नटखट बालिका
रवीन्द्रनाथ टैगोर मैंने केवल इतना कहा–सायंकाल जब पूर्ण चन्द्रमा कदंब वृक्ष की डालियों के बीच में फँस जाता है<तो क्या कोई उसे पकड़ नहीं सकता? किन्तु दादा मुझ पर हँसने लगे बोले– बच्ची, तुम्हारी जैसी...
View Articleउड़न छू
मैं, दीदी, राजू और बड़े भैया जब साथ–साथ बैठकर खेलते तो जीजी अम्मा को भी न जाने कहाँ से खोजकर ले आती और हम सब के साथ बैठा लेती थी। फिर हम सब उड़न छू–उड़न छू खेलते थे। बड़े भैया से खेल की शुरूआत होती...
View Articleसोचने को विवश करती लघुकथाएँ
हरी- भरी वादियाँ, दूर दूर तक फैला वितान,एक सुनहरी आभा में मिलते धरती गगन, और उस आभा में आलोकित हो क्षितिज को पकड़ने दौड़ते बालकों से हम। हरी भरी वादियों में दौड़ते हुए कहीं किसी पत्थर से ठोकर हो जाती...
View Articleनये तेवर की लघुकथाएँ
डॉ.सरस्वती माथुर हिंदी साहित्य में लघुकथा लेखन की सुदीर्घ परंपरा है । आज के इस दौर में जीवन की विसंगतियाँ ,मानवीय संवेदनाओं ,रिश्तों के कंपन को चित्रित करने में लघुकथा सटीक सिद्ध हुई है। अवधनारायण...
View Articleब्रेकिंग न्यूज
मेरी गुड़िया ,मेरी बच्ची !,कह–कह शर्माइन बेहोश हुई जा रहीं थीं। विधायक शर्मा जी फ़ोन–पर–फ़ोन किए जा रहें थे, पर अभी तक कुछ पता ना चला था। ब्रेकिंग न्यूज के नाम से घर–घर न्यूज दिख रही थी कि कद्दावर नेता...
View Articleलगा हुआ स्कूल
नए साल में स्कूल खुल गए थे । रामगढ़ गाँव का यह सरकारी स्कूल मिडिल से हाई स्कूल बन गया था । कुछ दिन पहले वहां एक नया अधिकारी बिना पूर्व सूचना दिए पहुँच गया ।उस समय स्कूल में एक सेवादार के अलावा कोई...
View Articleखोज
( अनुवाद : सुकेश साहनी) मेरी आत्मा और मैं विशाल समुद्र में स्नान करने के लिए गए। किनारे पहुँचकर हम किसी छिपे स्थान के लिए नज़रें दौड़ाने लगे। हमने देखा एक आदमी चट्टान पर बैठा अपने झोले से चुटकी–चुटकी...
View Articleलघुकथाएँ
1-ऑपरेशन धीरे– धीरे वक्त करीब आता जा रहा है। ज़्यादा दिन महटियाना ठीक नहीं। एक आँख का ऑपरेशन तो हो ही चुका, दूसरी भी करवा लें तो अच्छा। पिछले पन्द्रह दिनों से मिसेज निगम उधेड़बुन में पड़ी हैं। किसी को...
View Articleसुरक्षा
“कौन है बाहर? ज़रा जाकर देखो।” बाहर से आते शोर पर खिन्न होकर इंस्पेक्टर ने एक सिपाही को आदेश दिया। सिपाही तुरन्त बाहर चला गया। लगभग दो मिनट बाद अन्दर आकर उसने बताया, “साहब ! कोई लड़की है। किसी मनचले...
View Articleचोर
पत्नी ने कमरे में घुसते हुए कहा- ‘‘सुनते हो जी ,मैं कई दिन से देख रही हूँ एक औरत और एक आदमी शाम ढलते ही हमारे घर के आगे से गुजरते हैं…’’ ‘‘इसमें कौनसी बड़ी बात है। दिन में न जाने कितने लोग यहाँ से...
