ताबीज़
एक ताबीज़ वाला गाँव-गाँव, बस्ती-बस्ती, शहर-कस्बों में घूम-घूमकर ताबीज़ बेचता। धीरे-धीरे उसकी प्रसिद्धि इतनी हो गई कि उसके पहुँचने से पहले उसके आने की ख़बर फैल जाती। ताबीज़ वाले का दावा था उसका बनाया ताबीज़...
View Articleदरख़्त
“आप कहते हैं कि घर के बाहर खड़े आपके दरख़्त को ये अपने घर उठा ले गए!!’’ “जी हुजूर!” “किस फल का दरख़्त था ?’’ “फलदार नहीं था हुज़ूर!’’ “किसी फूल का था?” “वह फूलों वाला भी नहीं था!” “ ओह! तो उसके पत्ते काम...
View Articleਚੈਂਪੀਅਨ/चैम्पियन
ਚੈਂਪੀਅਨ / ਪਵਨ ਜੈਨ ਦੌੜ ਸ਼ੁਰੂ ਹੀ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਸੀ, ਉਦੋਂ ਹੀ ਸਰਿਤਾ ਦੀ ਇੱਕ ਸਹੇਲੀ ਨੇ ਆ ਕੇ ਪੁੱਛਿਆ, “ਸਰਿਤਾ ਕੀ ਤੇਰੇ ਪੈਰ ਵਿਚ ਸੱਟ ਲੱਗੀ ਹੈ?” “ਨਹੀਂ ਤਾਂ।” “ਗੋਡੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਦੱਬਦੇ ਹੋਏ, ਏਧਰ, ਏਧਰ ਦੇਖ ਤੈਨੂੰ ਦਰਦ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ?” “ਨਹੀਂ...
View Articleगुलाबी पेन
“अब क्या होगा बड़े बाबू”, दफ्तर में पसरे सन्नाटे को तोड़ते हुआ एक लिपिक ने प्रश्न उछाला। सबकी दृष्टि सोच में डूबे हुए बड़े बाबू की ओर उठ गई। बड़े बाबू ने गर्दन बिना उठाए ही अपने चश्मे से झाँका और फिर...
View Articleबेहतर समाज का सपना बुनते हुए
श्याम सुंदर दीप्ति पंजाबी में लघुकथा (मिन्नी कहानी) के प्रतिनिधि हस्ताक्षर है। व्यवसाय से डॉक्टर होने के बावजूद विगत चालीस वर्षो से एक्टिविस्ट और कलमकार दोनों भूमिकाएँ बड़ी सजगता और सक्रियता से निभाते...
View Articleलघुकथाएँ
जिस देश में गंगा बहती है 1 गंगा जी में बहते मुर्दे ने दूसरे से पूछा, हम तैर कर कहाँ जा रहे हैं? दूसरे मुर्दे ने पहले को करेक्ट किया, तैर नहीं रहे हम, बह रहे हैं। तैरने के लिए हिम्मत चाहिए होती है।...
View Articleमेरी पसंद (दो लघुकथाएँ )
मेरी पसंद (दो लघुकथाएँ ) रोचिका अरुण शर्मा लघुकथा यानी छोटी सी कहानी जो बगैर किसी लाग-लपेट के कम शब्दों में गहरी बात पाठक के मन-मस्तिष्क तक पहुँचा दे । जिसका पूरा सार अंत की एक पंक्ति में व्यंगात्मक...
View Articleਅੱਗ/आग
ਅੱਗ / ਅਸਗਰ ਵਜ਼ਾਹਤ ਉਸ ਆਦਮੀ ਦੇ ਘਰ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗੀ ਸੀ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਅੱਗ ਨੂੰ ਬੁਝਾਉਣ ਦੇ ਯਤਨ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਪਰੰਤੂ ਅੱਗ ਭਿਆਨਕ ਸੀ, ਬੁਝਣ ਦਾ ਨਾਂ ਹੀ ਨਹੀਂ ਲੈ ਰਹੀ ਸੀ। ਏਵੇਂ ਲਗਦਾ ਸੀ ਜਿਵੇਂ ਕੋਈ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਲੱਗੀ...
