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Channel: लघुकथा
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मेरी पसन्द

साहित्य की समकालीन विधाओं में लघुकथाएँ अपने तीव्र आवेग एवं व्यंजना-शक्ति के कारण खासा लोकप्रिय हो गईं हैं। लघुकथाओं में अभिव्यक्ति ज्यादा मुखरित होती हैं, संवेदनाएँ अधिक गहरी , भाषा सशक्त और पैनी होती...

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लघुकथाएँ

1-खट्टे अंगूर दस साल में कितना बदल गया गाँव!” पक्की सड़क और घर की छतों पर लगे डिश एंटिना को देखकर मेरे मुँह से निकला। “बहुत बदल गया है। घर-घर टीवी और वाशिंग मशीन है और तो और एसी भी लग हैं अपने गाँव...

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आँच

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গ্রহণ / ग्रहण

                      গল্প – সুকেশ সাহনী-   অনুবাদ – মিতা দাস ( मीता दास) ” বাবা রাহুল বলছিল আজ তিনটে নাগাদ ……” ভিকি কিছু বলতে চাইলো ।  ” চুপচাপ পড় !” খবরের কাগজ থেকে চোখ না সরিয়ে তিনি বললেন , ”...

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मोरी / खिड़की

अनुवाद:गढ़वाली –डॉ. कविता भट्ट ब्याखन बगत मोरी खुली। ट्रे सजैकी कमरा का भितर लीक औंदी विभा का हाथ अचानक कौंपीन। ऑफिस बिटी लौटी कि  सोफ्फा माँ पसरियाँ अजय का  हाथू माँ अबरी ये टैम विभा कु  ही फ़ोन छौ,...

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मज़बूत पाळ/

अनुवाद:गढ़वाली -डॉ. कविता भट्ट चंद्रेश कुमार छतलानी आज रात देर कुछ ज्यादा इ ह्वे गे छै, रामदीन चौक माँ बैठी की सामणी की हवेली देखि कि जळणु छौ, वा वे का घौर से भौत बड़ी छै और वीं की पाळी बि ऊँच्ची अर...

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हिन्दी लघुकथा के क्षेत्र में रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ की ऊँचाई

प्रस्तावना: सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक चेतना के परिणामस्वरूप आधुनिक हिन्दी लघुकथा का खेमकरण सोमन प्रादुर्भाव बीसवीं सदी के आठवें दशक से माना जाता है। लघुकथा विधा के लिए पुनर्स्थापना काल के रूप में...

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ਗਰੀਬ ਦੀ ਪੀੜ

  अनुवाद- श्याम सुन्दर अग्रवाल / ਸ਼ਿਆਮ ਸੁੰਦਰ ਅਗਰਵਾਲ “ਨੀ ਕਮਲਾ, ਰਾਜੂ ਨੂੰ ਨੀ ਲਿਆਈ?” ਸ਼ਿਖਾ ਉੱਚੀ ਆਵਾਜ਼ ਵਿਚ ਬੋਲੀ। “ਦੀਦੀ, ਉਹਨੂੰ ਬੁਖਾਰ ਚੜ੍ਹਿਐ।” ਕਮਲਾ ਨੇ ਸਿਰ ਝੁਕਾ ਕੇ ਜਵਾਬ ਦਿੱਤਾ। “ਬੁਖਾਰ ਈ ਤਾਂ ਹੈ। ਕੋਈ ਹੱਥ-ਪੈਰ ਤਾਂ ਨੀ...

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रंगोली व दिये की चमक

सीमा जैन बहु मंजिला अपार्टमेंट में नीचे के फ्लैट में रहने वाली आंटी से रिश्ता बहुत पुराना था। कभी-कभी छोटी बातों के अजगर भी पुराने बड़े रिश्तों को निगल जाते हैं। गाड़ी की पार्किंग, गमलों का पानी, सफाई...