View Articleसृजन तो सदैव शास्त्र का अतिक्रमण करता है
किसी भी विधा को परिभाषित एवं विशेषताओं से लक्षित करना कठिन है ,क्योंकि जिन तत्वों से गढ़ते हैं; रचनाएँ उनका अतिक्रमण कर जाती हैं ।वे ऑटोमेटिक को ध्वस्त कर नयेपन पर हस्ताक्षर करती हैं ।मेरे लिए...
View Articleहिन्दी-लघुकथाओं में स्त्री की स्थिति
सृष्टि में स्त्री-पुरुष दोनों का अपना-अपना महत्त्व है । यानी दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इन्हें हम बराबर भी नहीं कह सकते, किन्तु यह सत्य है कि दोनों मिलकर ही पूर्ण होते हैं। दोनों का अपना-अपना महत्त्व...
View Articleखोज
( अनुवाद : सुकेश साहनी) मेरी आत्मा और मैं विशाल समुद्र में स्नान करने के लिए गए। किनारे पहुँचकर हम किसी छिपे स्थान के लिए नज़रें दौड़ाने लगे। हमने देखा एक आदमी चट्टान पर बैठा अपने झोले से चुटकी–चुटकी...
View Articleलघुकथाएँ
1-ऑपरेशन धीरे– धीरे वक्त करीब आता जा रहा है। ज़्यादा दिन महटियाना ठीक नहीं। एक आँख का ऑपरेशन तो हो ही चुका, दूसरी भी करवा लें तो अच्छा। पिछले पन्द्रह दिनों से मिसेज निगम उधेड़बुन में पड़ी हैं। किसी को...
View Articleपुस्तकें
सुकेश साहनी की 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल;सम्पादक: मधुदीप,पृष्ठ:280 मूल्य: 500रुपये; संस्करण:2017, प्रकाशक: दिशा प्रकाशन,138/16,त्रिनगर, दिल्ली-110035 भीतर का सच( लघुकथा-संग्रह) : सिद्धेश्वर ,मूल्य:250...
View Articleइश्क , आशिक और क़िताब
उसे देखते ही वह चहक पड़ी , “हाय सत्या , किधर भागे जा रही हो ?” “बस तेरे पास ही आ रही थी | बहुत दिन हो गए , सोचा तेरी क़िताब आज वापस कर दूँ |” “अरे छोड़ यार क़िताब-विताब की बात ……..बता क्या हाल है ? ….आज तू...
View Articleखबर
सुबह का अखबार फिर उसके सामने था। वही खबरें, यहाँ आतंकवादी हमले में इतने मरे, इतने घायल! लोग शोक प्रकट कर रहे हैं, वहाँ सैनिकों ने इतने विद्रोहियों को मार गिराया, इधर कार एक्सीडेंट में इतने घायल, उधर...
View Articleहरियाणा साहित्य अकादमी के युवालेखन की विधाओं में लघुकथा भी शामिल
चर्चा में : हरियाणा साहित्य अकादमी के युवालेखन की विधाओं में लघुकथा भी शामिल
View Articleलघुकथाएँ
1-रंग “तू जानता भी है, छोटे, कि तू क्या बोल रहा है? ऐसा अनर्थ हमारे कुल में ना कभी हुआ, ना होगा। दद्दा आप समझाइए इसे।” किसी गहरी नदी की सी गंभीरता लिये ही देखा था उन्हें बचपन से। मुँह अँधेरे उठकर घर के...
View Articleअसंतुष्ट
अनुवाद : सुकेश साहनी एक समय शहर के प्रवेशद्वार पर दो देवदूत मिले। आपस में दुआ–सलाम के बाद वे बातचीत करने लगे। पहले देवदूत ने कहा,‘‘आजकल क्या कर रहे हो? तुम्हें क्या काम मिला है?’’ दूसरे ने बताया,...
View Article