नरेन्द्र प्रसाद ‘नवीन’ की लघुकथाएँ
1.साम्राज्यवाद मैं सुबह टहलने के उदेदश्य से लॉन की ओर बढ़ा। मेरा पालतू एलसेशियन कुत्ता भी दुम हिलाता मेरे साथ–साथ चल पड़ा। मार्ग में कुछ निर्बल रोगग्रस्त कुत्ते भी नजर आए। उन्हें देखकर मेरे कुत्ते ने...
View Articleलघुकथा का शिल्पविधान
डॉ0शंकर पुणतांबेकर मूलत: उसके शिल्प से ही जानी जाती है और उसमें कोई एक तत्त्व प्रधान होता है। यथा कविता में कथा और संवाद के रहते भी उसका प्रधान तत्त्व लय अथवा छंद है, नाटक में कथा और लय के रहते भी उसका...
View Articleअयन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘लघुकथा अनवरत’
अयन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 256 पृष्ठों का लघुकथा-संकलन ‘लघुकथा अनवरत’ लघुकथा-साहित्य के इतिहास का नव दस्तावेज़ -सा है… अपने आप में अनुपम और अद्वितीय। लघुकथा विधा के दिग्गज द्वय श्री सुकेश साहनी एवं...
View Articleफूल
एक किशोर अक्सर हमारे बगीचे से फूल चुन कर ले जाता था।जब वो फूल चुनता था तब उसकी नजरें सिर्फ फूलों पर होती थीं ।इधर उधर और कहीं भी नहीं देखता था।उसकी नजरें फूलों के सिवाय कुछ देखती नहीं थीं।कान कुछ और...
View Articleपॉकेटमार
आइए यजमान, किसकी अस्थियाँ लाए हैं ? नजरें आगंतुक की जेब पर डालते हुए करुणामिश्रित मीठी जुबान में पंडा बोला । पिताश्री की ! यजमान ने कहा । अरे–अरे कब . . . कै बरस के थे वे ? पीकदान में शोक संवेदनाएँ...
View Articleउमस
प्रियवर नायक ! अब तथाकथित घर` से लौटते हुए गहरी उद्विग्नता कैसी? अपने लिए पुनर्नवा मार्ग खोजने गए थे, भले ही बरसों बाद वहाँ — जहाँ पग-पग पर तोपें रखी हैं!क्योंकर मान बैठे थे कि असहमतियों और अ-सम्बन्धों...
View Articleअनर्थ : आग की लपटों के बीच मानवीय संवेदना
हरनाम शर्मा सातवें दशक में प्रकाशित एक लेख में भारत के विद्वान पूर्व शिक्षा मन्त्री डा0 वी.के.आर.वी. राव ने लिखा था – ‘‘हमारे देश की जड़ों को तीन बकरियाँ निरन्तर खाए जा रही हैं जिनके नाम हैं :–...
View Articleसपने और सपने: ਸੁਫ਼ਨੇ ਤੇ ਸੁਫ਼ਨੇ
पंजाबी [ अनुवाद :श्याम सुन्दर अग्रवाल] ਚੇ ਰੇਤੇ ਦੇ ਘਰੌਂਦੇ ਬਣਾ ਕੇ ਖੇਡ ਰਹੇ ਸਨ ਕਿ ਸੇਠ ਗਣੇਸ਼ੀ ਲਾਲ ਦਾ ਬੇਟਾ ਬੋਲਿਆ, “ਰਾਤ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਸੁਫ਼ਨਾ ਆਇਆ ਸੀ।” “ਸਾਨੂੰ ਵੀ ਦੱਸ।” ਬਾਕੀ ਦੋਨਾਂ ਬੱਚਿਆਂ ਨੇ ਜਾਣਨਾ ਚਾਹਿਆ। ਉਹਨੇ...
View Articleकथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2015
पहला पुरस्कार प्राप्त लघुकथा गाली-अरुण कुमार दस बजे बड़े बाबू ने कार्यालय में प्रवेश किया और कुर्सी पर बैठने से पहले उस पर उँगली फिराकर गुस्से और रौब से चीखा, ‘‘अबे चरणदास … लगता है...
View Articleलघुकथा -आयोजन और उत्सव
1-दिल्ली हिन्दी अकादमी में लघुकथा-पाठ 27 मार्च को हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा पहली बार लघुकथा –पाठ का आयोजन किया गया। इस आयोजन के लिए अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा जी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।...
