हिन्दी चेतना लघुकथा प्रतियोगिता
हिन्दी चेतना लघुकथा -प्रतियोगिता ( अन्तिम तिथि 10 दिसम्बर -2018) 1-हिन्दी चेतना द्वारा लघुकथा -प्रतियोगिता के लिए अप्रकाशित और अप्रसारित ( ब्लॉग/ वेब/ वाट्स एप आदि पर भी प्रसारित न हों ) अधिकतम दो...
View Articleसाहित्य आज तक-एक बड़ी -सी लघुकथा
साहित्य आज तक’ 2018 में एक सत्र लघुकथा पर ‘साहित्य आजतक’ में लघुकथा की उपस्थिति निःसंदेह लघुकथा की विकास यात्रा का बहुत ही उल्लेखनीय पड़ाव है।’एक बड़ी सी लघुकथा’ विषयक सत्र में लघुकथा के शास्त्रीय...
View Articleदेह व्यापार पर केंद्रित लघुकथाएँ
करीब बाइस साल पहल की बात है, वीरगंज से काठमांडू की पैदल यात्रा के दौरान किसी गाँव से गुज़रते हुए एक भारतीय युवक को नेपाली दूल्हे की वेशभूषा में देखा था। नेपाली दुलहन की आँखें रोते-रोते लाल हो रही थीं,...
View Articleकागज़ की कश्ती
माँ गाँव के खुले आँगन से बेटे के शहर के बंद फ्लैट में आईं थीं। माँ गाँव में ही रहना चाहती थीं, अपने रहने से वो पुराने रिश्तों को बचा लेना चाहती है, हल्दी-अक्षत वाले त्यौहार बचा लेना चाहती हैं, अपने...
View Articleएक ईमानदार आदमी
ग्रेगरी गोरिन (अनु–अचला जैन) मैंने टैक्सीवाले को आवाज दी और टैक्सी रुक गई। “क्या तुम मुझे सेमोकान्या स्क्वेयर ले चलोगे? वह जगह यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन मुझे जल्दी है ।” “जरूर! जहाँ कहीं भी आप...
View Articleगोभोजन कथा
‘गोभोजन कथा’ लघुकथा का पाठ बलराम अग्रवाल़ द्वारा बरेली गोष्ठी 89 में किया गया था। पढ़ी गई लघुकथाओं पर उपस्थित लघुकथा लेखकों द्वारा तत्काल समीक्षा की गई थी। पूरे कार्यक्रम की रिकार्डिग कर उसे ‘आयोजन’...
View Articleमेरी पसंद
आज लघुकथा हिन्दी की सशक्त गद्य विधाओं में सम्मिलित हो चुकी है । आकार में वामन रूप होने के बावजूद लघुकथा अपने तीन पगों अर्थात् भाषा, शिल्प और अभिव्यंजना में अखिल ब्रह्माण्ड को नापने की सामर्थ्य रखती है...
View Articleलघुकथाएँ
1-अपना अपना ईमान छह दिनों से मैं काफ़ी परेशान था। पाँच सौ रुपए का नकली नोट न जाने कहाँ से मुझे मिल गया था। नया–नकोर। वह नोट दिखने में तो बिल्कुल असली जैसा लगता था, पर था नकली। यह बात मुझे तब पता चली...
View Articleसुकेश साहनी की लघुकथाओं में समकालीन संकट
आधुनिक हिन्दी लघुकथा के समकालीन लेखन को राष्ट्रीय स्तर पर जिन लेखकों ने अपनी रचनाधर्मिता से न केवल पहचान कराई, बल्कि उसे स्थापित भी किया, उनमें बरेली के सुप्रतिष्ठित लेखक सुकेशसाहनी भी एक हैं।...
View Articleउत्तर आधुनिक
अमरीक सिंह दीप उत्तर आधुनिक सुधा खूब पढ़ी – लिखी थी। साहित्य प्रेमी थी। विवाह को सात वर्ष हो चुके थे। दो बच्चे भी थे। लेकिन उसे न मनचाहा पति मिला था ,न मनचाही ससुराल । पति की सरकारी नौकरी भले ही थी...
