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Channel: लघुकथा
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कमल चोपड़ा की 66 लघुकथाएँ

                                                                           कमल  चोपड़ा की 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल : सम्पादक -मधुदीप,पृष्ठ ; 272, मूल्य : मूल्य: 500 रुपये , संस्करण : 2016,प्रकाशक :...

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सतीशराज पुष्करणा जी की लघुकथाएँ

हम सबने एक कहावत बहुत बार सुनी होगी-देखन में छोटी लगे, घाव करे गम्भीर- अगर मैं कहूँ कि यह कहावत एक अलग ही अर्थ में लघुकथा की विधा पर बिल्कुल सटीक बैठती है, तो शायद मेरी बात से आप सब भी इत्तेफ़ाक़ रखेंगे।...

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किलकारी ( पटना) में लघुकथा की कार्यशाला

बिहार बाल भवन किलकारी ,पटना में 9जून से 12 जून2016को हुई कार्यशाला में लिखी गई लघुकथाओं में से तीन बच्चों क्रमशः प्रियन्त्रा, अतुल रॉय और रौशन पाठक की सुन्दर लघुकथाएँ आज के यानी 15 जून के हिन्दुस्तान...

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छोटी चादर

“मम्मी मेरे पैर चादर से बाहर निकल रहे हैं ,तुम नई ला दो ना…… प्लीज़ । ” पाँच वर्षीय पुत्र मिंकू भोर पाँच बजे ही नींद से उठकर बैठ गया ,उसने माँ की चादर देखी ,माँ के  पाँव  उनकी चादर के भीतर थे, क्योंकि...

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लघुकथाएँ

1-रंग  अपनी परिस्थितियों से जूझते हुए आखिरकार सरला ने एक शासकीय विद्यालय में शिक्षिका बनकर अपने दोनों बच्चों की जिम्मेदारी उठाना शुरू कर दी। वक्त गुजरने के साथ आज 20 सालों में दोनों बेटे युवा हो चुके...

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लघुकथाएँ

1-दु:ख वह रिक्शे के  इंतजार में खड़ी थी। काफी देर तक कोई रिक्शा नहीं आया, तो वह पैदल ही चल पड़ी। अचानक एक आदमी ने उसके पास आकर, उसके कंधे पर लटक रहे पर्स पर झपट्टा मारा। उसने पर्स हाथ से भी पकड़ रखा...

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संवेदना का सूत्र

लघुकथा  साहित्य की वह विधा है जो किसी संवेदना को एक सूत्र में पिरोकर उसे चिंतन की बहुआयामी समझ देती है। लघुकथा   जीवन के प्रति व्यक्ति की उद्दाम ललक को गहरी आत्मीयता के साथ अंकित करती है। किसी घटना या...

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पड़ाव और पड़ताल, खण्ड-20

     ‘पड़ाव और पड़ताल’ के 20वें खण्ड में चर्चित लघुकथा लेखक कमल चोपड़ा की छियासठ लघुकथाएँ और उनपर आलोचनात्मक लेख क्रमशः डॉ. पुरुषोत्तम दुबे, प्रो. बी. एल. आच्छा, डॉ. गुर्रम कोंडा नीरजा और डॉ. वीरेन्द्र...

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मास्टर जी

सड़क के दोनों ओर पेड़ों की कतारे थी । पेड़ो की कतारो से सड़क की शोभा को चार चाँद लगे हुये थे । सैकड़ो की संख्मा में हर आयुवर्ग के लोग प्रभात-भ्रमण हेतु उस ओर खिंचे चले आते थे । पिछले कुछ दिनों से एक शिक्षक...

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पेंशन

दिन-रात पेंशन के लिए चक्कर लगाते चक्करघिन्नी से हो गए थे सुमेर चौधरी। आए दिन दफ्तर के एक से दूसरे कमरे के चक्कर लगाते सुबह से शाम हो जाती और हाथ लगती फिर वही निराशा, जिसे जेब में डाल भारी कदमों से चल...

