दर्पण झूठ नहीं बोलता
यूएई के लेखक-असगर ज़हीर (अनुवाद-आलोक कुमार सातपुते) एक लंबे समय के बाद आईने का एक टुकड़ा उसके हाथ लग। वह उस टुकड़े में खुद को गौर से देखने लगा। उसने देखा कि दर्पण में एक बेहद बदसूरत आदमी है।उसकी एक लंबी...
View Articleलघुकथा के स्वरूप और समीक्षा का सवाल
कई बार सवाल है कि श्रेष्ठ लघुकथा का स्वरूप कैसा हो? इसका दूसरा पक्ष यह भी है की लघुकथा की समीक्षा का मानदंड क्या है? मैं लिख भी दूँ कि कुछ शास्त्रनुमा लक्षण ,मगर अगले ही क्षण मुझे कहना पड़ेगा- नहीं...
View Articleलघुकथा और तकनीक
लघुकथा पर आज तक सभी मर्मज्ञजन बहुत कुछ कह चुके हैं, लिख चुके हैं। आज मैं अपना एक अलग नजरिया रख रही हूँ जो इसे डिजिटल वर्ल्ड से जोड़ता है। हम सब जानते हैं कि आज इंटरनेट आधुनिक तकनीक का महत्त्वपूर्ण उपकरण...
View Articleजीवन के विभिन्न रंगों के रूप में अपनी छटाएँ बिखेरती लघुकथाऍं
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अमृतलाल मदान मूलतः नाटककार हैं। इनकी सृजन यात्रा पाँच दशकों से अबाध गति से चल रही है। इस दीर्घ यात्रा में वे निरंतर राहों के अन्वेषी रहे हैं। इन्होंने कविता, कहानी, आलोचना,...
View Articleवर्चुअल रैली
– वर्चुअल रैली( लघुकथा संग्रह)-सुरेश सौरभ, मूल्य -160/-(पेपर बैक),250/-(हार्ड बाउण्ड) संस्करण-2021,पृष्ठ-104,प्रकाशन- इन्डिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा-201301 इकहत्तर लघुकथाओं का संग्रह वर्चुअल...
View Articleनई पुस्तकें
1-काले दिन(( लघुकथा – संग्रह): बलराम अग्रवाल, पृष्ठ: 100, मूल्य ( पेपर बैक):125₹, दिशा प्रकाशन 138/16 त्रिनगर , दिल्ली-110035, वर्ष:2021 2-अम्मा फिर नहीं लौटी ( लघुकथा – संग्रह) : राजकुमार निजात...
View Articleप्रगति की ओर
‘ लघुकथा आयोजन 2021‘ (निर्णायक-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ एवं बी एल आच्छा)15 विजेताओं की सूची इस प्रकार है-1 हीरे की कनी (कमल कपूर)2 विदाई (शैली खत्री)3 भाव (डॉ जय आनंद)4 विरोधाभास (अरुण चन्द्र राय)5...
View Articleकर्ज
“सर! बारह हजार रुपये एडवांस चाहिए ।” चपरासी रामचंद्र ने चाय का प्याला एकाउंटेंट की टेबल पर रखते हुए कहा । “अभी पिछ्ले हफ्ते ही तो तीन हजार एडवांस लिये, इस हफ्ते दुबारा…. पूरी तन्ख्वाह तो ऐसे ही उड़...
View Articleताबीज़
एक ताबीज़ वाला गाँव-गाँव, बस्ती-बस्ती, शहर-कस्बों में घूम-घूमकर ताबीज़ बेचता। धीरे-धीरे उसकी प्रसिद्धि इतनी हो गई कि उसके पहुँचने से पहले उसके आने की ख़बर फैल जाती। ताबीज़ वाले का दावा था उसका बनाया ताबीज़...
View Articleदरख़्त
“आप कहते हैं कि घर के बाहर खड़े आपके दरख़्त को ये अपने घर उठा ले गए!!’’ “जी हुजूर!” “किस फल का दरख़्त था ?’’ “फलदार नहीं था हुज़ूर!’’ “किसी फूल का था?” “वह फूलों वाला भी नहीं था!” “ ओह! तो उसके पत्ते काम...
