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Channel: लघुकथा
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अंकगणित

साढे बारह बजे युवाओं की भीड़ का हुजूम परीक्षा हॉल से बाहर निकला, तभी मास्टरी की सरकारी नौकरी हेतु परीक्षा हॉल से निकले दो प्रतियोगियों के बीच बातचीत चल पड़ी। “कितने बने?” “अठासी, और आपके?” “अठासी ही!...

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लघुकथा आकार और प्रकार ;अशोक भाटिया

लघुकथा आकार और प्रकार ;अशोक भाटिया अनुज्ञा बुक्स 1/10206,लेन नं. 1E,वेस्ट गोरख पार्क, शाहदरा ,दिल्ली–110032 फोन..93508-09192

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अविश्वास की गंध

रामप्यारी झाड़ू-पोछा करके बर्तन माँजने बैठी ही थी। तभी कमरे में से मालकिन निकल कर आई, “ऐ रामप्यारी, ये बादाम लेती जाना।” वह चौंक पड़ी, “बादाम !” इतना बरस हो गया काम करते, जब देखो मलकिन पिस्ता-मूँगफली...

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लघुकथा का स्वरूप

वर्तमान समय में आम नागरिक को जीवनयापन के लिए भारी  जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है। नाटक और भारी भरकम उपन्यासों से नहीं जुड़ पाने के कारणों में यह एक महत्वपूर्ण कारण है। कहानी एक ऐसी विधा है जो डेढ़...

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धर्मयुद्ध

मराठी से अनुवाद : उज्ज्वला केळकर पाचवा पेग रिचवता रिचवता, विश्वनाथ पापडे थोडे गंभीर झाले। नशेत चूर होऊन दंगामस्ती करणं काही त्यांना शोभलं नसतं। ते काही साधे–सुधे, सामान्य माणसासारखे नव्हते। ते खूप...

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पल-पल

सुबह आठ बजेः             विरार चर्चगेट लोकल ट्रेन में धक्का-मुक्की और शोर-शराबे के बीच वृद्ध मिस्टर अल्मेडा सारे डिब्बे में चॉकलेट बाँटकर शुभकामनाएँ बटोर रहे थे।             उनका जन्मदिन मनाने वाले...

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प्रेम

शिकार से लौटते हुए मैं बगीचे के मध्य बने रास्ते पर चला जा रहा था, मेरा कुत्ता मुझसे आगे-आगे दौड़ा जा रहा था। अचानक उसने चौंककर अपने डग छोटे कर दिए और डग छोटे कर दिए और फिर दबे कदमों से चलने लगा, मानो...

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बैसाखियों के पैर

लघुकथा विधा में  विशिष्ट स्थान रखने वाले भगीरथ परिहार का प्रथम लघुकथा संग्रह ‘पेट सबके हैं’ (1996) के बाद  दूसरा लघुकथा संग्रह‘ बैसाखियों के पैर’  इक्कीस वर्ष बाद प्रकाशित हुआ। इतने अन्तराल के बाद...

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लघुकथा कलश -एक सम्पूर्ण पत्रिका

कलश शब्द ही उस पात्र का प्रतीक है ,जो सदा शुभ संकेत हेतु प्रयुक्त किया जाता है। जब यही शब्द लघुकथा के साथ जुड़ जाए ,तो यह सम्पूर्ण विधा के लिए शुभसंकेत का दावा करता प्रतीत होता है। दावा कितना सटीक है...

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शहर और आँखें

दिल्ली: वह ट्रेन में मिला था मुझे। वह किसी बड़ी कम्पनी का बड़ा आदमी था। कद लम्बा और गोरा था, और आँखें छोटी और भेदती हुईं। वह ऊपर से नीचे तक देख रहा था मुझे और चश्मे के अन्दर उसकी आँखें और छोटी होती जा...

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अपनी ही आग में

भाईचारे का युग था। सब मेल-मिलाप और प्यार-प्रेम से रहते। हुनरमन्द औजारों तक को इस अपनत्व से हाथ में लेते और काम को इस श्रद्धा से करते कि पूजा कर रहे हों। वह जुलाहा बड़े जतन और प्रेम से बुनता था कपड़ा।...

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श्रेष्ठ लघुकथाओं से गुज़रते हुए

पहले मैं लघुकथाओं को कोई विशेष महत्त्व नहीं देता था–उन्हें मैं ‘दोयम दर्ज़े का साहित्य’ मानता था, या कहूँ साहित्य मानता ही न था–बोध कथा, नीति कथा, अखबारी रिपोर्टिंग,हास्य–व्यंग्य चुटकुले की श्रेणी में...

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लघुकथांक और सम्मान

डॉ. कमल चोपड़ा द्वारा संपादित संरचना-11, हिन्दी चेतना का आगामी अंक 21 वीं सदी के ऊर्जावान् लघुकथाकारों पर केन्द्रित। ‘कुमुद’ साहित्य शिरोमणि सम्मान 2019 सुकेश साहनी को। बरेली। साहित्यकार ज्ञान स्वरूप...

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रचना ही रचनाकार की पहचान

लगभग तीन दशकों से इस विधा से मेरा गहरा जुड़ाव रहा है । इस अंतराल में सृजन और अध्ययन के क्रम में अपने पूर्ववर्तियों , समकालीनों( अशोक भाटिया , बलराम अग्रवाल , सुकेश साहनी , रामेश्वर काम्बोज , जगदीश...

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लघुकथाएँ

1-एंटी वायरस “मैम आपको स्टेशन तक छोड़ दूँ? वो अपनी मनपसंद दोस्त और कॅलीग से बोला”-“रोज छोड़ता हूँ, आदत हो गई है, मुझे परेशानी नहीं होती।आपकी लोकल जाने के बाद, मैं पैदल इसी रास्ते रूम पर निकल जाऊँगा...

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दया

आज रविवार है। भिखारियों के लिए त्योहार का दिन। आजकल ऐसे तो वे मंदिरों के किनारे जमे रहते हैं ; लेकिन उसके मुहल्ले के उदारतावादियों के कारण हर रविवार जरूर आते हैं यहाँ।  राम हरि के द्वार से कई...

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7 लघुकथाएँ

कथाकार नन्दल हितैषी पुण्य स्मृति में 1-अकाल आँगन के ऊपर से सुग्गों का एक झुण्ड चिंचियाता हुआ दाने-पानी की तलाश में गुजर रहा था। ….और वह पालतू सुग्गा पिंजड़े में कैद आँगन के एक कोने में, अपने सीमित...

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इम्तिहान

मैं एक नौकर हूँ,लेकिन मेरे पास करने को कोई काम नहीं है, मैं दब्बू हूँ और अपने आपको आगे लाने के लिए जोर नहीं मारता, लेकिन यह मेरी बेकारी का केवल एक कारण है, यह भी संभव है कि इसका मेरी बेकारी से कोई...

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सर्वाधिक लोकप्रिय विधा

      लघुकथा अपने आकार और कथ्य वैशिष्ट्य के कारण आज साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधाओं में से एक है। आधुनिक जीवनशैली की प्रतिबद्धताओं से साम्य के कारण लघुकथा ने जहाँ आम आदमी, विशेषकर युवाओं में...

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लघुकथा में शीर्षक का महत्त्व

दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक नाम होता है, उसकी पहचान। इसी तरह से प्रत्येक साहित्यिक कृति का भी अपना एक नाम होता है, उसका शीर्षक। अकसर कहा जाता है कि नाम में क्या पड़ा है। अगर रामचंद का नाम...

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