गुलाब वाला कप
सुबह-सवेरे चाय बनाने हेतु बुजुर्ग हीरालाल रसोईघर में पहुँचे तो गुलाबी कप अपने स्थान पर नहीं था। उन्होंने हर तरफ निगाह घुमाई; लेकिन कप कहीं भी दिखाई नहीं दिया। नए कप तो दिखाई दे रहे थे, पर उनका पसंदीदा...
View Articleजीवन के विभिन्न रंगों के रूप में अपनी छटाएँ बिखेरती लघुकथाऍं
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अमृतलाल मदान मूलतः नाटककार हैं। इनकी सृजन यात्रा पाँच दशकों से अबाध गति से चल रही है। इस दीर्घ यात्रा में वे निरंतर राहों के अन्वेषी रहे हैं। इन्होंने कविता, कहानी, आलोचना,...
View Articleपराजित योद्धा[तेलुगु ]
भाषा:तेलुगु ,अनुवादक : पी. निर्मला, विशाखापट्टनम ముాలరచయిత: రవి ప్రభాకర్. తెనుగుసేత: పారన0ది నిర్మల పరాజితయోద్ద ‘ఇదేమిటి అమ్మా యి!’ చీటీమీదనాలుగువేలు బాకీ అని రాసి ఉన్ది! ‘ టెస్ట్ హవుస్ నుండి వచ్చిన...
View Articleमेरी पहली पसंदीदा लघुकथा
लघुकथा पर आज तक सभी मर्मज्ञजन बहुत कुछ कह चुके हैं, लिख चुके हैं। आज मैं अपना एक अलग नजरिया रख रही हूँ जो इसे डिजिटल वर्ल्ड से जोड़ता है। हम सब जानते हैं कि आज इंटरनेट आधुनिक तकनीक का महत्त्वपूर्ण...
View Articleस्वर्ण जयंती समकालीन लघुकथा प्रतियोगिता-2021
मूल्यांकन परिणाम : स्वर्ण जयंती समकालीन लघुकथा प्रतियोगिता-2021 अविराम साहित्यिकी द्वारा आयोजित ‘स्वर्ण जयंती समकालीन लघुकथा प्रतियोगिता-2021’ के सभी प्रतिभागियों और मूल्यांकनकर्ताओं का आभार व्यक्त...
View Articleरचना प्रक्रिया
लघुकथा के बारे में अक्सर कहा जाता है कि यह एक क्षण का चित्र प्रस्तुत करती है; परन्तु मेरा मानना है कि लघुकथा केवल किसी क्षण की उपलब्धि मात्र नहीं है, अपितु यह तो दीर्घ साधना की उपलब्धि हैं। ‘कुकनूस’ के...
View Articleरवि प्रभाकर का चिन्तन
रवि प्रभाकर जी के विचार निम्नलिखित लिन्क पर सुन सकते हैं- मुक्त चिन्तन
View Articleलघुकथाः सृजन और रचना-कौशल-टिप्पणी
कल शाम थका-हारा जैसे ही घर पहुँचा तो सुकेश साहनी कृत ‘लघुकथाः सृजन और रचना-कौशल‘ को देखकर मन प्रसन्न हो गया और सारी थकान छूमंतर हो गई। शाम से ज्यों किताब पढ़नी शुरू की ,तो वह रात दो बजे हाथ से छूटी।...
View Articleआज़ादी –മോചനം
मलयालम में अनुवाद: दिलीप, वामनपुरम കാലങ്ങൾ നീണ്ട കാത്തിരിപ്പിനും അസംഖ്യം അമ്മമാരുടെ തോരാത്ത കണ്ണുനീരിനും നിരവധി യുവാക്കളുടെ നിറം മങ്ങിയ സ്വപ്നങ്ങൾക്കും വറ്റാത്ത വറുതിക്കാലത്തിനും ശേഷം, ഒടുവിൽ...
View Articleइसी दुनिया में
अनुवाद :सुकेश साहनी हरी-भरी पहाड़ी पर एक साधु रहता था। उसकी आत्मा पवित्र और दिल साफ था। उस क्षेत्र के सभी पशु-पक्षी जोड़ों में उसके पास आते थे और वह उन्हें उपदेश देता था। वे सब खुशी-खुशी उसे सुनते,...
View Articleलघुकथा-परिक्रमा
1-आज़ादी शताब्दियों के इंतज़ार और असंख्य माँओं की गोद सूनी होने, अनगिनत सुहागिनों से इंद्रधनुष रूठने और न जाने कितने बिना ईद के रोज़ों के बाद, अंतत: ‘वह’ आ ही गई। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात...
View Articleश्रद्धांजलि
1-सुभाष नीरव रवि प्रभाकर का ड्रीम प्रोजेक्ट मित्रो, भाई योगराज प्रभाकर और रवि प्रभाकर ने ‘लघुकथा कलश’ के माध्यम से लघुकथा के लिए क्या कुछ समर्पित भाव से किया, यह हम सब जानते हैं। इतने बड़े आकार में...
View Articleआज़ादी
गढ़वाली अनुवाद डॉ. कविता भट्ट साक्यों की जग्वाळ क बाद बिगणति की ब्वेयों की खुकली सुन्न हूणा, बिगणति स्वागवंत्यों सि इन्द्रधनुस रुठणा क बाद कुज्याणि कथगा बिना ईदा का रोजों का बाद आखिर वा ऐ ई ग्याई।...
View ArticleDefeated Warrior
Translated from the Original Hindi by Kanwar Dinesh Singh “Three thousand? But the balance written on the slip is four thousand!” “O, it’s okay, Uncle ji! Now you will give me a discount too, won’t...
View Articleलघुकथा को पूर्णरूपेण समर्पित प्रतिभासम्पन्न व्यक्तिव : रवि प्रभाकर
कभी सपने में भी नहीं सोचा नहीं था कि आपके जाने के बाद आपके व्यक्तित्व पर कुछ लिखूंगी। क्योंकि आपका व्यक्तित्व लिखने के लिए नहीं जीवन में उतारने के लिए था।ऐसी विनम्रता,विधा के लिए पूर्ण समर्पण और छोटे...
View Articleवक़्त के पास भी हर मर्ज़ की दवा नहीं होती।
न जाने कितने चिरागों को मिल गई शोहरत इक आफताब के बेवक्त डूब जाने से। अब तक मन को विश्वास नहीं हो पाया है कि रवि सर अब हमारे बीच नहीं हैं। बल्कि यूँ कहें, कि विश्वास हो पाना असंभव सा लगता है, क्योंकि...
View Articleउजाला छोड़ जाऊँगा
मैं सूरज हूँ कोई मंज़र निराला छोड़ जाऊँगा, उफ़क़ पर जाते जाते भी उजाला छोड़ जाऊँगा । ( अज्ञात ) लघुकथा कलश के उपसम्पादक , कुशल समीक्षक , सरल , सहज , विनम्र स्वभाव के सबके अतिप्रिय युवा लघुकथाकार रवि...
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