कुरुक्षेत्र में लघुकथा गोष्ठी आयेजित
राधेश्याम भारतीय प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य पर हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच करनाल के तत्वावधान में डा.ॅ ओमप्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान कुरूक्षेत्र में एक लघुकथा गोष्ठी का आयेजन किया गया। कार्यक्रम की...
View Articleबेटी व अन्य लघुकथाएँ
बेटी व अन्य लघुकथाएँ : डॉ पद्मजा शर्मा; पृष्ठ :144, मूल्य:200रुपये,प्रकाशक:मिनर्वा पब्लिकेशंस, सेक्टर-डी: प्लाट नं-2 एफ़,भगवती कॉलोनी, पी डब्ल्यू डी चौराहा,जोधपुर ; संस्करण:2016
View Articleभूत
जब सरपंच गाँव के रामफूल के घर पहुँचे तो देखा कि घर में अफरा- तफरी का माहौल था ।उसकी बहू के बाल बिखरे,तन के कपडे अस्त -व्यस्त,कभी ठहाका तो कभी जोर .जोर से रोना— न समझ आने वाली भाषा में बड़बड़ाना ।इकट्ठा...
View Articleकथादेश में लघुकथा-प्रतियोगिता की पुरस्कृत रचनाओं का प्रकाशन
कथादेश में लघुकथा-प्रतियोगिता की पुरस्कृत रचनाओं का प्रकाशन कथादेश के अक्तुबर में
View Articleसटीक और विश्वसनीय लघुकथाएँ
हिन्दी लघुकथा लेखन का रकबा बढ़ा है, इस बात पर कोई शक नहीं, लेकिन लघुकथा की श्रेष्ठ फसल के बरअक्स लघुकथा की खरपतवार गुणात्मक ढंग से उग रही है, फलस्वरूप आजकल अच्छी लघुकथाओं के टोटे दिखाई दे रहे...
View Articleकिन्नर ही तो था
ठाकुर साहेब !! आपको हमारी कसम मत ले जाए इसे, मैंने नौ महीने कोख में पाला इस जीव को,आप कैसे किसी और को दे सकते। हाय री किस्मत ! ब्याह के 10 बरस बाद दिया तो वोह भी ठूँठ! मेरे लिए तो मेरी संतान, मैं कही...
View Articleलघुकथाएँ
1-सेवाभाव गाड़ी धीरे-धीरे प्लेटफार्म छोड़ रही थी और बाबू जी शीशे से हीक भर बेटे को निहार लेना चाहते थे। समय को कौन जाने? अस्सी पार कर चुके पहले भी छोटे के पास आया करते थे,दोनो लोग। परंतु कभी अकेले वापस न...
View Articleमरहम
अभी बीते परसों से ही जब तीन दिन की छुट्टी हुई तो वह कई दिन से लटके पड़े रसोई की मरम्मत के काम के लिए छुट्टी के पहले दिन से ही एक राजमिस्त्री और एक मज़दूर ढूँढ लाया था। खाली समय था सो बैठकर सुधार कार्य...
View Articleबैठेंगे
मरीज़ का रिश्तेदार , डॉक्टर के क्लिनिक पर फोन करते हुए-डॉक्टर साहब शहर में हैं? हाँ । किसी मीटिंग में तो नहीं? ना । बैठे हैं ? हाँ । मरीज़ देख रहे हैं? हाँ । मरीज़ का रिश्तेदार , डॉक्टर के चेम्बर के बाहर...
View Articleभूमंडलीकरण के दौर में हमारी सांस्कृतिक चिन्ताएँ
भूमंडलीकरण के इस दौर में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एशिया के सस्ते श्रम और विस्तृत बाजार को ललचाई नजरों से देख रही है । बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में उत्पादन और व्यापार के लिए तो आ ही रही है साथ में...
