादी शताब्दियों के इंतज़ार और असंख्य माँओं की गोद सूनी होने, अनगिनत सुहागिनों से इंद्रधनुष रूठने और न जाने कितने बिना ईद के रोज़ों के बाद, अंतत: ‘वह’ आ ही गई। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात...
View Articleजीवनसाथी
वे चारों एक विवाहोत्सव में पहली बार मिल रही थीं। यूँ एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानती थीं क्योंकि उन सबके पति एक बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करते थे। आज उसी कम्पनी में कार्यरत एक अन्य कर्मचारी...
View Articleटूटे बटन
घड़ी पर निगाह पड़ते ही राधा के हाथ और तेजी से चलने लगी। सोचने लगी कि आज फिर देर हो गई। अपने ऊपर झुँझलाते हुए कुर्ते पर बटन बंद कर रही थी कि अचानक ऊपर का बटन हल्के से टूटकर एक सिरे से बँधा हुआ झूलने...
View Articleपरसेंट
‘‘खैराती के बताए हुए नुस्खे को आजमाऊँगा जरूर ज्यादा–से–ज्यादा क्या होगा। टाँगें हीतो टूट जाएँगी। वैसे भी मेरे चलने या न चलने से ज्यादा फर्क थोड़े ही पड़ता है। और फिर ये पान की चलती–फिरती दुकान मेरे...
View Articleफाँस
चौधरी रामसिंह डेढ़ घंटे से बस का इंतजार कर रहे थे। कड़कती धूप थी, साए के नाम पर बबूल की झीनी छाया–अब तो प्यास भी लग गई थी बेचैनी में अंगोछे से पसीना पोंछे जा रहे थे कि तभी एक स्कूटर उनके पास आकर रुका।...
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