View Articleपृथ्वीराज अरोड़ा की लघुकथाएँ
सत्तर के दशक से हिंदी के जिन कथा लेखकों की लघुकथाएँ ‘सारिका,’ ‘कथन’, ‘लहर’, ‘कहानीकार’, ‘वीणा’, ‘पहचान’, ‘कथादेश,’ ‘प्रभृति’ आदि साहित्यिक पत्र–पत्रिकाओं तथा दैनिक समाचार–पत्रों में निरन्तर प्रकाशित...
View Articleश्रेष्ठ लघुकथाओं से गुज़रते हुए
पहले मैं लघुकथाओं को कोई विशेष महत्त्व नहीं देता था–उन्हें मैं ‘दोयम दर्ज़े का साहित्य’ मानता था, या कहूँ साहित्य मानता ही न था–बोध कथा, नीति कथा, अखबारी रिपोर्टिंग,हास्य–व्यंग्य चुटकुले की श्रेणी में...
View Articleवृक्ष
?? मिनी जब दस वर्ष की थी तब उसके पिताजी ने नया मकान खरीदा। उसके पिछवाड़े में, काफी कच्ची धरती थी। मेहनत करके माँ ।ने उस स्थान पर केले, अमरूद व आम के वृक्ष लगा दिये जो कुछ वर्षों में खूब फल देने लगे।...
View Articleवृद्धाश्रम डॉट को डॉट इन
बहुत बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन बात बड़ी तो यहां तक पहुँची कि बहू ने साफ-साफ कह दिया, ‘अगर इस घर में तुम्हारी माँ रहेंगी, तो मैं नहीं ……… अब निर्णय आप पर है ,जो अच्छा लगे …….. करो!’ और गुस्से में अपने...
View Articleमैला
“ओह,पापा, ये क्या,,अब तो ये बन्द कर दीजिए। स्वीपर से क्यों नही करवाते!!” झुँझलाई हुई आवाज़ में लम्बे समय बाद गाँव आए बेटे ने तेज आवाज़ में कहा। टॉयलट को साफ करते हुए पिता एकबारगी थम गए; लेकिन...
View Articleआयोजन-2020ः एक समग्र प्रयासः
आयोजन-2020ः एक समग्र प्रयासः सम्पादक-डॉ नीरज सुधांशु, पृष्ठः 160, मूल्यः 250, संस्करण: 2021, वनिका पब्लिकेशन्स, एन ए- 168, गली नं -6, विष्णु गार्डन , नई दिल्ली-110018,
View Articleसूली पर चढ़ते हुए
(अनुवाद :सुकेश साहनी) मैंने लोगों से चिल्लाकर कहा, “मैं सूली पर चढूँगा!” उन्होंने कहा, “हम तुम्हारा खून अपने सिर क्यों लें?” मैंने जवाब दिया, “पागलों को सूली पर चढ़ाए बगैर तुम कैसे उन्नति कर सकोगे?”...
View Articleअचानक यों चले जाना
1-लघुकथा के समर्पित व्यक्तित्व का चले जाना! रवि प्रभाकर, योगराज प्रभाकर के अनुज, लघुकथा कलश के सह सम्पादक लघुकथा के लिए पूर्णतया समर्पित, लघुकथा-कलश के माध्यम से विश्व भर के लोगों से जुड़ाव, विनम्रता...
View Articleकेवल मैं
वह उसे बरसों के बाद मिला था । हमेशा की तरह आज भी वह अपनी शान बघारने से चूका नहीं था। अगर यही शान उसने न बघारी होती तो आज वह उसकी पत्नी होती। हालांकि उनका बरसों प्रेम चला था फिर भी उसकी इस लत ने उस...
View Articleएक और जाल / एक हौर जाळ
गढ़वाली अनुवाद डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ मुबैलै घण्टी बजि। हिंद्या रीडर महोदैन वे तै कंदूड़ पर लगै अर बोलि,”हलो!” उख बटी ऊँकै विभागा दगड़िए आवाज ऐ, “एक खुसखबरी च।” “क्य?” “यू.जी.सी. का हिसाब सि ‘नैट’ अब...
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