View Articleलघुकथा में लोक मांगलिक चेतना होना जरूरी है
डॉक्टर रमेश चंद्र की लघुकथाएँ सादगी से भरी हुई है। जैसा उनका सहज जीवन है, वैसी ही उनकी लघुकथाएँ हैं ।उनका जीवन उनकी लघुकथाओं में प्रतिबिंबित होता है। उनकी लघुकथाएं जनपक्षधर हैं ,और लघुकथा में लोक...
View Articleबेटी व अन्य लघुकथाएँ
पिछले चार दशकों से लघुकथा लेखन में निरन्तरता बनी हुई है। इस दौरान सैकड़ों लघुकथाकार आए और हजारों लघुकथाएँ लिखी गईं। समय प्रवाह के अनुसार कुछ लघु कथाकार छूटते चले गए और कुछ नए जुड़ते चले गए यानी कि...
View Articleमजहब (विटांचा धर्म )
मूल लघुकथा : मजहब मराठी : विटांचा धर्म मूल हिन्दी :कृष्णा वर्मा मराठी में अनुवाद : डॉ. रश्मि नायर एवढा मुसळधार पाऊस की थांबायच नावच घेत नव्हतं, जस आकाशाला भोकच पडल. पहाता...
View Articleस्टेटस
वह घर पहुँचा तो पत्नी मुँह लटकाए हुए बर्तन साफ कर रही थी-‘ आज कामवाली नहीं आई ?’ ‘अब आएगी भी नहीं।’ ‘अब क्या हो गया ? पहले तो कामवाली हमारी जात पता लगने पर भाग जाती थी —पर यह नई कामवाली तो अपनी जात की...
View Articleलघुकथाएँ
1-बचपन मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता हूँ । रोज़ स्कूल, होमवर्क और बाद में ट्यूशन । क्या करूँ? माँ मुझे नहीं पढा़तीं हैं कहती हैं, ‘मेरे पास टाइम नहीं है ।’ मैं शाम को बहुत कम समय खेल पाता हूँ । मुझे खेलना...
View Articleधोखा
( अनुवाद : सुकेश साहनी) पहाड़ की चोटी पर अच्छाई और बुराई की भेंट हुई। अच्छाई ने कहा, ‘‘भैया, आज का दिन तुम्हारे लिए शुभ हो।’’ बुराई ने कोई उत्तर नहीं दिया। अच्छाई ने फिर कहा, ‘‘क्या बात है, बहुत...
View Articleपता नहीं क्यों
भैया-भाभी और चीनू के आ जाने से ही घर भरा-भरा लगने लगा है। बहुत दिनों बाद आए हैं…लगभग कुसुम की शादी के बाद। अम्मा और पिताजी खुश हुए कि चलो, बड़ा आया तो सही-भले ही अम्मा की बीमारी की तार पहुँचने पर। खाना...
View Articleफ़ेसबुक
फ़ेसबुक पर फ्रेण्ड रिक्वेस्ट और इनबॉक्स में मेसेज देख जवाब में तन्वी ने उनसे पूछ ही लिया-‘नमस्कार,भाई साहब ! आपकी प्रोफाइल आई डी से मैं कुछ जान नही पा रही हूँ,आप संक्षिप्त में अपना परिचय देंगे?’ ‘मैं...
View Articleहत्यारे
नई बसी कॉलोनी में मि.सिंह के घर के सामने आम का वृक्ष लगा था। आम का वृक्ष बहुत पुराना था। वसंत ऋतु के दिनों में पूरा वृक्ष बौर से भर गया। उसमें अनेक पक्षियों के घोसलें बने थे,बैसाख के आखिरी दिनों में...
View Articleकुंडली
कुंडली ‘आज फैसले का दिन है ; लेकिन समझ नहीं आता,कैसे क्या किया जाए !’करमचंद सोचता जा रहा है । दरअसल उसकी बेटी के लिए एक रिश्ता आया है । सब चीज़ें ठीक लग रही हैं । उम्र,कद-काठी,देखने में भी अच्छा है।...
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