View Articleਚੈਂਪੀਅਨ/चैम्पियन
ਚੈਂਪੀਅਨ / ਪਵਨ ਜੈਨ ਦੌੜ ਸ਼ੁਰੂ ਹੀ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਸੀ, ਉਦੋਂ ਹੀ ਸਰਿਤਾ ਦੀ ਇੱਕ ਸਹੇਲੀ ਨੇ ਆ ਕੇ ਪੁੱਛਿਆ, “ਸਰਿਤਾ ਕੀ ਤੇਰੇ ਪੈਰ ਵਿਚ ਸੱਟ ਲੱਗੀ ਹੈ?” “ਨਹੀਂ ਤਾਂ।” “ਗੋਡੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਦੱਬਦੇ ਹੋਏ, ਏਧਰ, ਏਧਰ ਦੇਖ ਤੈਨੂੰ ਦਰਦ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ?” “ਨਹੀਂ...
View Articleगुलाबी पेन
“अब क्या होगा बड़े बाबू”, दफ्तर में पसरे सन्नाटे को तोड़ते हुआ एक लिपिक ने प्रश्न उछाला। सबकी दृष्टि सोच में डूबे हुए बड़े बाबू की ओर उठ गई। बड़े बाबू ने गर्दन बिना उठाए ही अपने चश्मे से झाँका और फिर...
View Articleबेहतर समाज का सपना बुनते हुए
श्याम सुंदर दीप्ति पंजाबी में लघुकथा (मिन्नी कहानी) के प्रतिनिधि हस्ताक्षर है। व्यवसाय से डॉक्टर होने के बावजूद विगत चालीस वर्षो से एक्टिविस्ट और कलमकार दोनों भूमिकाएँ बड़ी सजगता और सक्रियता से निभाते...
View Articleलघुकथाएँ
जिस देश में गंगा बहती है 1 गंगा जी में बहते मुर्दे ने दूसरे से पूछा, हम तैर कर कहाँ जा रहे हैं? दूसरे मुर्दे ने पहले को करेक्ट किया, तैर नहीं रहे हम, बह रहे हैं। तैरने के लिए हिम्मत चाहिए होती है।...
View Articleमेरी पसंद (दो लघुकथाएँ )
मेरी पसंद (दो लघुकथाएँ ) रोचिका अरुण शर्मा लघुकथा यानी छोटी सी कहानी जो बगैर किसी लाग-लपेट के कम शब्दों में गहरी बात पाठक के मन-मस्तिष्क तक पहुँचा दे । जिसका पूरा सार अंत की एक पंक्ति में व्यंगात्मक...
View Articleਅੱਗ/आग
ਅੱਗ / ਅਸਗਰ ਵਜ਼ਾਹਤ ਉਸ ਆਦਮੀ ਦੇ ਘਰ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗੀ ਸੀ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਅੱਗ ਨੂੰ ਬੁਝਾਉਣ ਦੇ ਯਤਨ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਪਰੰਤੂ ਅੱਗ ਭਿਆਨਕ ਸੀ, ਬੁਝਣ ਦਾ ਨਾਂ ਹੀ ਨਹੀਂ ਲੈ ਰਹੀ ਸੀ। ਏਵੇਂ ਲਗਦਾ ਸੀ ਜਿਵੇਂ ਕੋਈ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਲੱਗੀ...
View Articleपृथ्वीराज अरोड़ा की लघुकथाएँ
सत्तर के दशक से हिंदी के जिन कथा लेखकों की लघुकथाएँ ‘सारिका,’ ‘कथन’, ‘लहर’, ‘कहानीकार’, ‘वीणा’, ‘पहचान’, ‘कथादेश,’ ‘प्रभृति’ आदि साहित्यिक पत्र–पत्रिकाओं तथा दैनिक समाचार–पत्रों में निरन्तर प्रकाशित...
View Articleश्रेष्ठ लघुकथाओं से गुज़रते हुए
पहले मैं लघुकथाओं को कोई विशेष महत्त्व नहीं देता था–उन्हें मैं ‘दोयम दर्ज़े का साहित्य’ मानता था, या कहूँ साहित्य मानता ही न था–बोध कथा, नीति कथा, अखबारी रिपोर्टिंग,हास्य–व्यंग्य चुटकुले की श्रेणी में...
View Articleवृक्ष
?? मिनी जब दस वर्ष की थी तब उसके पिताजी ने नया मकान खरीदा। उसके पिछवाड़े में, काफी कच्ची धरती थी। मेहनत करके माँ ।ने उस स्थान पर केले, अमरूद व आम के वृक्ष लगा दिये जो कुछ वर्षों में खूब फल देने लगे।...
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