View Articleਕੁੜੀ ਦੀ ਗੱਲ/ कुड़ी दी गल्ल
ਕੁੜੀ ਦੀ ਗੱਲ / ਸੁਭਾਸ਼ ਨੀਰਵ [ਅਨੁਵਾਦ: ਜਗਦੀਸ਼ ਰਾਏ ਕੁਲਰੀਆਂ] जगदीश राय कुलरियाँ] ਮੁੰਡੇ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਚਾਰ ਪੰਜ ਜਣੇ ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਫਲੈਟ ਦੀ ਬੈਠਕ ਵਿੱਚ ਸੋਫ਼ੇ ਅਤੇ ਕੁਰਸੀਆਂ ਤੇ ਜਦੋਂ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋ ਗਏ ਤਾਂ ਕੁੜੀ ਵਾਲੇ ਪਾਸਿਓਂ...
View Articleपहचान
‘‘ओ रिक्शा….बड़े बाजार चलेगा?’’ ‘‘चलूँगा दीवान जी….?और सरकार कइसे हैं? पहले से कमजोर दिख रये। कछू बीमार-ऊमार रहे का?’’ ‘‘अबे, तू तो ऐसे बात कर रहा है, जैसे पुरानी जान-पहचान हो।” ‘‘अरे, आप भूल गए...
View Articleमीठा नीम
सुनील वर्मा ‘‘ठीक है माँ, अब हम चलते हैं।’’ अपनी पत्नी व बच्चों के साथ महेश ने हाथ में बैग उठाते हुए कहा। फिर बिना जवाब की प्रतीक्षा किए ही माँ के पैर छूते हुए उसने आगे कहा, ‘‘माँ, अब बाबूजी को गुजरे...
View Articleकितने भस्मासुर
कितने भस्मासुर -योगेन्द्र शर्मा ,नमन प्रकाशन 4231/1,अंसारी रोड, दरियागंज,नई दिल्ली-110002 संस्करण 2018,मूल्य 200/-,पेज 80 फ़ोन-232447003,23254306
View Articleतर्क-कुतर्क
संजीव ठाकुर तर्क-कुतर्क लोग उसे पागल समझ रहे थे। अच्छी-भली सरकारी नौकरी छोड़नेवाला भला पागल नही तो और क्या होगा? दरअसल जिस कॉलेज में उसे लेक्चरर की नौकरी मिली, वहाँ पढ़ने-पढ़ाने का माहौल ही नहीं था।...
View Articleचार हाथ
‘‘ये क्या समझते हैं? अब इनका हमसे मतलब नहीं पड़ेगा?’’ श्याम ने निराशा से क्षितिज को निहारा जहाँ अँधेरा अपनी धमक देने लगा था। ‘‘देखो जी! पड़ोसी से तो नून और राख का भी लेन-देन होता है। रशीद भाई क्या अपनी...
View Articleशुक्रिया माँ
एक लंबी दर्द भरी चीख के साथ ही मैं अपनी नरम, आरामदेह दुनिया से बाहर खींच ली गई। मैं डरकर रोने लगी। किसी ने दरवाज़ा खोलकर ज़ोर से कहा,”बेटी हुई है। जच्चा- बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।” बाहर कुछ हलचल हुई। मैं...
View Articleअविराम साहित्यिकी
अविराम साहित्यिकी (डॉ. उमेश महादोषी) का बलराम अग्रवाल के अतिथि संपादन में लघुकथा विशेषांक। नई सदी में लघुकथा , अक्टूबर-दिसम्बर -2018, पृष्ठ; 116, मूल्य; 25 रुपये
View Articleमहानगर की लघुकथाएँ का द्वितीय संस्करण
महानगर की लघुकथाएँ का द्वितीय संस्करण,पृष्ठ :156, मूल्य:300/-, संस्करण:2019 ,अयन प्रकाशन : 1/20, महरौली , दिल्ली-110030
View Article‘मेरी पंसद’ का तीसरा भाग,
लघुकथा.कॉम की देश विदेश में प्रसिद्ध ‘शृंखला ‘मेरी पंसद’ का तीसरा भाग,पृष्ठ -164, मूल्य-350/-, अयन प्रकाशन , 1/20, महरौली , दिल्ली-110030 अ
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