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भविष्य

‘प्रोफेसर साहब,जल्दी ही मेडिकल-काउंसिल की इंस्पैक्शन होने वाली है। आपके विभाग में मरीजों की संख्या काफी कमहै।कालेजकाउंसिलके स्टैंडर्ड पर खरा नहीं उतरा ,तो मान्यता रद्द होजायेगी। हम सबका भविष्य खतरे में...

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आँखों देखी

         सुबह का उजाला फैलने लगा था. लम्बी दूरी की ट्रेन ने एक तेज विसिल के साथ प्लेटफार्म छोड़ा ही था कि मेरे कोच में टी.सी. ने टिकिट निरीक्षण करते-करते मेरे सामने की बर्थ पर बैठे हुए पढ़े-लिखे संभ्रात...

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व्यवहार

अचानक बारिश होने लगी तो दोनों दोस्त जल्दी से सड़क के किनारे बाइक खड़ी करके एक दुकान के छज्जे के नीचे जाकर खड़े हो गए और बारिश थमने का इंतज़ार करने लगे। दूकानदार की नज़र इन पर पड़ी तो उसने झल्लाते हुए उन्हें...

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आकलन

श्री बख़्शी अभिवादन करने की मुद्रा में स्टाफ़रूम में घुसे। वहाँ बैठे दोनों अध्यापकों ने उनके अभिवादन का जवाब दिया और अपने काम में व्यस्त हो गए। श्री बख़्शी को इस विद्यालय में अध्यापक बनकर आए एक हफ़्ते के...

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धारणा(सिन्धी)

अनुवाद( देवी नागरानी) माँ हिन शहर में बिल्कुल अनजान हुयुस. काफी डुक-डोर करे कंह तरह पासी मुहल्ले में हिकु मकान गोल्हे सघ्युस. ट्यो डींहु ही कुटिंब शिफ़्ट कयो हो. गाल्ह गाल्ह में आफ़िस में ख़बर पई त माँ...

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हरेक में

(अनुवाद-सुकेश साहनी) एक बार मैंने धुंध को मुट्ठी में भर लिया। जब मुट्ठी खोली तो देखा, धुंध एक कीड़े में तब्दील हो गई थी। मैंने मुट्ठी को बंद कर फिर खोला, इस बार वहां एक चिड़िया थी। मैंने फिर मुट्ठी को...

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भारतीय लघुकथाओं में मनोविज्ञान

मेरा बचपन संयुक्त परिवार में बीता है। एक घटना याद आ रही है। सुबह उठ कर देखता हूँ–माँ रसोई में नहीं है बल्कि रसोई के बाहर बने स्टोर में अलग–थलग बैठी हैं। दादी माता जी को वहीं चाय नाश्ता दे रही है। मुझे...

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अमृतसर में लघुकथा सम्मेलन

अमृतसर में  23 अक्तुबर को  लघुकथा सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

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सतीशराज पुष्करणा की लघुकथाओं की पड़ताल

हिन्दी-लघुकथा के विकास में जिन लघुकथाकारों ने उल्लेखनीय भूमिका का निर्वाह किया है उनमें एक महत्त्वपूर्ण नाम सतीशराज पुष्करणा का भी है। इन्होंने इस विधाके विकास हेतु प्रत्येक संभव पक्ष एवं माध्यम का...

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खोजी कुत्ते/ਖੋਜੀ ਕੁੱਤੇ/

ਮਾਧਵ ਨਾਗਦਾ ( अनुवाद : श्याम सुन्दर अग्रवाल) ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਪਿਛਲੇ ਦਿਨੀਂ ਹੋਈ ਚੋਰੀ ਦੀ ਚਰਚਾ ਅਜੇ ਤੱਕ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਜਬਾਨ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਲਗਭਗ ਦੋ ਲੱਖ ਦੀ ਚੋਰੀ, ਤੇ ਉਹ ਵੀ ਪੁਲਿਸ ਥਾਣੇ ਤੋਂ ਸਿਰਫ ਸੌ ਗਜ ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ! ਕੁਝ ਲੋਕ...

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