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पानी का रंग

सुरम्य जंगल का पाँच किलो मीटर  रास्ता पार कर दुर्गा, स्कूल पहुँची तो टेबल  पर रोज़ की तरह एक गिलास पानी रखा मिला,  ठण्डा और मीठा। सारी थकान दूर हो गई। वह अक्सर सोचती है- इस पानी में, बच्चों  का कितना...

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लौ

अधेड़ उम्र की उस औरत के साथ बीस-बाईस वर्ष की युवती, सलवार क़मीज़ पहने हाथ में छोटा-सा पर्स लिए मेरे सामने खड़ी थी। मुझे पहचानने में देर नहीं लगी। वह सरस्वती थी। मैं उसे तपाक से मिली। बोली, “यहाँ कैसे...

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पहल

दसवीं कक्षा की क्लास लेते हुए अचानक सुधा मैम ने पूछा,” बच्चो!, यह बताओ कि आज सुबह का नाश्ता किए बगैर कौन- कौन आया है।” एक छात्रा ने हाथ उठाया। ” क्या घर में कुछ बन नहीं पाया था?” “बना था, पर उसे छोटी...

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प्यार की धुन

मैं चौक पर किसी सवारी की इंतज़ार में खड़ा था । कुछ फासले पर एक दिव्यांग भी शायद इसी उम्मीद में खड़ा हुआ था । मैले- कुचैले , गंदे से कपड़े पहने बैसाखियों के सहारे। मैं सोचने लगा कि इसे कौन अपने ऑटो में...

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लघुकथाएँ

1-आउटगोइंग सुदूर पहाड़ में रहकर खेतीबाड़ी करने वाले अपने अनपढ़ एवं वृद्ध माता पिता के हाथ में शहर जाकर बस गए लड़कों ने परमानेंट इन्कमिंग फ्री वाला मोबाइल फ़ोन पकड़ा दिया. साथ ही फ़ोन रिसीव करना व काटना...

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लघुकथा : जैसा मैंने जाना : हरदर्शन सहगल

पिछले कई–कई सालों से लघुकथाएँ, लिखी–पढ़ी, सुनी सुनाई जा रही है। लघुकथाओं के पैरवीकार भी बहुत सारे हो चले हैं। लघुकथा सम्मेलन भी प्राय: होते रहते हैं। सभी माध्यमों से लघुकथा के मानदंडों आदि की विवेचना...

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रुका हुआ पंखा/બગડેલો પંખો

લેખક: બલરામ અગ્રવાલ અનુવાદક: રજનીકાંત એસ.શાહ- गुजराती अनुवाद; रजनीकान्त एस शाह છેલ્લા ઘણા દિવસોથી પપ્પા ઘણા ચિંતામાં જણાતા હતા. રૂમમાં જોઈને જતા રહેતા. એ એવા ઉદ્વેગમાં જ એક દિવસ પાસે આવીને ઊભા રહ્યા....

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‘अंधा मोड’ के बहाने से

हिंदी लघुकथा आंदोलन की तपिश इन दिनों गायब है। इस क्षेत्र की सामान्य जानकारी रखने वाला जानता है कि करीब तीन दशक पहले तक यह आंदोलन पूरे उफान पर था। आठवें-नवें दशक उन समर्पित लघुकथाकारों के थे, जो इसे...

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धूप के गुलमोहर

लघुकथा जगत का एक जाना पहचाना नाम, ऋता शेखर ‘मधु‘, मेरी समझ से क़ोई भी उनके परिचय से अछूता नहीं होगा। ‘लघुकथा डॉट कॉम’ में उपलब्ध आपकी लघुकथाएँ एवं ‘हिन्दी चेतना’ में पुरस्कृत लघुकथा ‘दर्द’ हम सभी ने...

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प्राची का लघुकथा -अंक

डाउनलोड करने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिए- प्राची लघुकथा-विशेषांक

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इक्कीस जोड़ी जूते

सुनने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक कीजिएगा- इक्कीस जोड़ी जूते

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