View Articleलघुकथा की विधागत शास्त्रीयता और पुरस्कृत लघुकथाएँ
15 मार्च 2016 को साहित्य अकादमी और फिर 27 मार्च को हिन्दी अकादमी द्वारा लघुकथा पाठ के आयोजन को लघुकथा की विकास यात्रा में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है। इस उपलब्धि के पीछे जहाँ एक ओर...
View Articleलघुकथा से पहचान की यात्रा
मेरी लघुकथा से पहचान की यात्रा लंबी है । मैंने घर में साहित्य पढ़ने -लिखने का वातावरण पाया ।बाबूजी अंग्रेजी नावेल पढ़ते थे । बंगाल में मुझे सांस्कृतिक वातावरण मिला । देश – विदेश की लोक कथाओं व...
View Articleसपनों का दरवाजा
हादसा कई साल पहले हुआ था। उसे और उसके जैसों को घाटी से बहुत पहले खदेड़ दिया गया था। कहा गया ; ” हमारे साथ मिल जाओ, मर जाओ ,या भाग जाओ।” वे खुले दरो दीवार छोड़कर भाग खडे हुए थे। इस आसरे में कि फिर कभी...
View Articleनिर्माता
( अनुवाद : (सुकेश साहनी) एण्टीओक शहर के एक भाग को दूसरे से जोड़ने के लिए आसी नदी पर पुल बनाया गया था। इस काम के लिए प्रयोग में लाए बड़े–बड़े पत्थर पहाड़ों से खच्चरों की पीठ पर लादकर लाए गए थे। पुल के...
View Articleलोक और तंत्र
सोया हुआ तंत्र जाग उठा ।लोक के पास आकर पूछा – क्या चाहिए ?” लोक बोला – रोज़गार । नौकरी । दरअसल गाँवों में चुनाव थे । तंत्र गाँव-गाँव गया ।इस गाँव भी आया ।गणित का मन्त्र लगाया ।गाँव में दलित ज्यादा थे...
View Articleटोका-टाकी
पिता-पुत्र से-”बेटे, अब तो मैंने तुम्हें कुछ कहना सुनना, राय देना अथवा टोकना बिल्कुल बंद कर दिया है, जबसे तुमने मुझसे कहा था कि घर की हर एक बात में मेरी टोका-टाकी से तुम्हारी खुशियों में खलल पड़ता है।...
View Articleबोहनी
मिर्ज़ा हफ़ीज़ बिट्टू ने ऑटो निकाला और सड़क पर आकर सवारी का इंतेज़ार करने लगा । आज ढंग की बोहनी हो जाये ; वह मन ही मन भगवान से मनाने लगा । किसी अच्छी माल से बोहनी हो जाये तो आज का दिन टनाटन गुज़रे –वह सोंचने...
View Articleसेतु
कितनी बार समझाया है इनको, थोड़ा धीरज से काम लिया करो। अब बेटे की शादी हो गई है, घर में बहू है, उनका बच्चा है। वो तो अच्छा है आज विभा गोलू को नानी से मिलवाने लेकर गई हुई थी, नहीं तो क्या सोचती बाप-बेटे...
View Articleपीले पंखों वाली तितलियाँ: रचनात्मक विविधिताओं से भरा संग्रह
डॉ. बलराम अग्रवाल लघुकथा के उन शीर्षथ हस्ताक्षरों में से हैं, जिन्होंने लघुकथा में सृजन और समीक्षा-समालोचना के साथ लघुकथा का रूप-स्वरूप तय करने का काम भी किया है और उत्कृष्ट व संभावनाओं की तलाश करने...
View Articleपिंजरे/ਪਿੰਜਰੇ-
(अनुवाद : श्याम सुन्दर अग्रवाल) ਉਹਦੇ ਕਦਮਾਂ ਦੀ ਆਹਟ ਨਾਲ ਚੌਂਕ ਕੇ ਨੀਲੂ ਨੇ ਅੱਖਾਂ ਖੋਲ੍ਹੀਆਂ। ਉਸਨੂ ਪਛਾਣ ਕੇ ਹੌਲੇ ਜਿਹੇ ਪੂਛ ਹਿਲਾਈ ਤੇ ਫਿਰ ਨਿਸ਼ਚਿੰਤ ਹੋ ਕੇ ਅੱਖਾਂ ਬੰਦ ਕਰ ਲਈਆਂ। ਚਾਰੋਂ ਕਤੂਰੇ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਤੇ ਡਿੱਗਦੇ...
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