मैंने तुझे कैसे पहचाना-
चेक लघुकथा अनुवाद : निर्मल वर्मा मैं सहसा उठ बैठी। लगा, जैसे कोई मुझे बुला रहा हो। आँखें खोलकर मैं चारों तरफ देखने लगी-कमरे में अँधेरे और खामोशी के अलावा कुछ भी न था। खिड़की के पर सलेटी चादर-सी फैली...
View Articleनई पुस्तकें
जेबकतरा(लघुकथा-संग्रह): अख़लाक़ अहमद ज़ई,समदर्शी प्रकाशन, 355, देवनगर, मोदीपुरम, मेरठ-250001,संस्करण:2021,मूल्य : 165/-पृष्ठ : 98 पोटली(लघुकथा-संग्रह): सीमा व्यास , वनिका पब्लिकेशन,सरल कुटीर,आर्य नगर,...
View Articleआम आदिम
गढ़वाली में अनुवाद-अनुवाद डॉ . कविता भट्ट नौ चन्नी लग्गी छै । बिच औता मूँ नौ वळन बोलि, “नौ माँ बोझ जादा च, कवी एक आदिम कम ह्वे जाऊ त अच्छू, नितर नौ डुबि जालि।” अब कम ह्वे जाऊ त कु कम ह्वे जाऊ ? कै...
View Articleबिखब्री कु फैदा
गढ़वाली में अनुवाद-अनुवाद डॉ . कविता भट्ट लबलबी दबीं–पिस्तौल बिटी झुँझलैक गोळी भैर निकळी । मोरी बिटी भैर जुळन्डी मन्न वळु आदिम वुक्खी मुं चित्त ह्वे गे। लबलबी थोड़ी देर माँ फ़िर दबी–दूसरी गोली...
View Articleलघुकथाएँ
1-इस बार “देखो यार तुमसे पहले भी कहा है, किसी के जाति-धरम पर मत जाया करो” “और तुम जो दूसरों की जाति पर कमेंट कसते हो वो ? वो क्या है? परसों का दिन भूल गए ? जब जाति की बात तुमने निकाली थी,...
View Articleसोद्देश्य रचनाकर्म
लेखन मेरी समझ में मात्र कार्यकारी नहीं है। साहित्य एक सोद्देश्य रचनाकर्म है जो समाज को आदर्श दिशा दिखाने का काम करता है। लघुकथा साहित्य की आकार में छोटी लेकिन बहुत ही गम्भीर विधा है। लघुकथा के माध्यम...
View Articleमधुदीप की 5 लघुकथाएँ
चयन-डॉ. बलराम अग्रवाल 1-ऐसे रात के गहराते अन्धकार में दो मित्र पार्क की सुनसान बैंच पर गुमसुम बैठे थे। इससे पूर्व वे काफी देर तक बहस में उलझे रहे थे। इस बात पर तो दोनों सहमत थे कि अब इस दुनिया में जिया...
View Articleजिन्दगीभर हारता इन्सान और जीतने की जिद
मधुदीप की लघुकथाएँ-‘समय का पहिया मधुदीप हिन्दी लघुकथा के वरिष्ठ हस्ताक्षरों में से एक हैं। उनका पहला लघुकथा संग्रह ‘हिस्से का दूध’ सन् 1991 में आया था जिसमें उनकी 30 लघुकथाएँ, ‘लघुकथा:एक विहंगम दृष्ति’...
View Articleঅন্যমনস্কতার লাভ /बेख़बरी का फ़ायदा
লেখক – সাদাত হাসান মান্টো/ सआदत हसन मण्टो অনুবাদ – মিতা দাস/ अनुवाद मिता दास বেশ গভীরে চাপা পিস্তল থেকে বিরক্ত হয়ে গুলি বেরিয়ে গেল । জানলা দিয়ে যে লোকটি উঁকি মারছিল সেই...
View Articleमधुदीप की लघुकथाओं में प्रयोगधर्मी प्रवृत्तियाँ
सामान्यतः साहित्य में स्थापित परम्पराओं को लाँघकर किया गया सोद्देश्य सृजन-कर्म प्रयोगधर्मी साहित्य की श्रेणी में आता है। यहाँ स्थापित परम्परा से आशय विधागत स्थापनाओं और मानकों की रूढ़ स्वीकार्यता से है।...
View Articleकथादेश-प्रतियोगिता
लघुकथा कलश-जुलाई- दिसम्बर 2021 . संपादक- योगराज प्रभाकर -अप्रकाशित लघुकथा -विशेषांक ,पृष्ठ-156, मूल्य-300 रुपये,
View Articleनई पुस्तकें
कैलेण्डर पर लटकी तारीख़ें'(लघुकथा-संग्रह): दिव्या शर्मा, पृष्ठ: 177, मूल्य- 199/- ,प्रकाशन वर्ष- 2022; प्रकाशक- साहित्य विमर्श प्रकाशन,987, सेक्टर-09, गुरुग्राम, हरियाणा-122006 फक्कड़ उवाच...
View Articleलघुकथाएँ(पुण्य स्मरण)
(1935-2022) 1-झंकार आज फिर साधना मैडम का मुँह लटका हुआ था। यह बात शीला मैडम के परिपक्व अनुभव–ज्ञान से छिपी न रही। वे साधना से कुछ पूछना ही चाहती थीं, तभी स्कूल की बेल गूँज उठी। तीसरा पीरियड दोनों का...
View Articleबोझ
कुछ फौजियों ने दुश्मन के इलाके पर हमला किया तो एक किसान भागा हुआ खेत में अपने घोड़े के पास गया और उसे पकड़ने की कोशिश करने लगा, पर घोड़ा था कि उसके काबू में ही नहीं आ रहा था। किसान ने उससे कहा, ‘‘मूर्ख...
View Articleसूरज डूबने से पहले
प्रेरणा गुप्ता जी लघुकथा के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम हैं। उनकी लघुकथाओं का संग्रह कुछ दिन पहले ही प्रकाशित हुआ है। इंटरनेट पर उनकी कहानियाँ मुझे बहुत प्रभावित करती थीं। संग्रह के रूप में जब...
View Articleएक समर्थ रचनाकार के लघुकथा पर विचार और सरोकार
वर्तमान समय में लघुकथा से सन्दर्भित विभिन्न दृष्टिकोण, लघुकथा की भाव भूमियों, लघुकथा के विषयों, विचारेां और प्रयोगों को लेकर लघुकथाकारों और लघुकथा के समीक्षकों के मध्य वैचारिक गहमा-गहमी व्यापक रूप से...
View Articleਸੁਬੀਰਾ ਦਾ ਮਾਂ
अनुवाद-श्याम सुन्दर अग्रवाल-ਸ਼ਿਆਮ ਸੁੰਦਰ ਅਗਰਵਾਲ ਕੱਲ੍ਹ ਬਿਰਧ ਰਜੀਆ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦਾ ਘਾਤਕ ਦੌਰਾ ਪਿਆ ਸੀ। ਘਰ ਵਿਚ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਧੀ ਸੁਬੀਰਾ ਡਿਊਟੀ ਉੱਤੇ ਗਈ ਹੋਈ ਸੀ। ਪੁੱਤਰ ਅਤੇ ਵੱਡੀ ਧੀ ਦੂਰ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਇਸ ਲਈ ਗੁਆਂਢੀਆਂ...
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