उचाई (नेपाली)
हिन्दीबाट अनुवादः कुमुद अधिकारी बुबा अचानक गाउँबाट आउनु भएको देखेर श्रीमती रिसले आगो भइन् – “बूढालाई पैसा चाहिएजस्तो छ। नत्र यहाँ को आउँथ्यो र ? आफ्नै पेटको खाल्डो भरिँदैन, आफन्तको कुवा केले...
View Articleसर्वप्रिय विधा
एक समय ऐसा भी था जब अकेली कविता ही साहित्य की सबसे लोकप्रिय विधा होती थी। आज के इलैक्ट्रॉनिक युग में कविता का यह गौरवशाली पद गज़ल ने हथिया लिया है। परन्तु पिछले कुछ समय से साहित्यिक...
View Articleजमूरे /ਜਮੂਰੇ
ਪੰਜਾਬੀ ਅਨੁਵਾਦ: ਰਵੀ ਪ੍ਰਭਾਕਰ ਸਕ੍ਰਿਪਟ ਦੇ ਵਰਕੇ ਪਲਟਦਿਆਂ ਅਚਾਨਕ ਪ੍ਰੋਡਊਸਰ ਦੇ ਮੱਥੇ ਉੱਪਰ ਤਿਉੜੀਆਂ ਪੈ ਗਈਆਂ।ਕੋਲ ਬੈਠੇ ਨੌਜਵਾਨ ਲੇਖਕ ਵੱਲ ਮੁੜਦਿਆਂ ਉਹ ਭੜਕਿਆ, “ਓ ਕੀ ਹੋ ਗਿਆ ਤੇਰੀ ਅਕਲ ਨੂੰ?” “ਕੀ ਹੋਇਆ ਸਰਜੀ? ਕੋਈ ਗਲਤੀ ਹੋ ਗਈ...
View Articleमेरी पसंद की लघुकथाएँ
आज की भागदौड़ भरी ज़िदगी के चलते कम लोग ही उपन्यास अथवा लम्बी कहानियाँ पढ़ पाते हैं। ऐसे लोगों को साहित्य से जोड़े रखने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हैं-लघुकथाएँ। साहित्य की इस महत्त्वपूर्ण विधा में बहुत कम...
View Articleअलग देश
“ईरान में कौन रहते है?’’ “ईरान में ईरानीं क़ौम रहती है।’’ “इंग्लिस्तान (इंग्लैंड) में कौन रहता है।’’ “इंग्लिस्तान में अंगरेज़ कौम रहती है।’’ “फ्रांस में कौन रहता है?’ “फ्रांस में फ्रांसीसी कौम रहती...
View Articleमुखौटा
‘मुखौटा’ लघुकथा का पाठ रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ द्वारा बरेली गोष्ठी 89 में किया गया था। पढ़ी गई लघुकथाओं पर उपस्थित लघुकथा लेखकों द्वारा तत्काल समीक्षा की गई थी। पूरे कार्यक्रम की रिकार्डिग कर उसे...
View Articleबाल-मनोवैज्ञानिक लघुकथाएँ-सं-सुकेश साहनी-रामेश्वर काम्बोज
समकालीन लघुकथा और बालकों की दुनिया -बलराम अग्रवाल बचपन जीवन की वह खिड़की है जिससे बड़ों की दुनिया में झाँकते-किलकते हुए हमें पता ही नहीं चलता कि हम कब कूदकर उसके पार इधर आ पहुँचते हैं। परेशानी यह है...
View Articleलूट
लम्बे कँटीले सूखे झाड़ हाथों में ऊँचा किए वे लड़के आकाश में टकटकी लगाए मैदान में खड़े थे। हवा उस तरफ की नहीं थी। जिधर बड़े मकान थे, उस तरफ हवा बह रही थी। पतंग भी उस ओर ही उड़ रही थी। फटे पुराने मैले...
View Articleबाघ
कोइली धान लगाकर घर पहुँची तो दुवारे ही मटुकी लिपट गई। भूख से उसका चेहरा निस्तेज हो रहा था। कल संध्या से चूल्हा न जला था। पीला कार्ड तो बन गया था मगर इस महीने उसे राशन न मिला था। कई दिन बेगारी पर...
View Articleतीन पुस्तकें
हिन्दी लघुकथा के सिद्धान्त: भगीरथ परिहार ,Educreation publishing RZ -94, सेक्टर-6,द्वारका,नई दिल्ली-110075 :संस्करण: 2018,मूल्य: 260/-, पृष्ठ: 130 लघुकथा समीक्षा- भगीरथ परिहार, FSP ,MEDIA...
View Articleरोटी
अजब था वह। गजब थे उसके खयाल। उसकी चले तो पूरी दुनिया को खेत बना दे। खेतों में केवल गेहूँ लहलहाएँ। गुलाबों की परवाह नहीं ,बल्कि उनकी कोई दरकार नहीं थी उसे। गेहूँ से केवल रोटियाँ बनाई जाएँ। इन रोटियों...
View Articleआकलन
“सर आपको मेरी लघुकथा कैसी लगी?” लघुकथा गोष्ठी के उपरांत चाय के दौरान नवोदित लघुकथाकार ने आकर पूछा था। वह किसी पर भी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते थे ,सो हल्का सा मुस्कराकर बोले, “देखिए, बहुत-सी...
View Articleऔर हाथी रो रहा था
छात्र संघ के आह्वान पर पूरी तरह बन्द था। सड़कों पर पुलिस की गश्ती गाड़ियों के अलावा हाकिम-हुक्का और गिने-चुने अति विशिष्ट लोगों की ही गाड़ियाँ दौड़-भाग रही थीं। बन्द समर्थक छात्रों की टोलियाँ अपनी इस...
View Articleमुक्ति
घर के बाहर निकलते ही जुगनू को अँधेरा मिला और उसे अपनी रोशनी अलग से दिखाई दी। थोड़ी दूर आने के बाद उसने पीछे मुड़कर अपना घर देखा। जंगल में वह पेड़ जिस पर जुगनुओं का खत्ता था, लाखों लाख...
View Articleलघुकथाएँ
1-उसका दुःख ‘‘अरे रेहाना तुम ! वर्षों के बाद घर आई सहेली को देखकर शबाना एकाएक खुशी में चहक उठी। “हां, तुम्हारे शहर में आज एक नौकरी का इंटरव्यू देने आई थी, सोचा, चलते वक्त तुमसे भी मिलती चलूँ।”...
View Articleबच्ची और समुद्र
हम गर्मियों में समुद्र के किनारे पर गए। मेरी बच्ची ने कहा, ‘‘अब्बू! समन्दर को अपने साथ घर लेते जाएं।’’ वापसी पर हमने समुद्र को बस की छत पर सवार कर लिया। सिर्फ़ मुझे और मेरी बच्ची को पता था कि हम...
View Articleमन को लुभाती लघुकथाएँ
वास्तविकता के धरातल पर यथा सम्भव कम से कम शब्दों से कथ्य को साधती हुई विधा है लघुकथा।जैसे जापानी विधा हाइकु बड़ी -बड़ी कविताओं की भाँति सारगर्भित होती है, वैसे ही लघुकथा भी अपने लघु कलेवर में अचूक...
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